एक समय था जब अफगानिस्तान तालिबानियों का दबदबा चारों ओर था। आपको बता दें कि 1996 से लेकर 2001 तक अफगानिस्तान में तालिबानी शासन के दौरान मुल्ला उमर देश का सर्वोच्च धार्मिक नेता था। सन् 1990 की शुरुआत में उत्तरी पाकिस्तान में तालिबान का उदय माना जाता है। हालांकि कुछ ही समय में तालिबान लोगों के लिए सिरदर्द साबित हुआ है...
काबुल। अफगानिस्तान
के कंधार प्रांत में सेना द्वारा तालिबानी आतंकवादियों के खिलाफ चलाए गए विशेष
अभियान में 30 से अधिक आतंकवादी मारे गए है। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि वायु सेना
के सहयोग से रक्षा और सुरक्षा बलों ने बुधवार को अरगंडब, ज़हरी, शाह वली कोटोन और मयंद जिलों में यह विशेष
अभियान चलाया गया था।
मंत्रालय ने कहा
यह भी कहा कि इन अभियानों में 31 तालिबानी आतंकवादी मारे गए और अन्य 19 घायल हुए
हैं। इस सप्ताह के शुरू में कंधार सहित दस प्रांतों में चलाए गए विशेष अभियानों के
दौरान 100 से अधिक तालिबान आतंकवादी मारे गए है। सबसे अहम बात यह है कि सेना ने
देश भर में सड़कों पर तालिबानी आतंकवादियों द्वारा लगाए गए 168 विस्फोटक उपकरणों
की खोज कर उन्हें निष्क्रिय किया है।
अफगानिस्तान का पुराना नाम क्या था?
17वीं सदी की शुरुआत तक तो अफगानिस्तान का नाम भी नहीं था। महाभारत काल में इसके उत्तरी इलाके में गांधार महाजनपद था जिसके कारण इसकी राजधानी कांधार कहलाई। इसके अतिरिक्त आर्याना, कम्बोज आदि इलाके इसमें सम्मिलित थे।


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