- रामसनेहीघाट पुलिस से हुई शिकायत नही हुई विधिक कार्यवाही, अनशन के लिए बाध्य होंगे पत्रकार
विशेष संवाददाता सूरज सिंह
बाराबंकी। रामसनेहीघाट कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम मुरारपुर में 25 वर्षीय विवाहित महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की सूचना मिली, दूसरे पक्ष ने सुनवाई न होते देख पत्रकारों को बुला लिया। जबकि दबंग ग्राम प्रधान मुरारपुर राम शरन वर्मा ने अपने समर्थकों ने कवरेज करने आई पत्रकार टीम पर जानलेवा हमला कर दिया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक ग्राम मुरारपुर में विवाहित महिला की हुई मौत को लेकर तरह तरह की चर्चाएं हो रही है, विवाहित महिला ने आत्महत्या की या उसकी हत्या की गई ये तो समय के गर्भ में है, ग्रामीणों ने पत्रकारों को दिया महिला की मौत की सूचना पत्रकारों को दी पहुंची पत्रकार टीम ने जब ग्राम प्रधान से पूछा कि यहां कोई अप्रिय घटना घटित हुई है क्या?
इतना सुनते ही ग्राम प्रधान राम शरन वर्मा आग बबूला हो गए, कुछ ना बताते हुए पत्रकारों पर ग्राम प्रधान राम शरण व प्रधान समर्थकों ने ग्राम प्रधान के कहने पर गाली-गलौज व मारपीट करने लगे जिसमें पत्रकार टीम में पत्रकार डा. मनीष सिंह को व उनके साथियों को लाठी-डंडों व लात-घूंसों से पत्रकारों पर हमला कर दिया एवं पत्रकार डा. मनीष सिंह के पर्स में 4600 रुपये सहित मोबाइल व सोने की चेन आदि छीन लिया गया।
अपने को घिरा देख पत्रकार मौके से अपनी जान बचाकर किसी तरह वहां से भाग निकलें। पत्रकारों ने मारपीट की सूचना डायल 112 पर दी। प्रधान व उनके समर्थकों द्वारा पत्रकारों की छीनी हुई बाइक मौके पर पहुँची पीआरवी ने पत्रकारों को सौंप दी। इस घटना से पत्रकार जगत में आक्रोश व्याप्त है, इस प्रकरण को लेकर क्षेत्रीय पत्रकारों द्वारा प्रशासन को चेतावनी भी दी गई है अगर आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं होता तो वह जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर कोविड नियमों का पालन करते हुए अनशन शुरू करेंगे।
जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी रामसनेहीघाट पुलिस प्रशासन की होगी, अब देखना यह है कि प्रकरण का उच्च अधिकारियों के संज्ञान में आने पर आरोपियों के खिलाफ क्या कार्यवाही करते हैं क्या पत्रकार को न्याय मिल पाता है या नहीं? सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पत्रकारों के हित में नए नए कानून बनाती रहती है लेकिन जब पत्रकारों पर हमला होता है तो प्रशासन दूर जाकर खड़ा होता है।
क्या योगी सरकार की यही सुरक्षा व्यवस्था है? आए दिन कहीं न कहीं पत्रकारों का शोषण होता रहता हैं। पत्रकारो के शोषण का प्रकरण पहली बार नहीं आए दिन जगह-जगह पत्रकारों को झेलना पड़ता है। पत्रकारों के शोषण ऐसे ही होता रहा तो वो दिन दूर नही। परन्तु जब उनकी सुरक्षा की बात आती है तो शासन-प्रशासन मुंह मोड़ लेता है, खैर अब देखना यह है कि संविधान का चौथा स्तंभ कहा जाने वाला मीडिया अर्थात् पत्रकार को किस प्रकार से न्याय मिलता है।
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