राजेश शास्त्री
नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। पौष, चैत्र, आषाढ, अश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। इसी दिन से हिंदु नवसंवत्सर का आरंभ भी होता है। चैत्र मास के नवरात्र को 'वार्षिक नवरात्र' भी कहा जाता है। इन दिनों नवरात्र में शास्त्रों के अनुसार कन्या या कुमारी पूजन किया जाता है। कुमारी पूजन में दस वर्ष तक की कन्याओं का विधान है।
नवरात्रि के पावन अवसर पर अष्टमी तथा नवमी के दिन कुमारी कन्याओं का पूजन किया जाता है। नौ दिनों तक चलने नवरात्र पर्व में माँ दुर्गा के नौ रूपों क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री देवी की पूजा का विधान है। नवरात्र के इन प्रमुख नौ दिनों में लोग नियमित रूप से पूजा पाठ और व्रत का पालन करते हैं।
दुर्गा पूजा के नौ दिन तक देवी दुर्गा का पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ इत्यादि धार्मिक किर्या पौराणिक कथाओं में शक्ति की अराधना का महत्व व्यक्त किया गया है। इसी आधार पर आज भी माँ दुर्गा जी की पूजा संपूर्ण भारत वर्ष में बहुत हर्षोउल्लास के साथ की जाती है।
घट स्थापना हेतु शुभ मुहूर्त -
- दिनांक - 13 अप्रैल 2021
- लाभ - अमृत चौघड़िया
- मध्यान्ह - 10:53:41 से 14:03:28
शुभ चौघडिया
- दोपहर - 15:38:21 से 17:13:14
लाभ चौघडिया
- रात्रि - 20:13:14 से 21:38:21
चैत्र नवरात्र पूजन का आरंभ घट स्थापना से शुरू हो जाता है। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन प्रात: स्नानादि से निवृत हो कर संकल्प किया जाता है। व्रत का संकल्प लेने के पश्चात मिटटी की वेदी बनाकर जौ बौया जाता है। इसी वेदी पर घट स्थापित किया जाता है। घट के ऊपर कुल देवी की प्रतिमा स्थापित कर उसका पूजन किया जाता है। तथा "दुर्गा सप्तशती" का पाठ किया जाता है। पाठ पूजन के समय दीप अखंड जलता रहना चाहिए।
दुर्गा पूजा के साथ इन दिनों में तंत्र और मंत्र के कार्य भी किये जाते है। बिना मंत्र के कोई भी साधाना अपूर्ण मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार हर व्यक्ति को सुख-शान्ति पाने के लिये किसी न किसी ग्रह की उपासना करनी ही चाहिए। माता के इन नौ दिनों में ग्रहों की शान्ति करना विशेष लाभ देता है। इन दिनों में मंत्र जाप करने से मनोकामना शीघ्र पूरी होती है। नवरात्रे के पहले दिन माता दुर्गा के कलश की स्थापना कर पूजा प्रारम्भ की जाती है।
तंत्र-मंत्र में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिये यह समय ओर भी अधिक उपयुक्त रहता है। गृहस्थ व्यक्ति भी इन दिनों में माता की पूजा आराधना कर अपनी आन्तरिक शक्तियों को जाग्रत करते है। इन दिनों में साधकों के साधन का फल व्यर्थ नहीं जाता है। मां अपने भक्तों को उनकी साधना के अनुसार फल देती है। इन दिनों में दान पुण्य का भी बहुत महत्व कहा गया है।
हमारी चेतना के अंदर सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण- तीनों प्रकार के गन व्याप्त हैं। प्रकृति के साथ इसी चेतना के उत्सव को नवरात्रि कहते है। इन ९ दिनों में पहले तीन दिन तमोगुणी प्रकृति की आराधना करते हैं, दूसरे तीन दिन रजोगुणी और आखरी तीन दिन सतोगुणी प्रकृति की आराधना का महत्व है।
माँ भगवती की आराधना -
नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों - महालक्ष्मी, महासरस्वती या सरस्वती और दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दुर्गा का मतलब जीवन के दुख कॊ हटानेवाली होता है। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत में महान उत्साह के साथ मनाया जाता है। माँ सिर्फ आसमान में कहीं स्थित नही हैं, बल्कि इस मंत्र से आप समझ सकते है-
या देवी सर्वभूतेषु चेतनेत्यभिधीयते। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
भावार्थ : जो देवी सब प्राणियों में चेतना कहलाती हैं, उनको नमस्कार, उनको नमस्कार, उनको बारंबार नमस्कार है।
नौ देवियों के नाम-
- शैलपुत्री - इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है।
- ब्रह्मचारिणी - इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
- चंद्रघंटा - इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
- कूष्माण्डा - इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
- स्कंदमाता - इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।
- कात्यायनी - इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।
- कालरात्रि - इसका अर्थ- काल का नाश करने वली।
- महागौरी - इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।
- सिद्धिदात्री - इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।


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