पच्चीस हजार से अधिक लोगों तक पहुंची सदगुरु ट्रस्ट की अन्न सेवा



  • लॉकडाउन में निरन्तर हो रहा भोजन पैकेट का वितरण

अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ, बांदा 

चित्रकूट। चित्रकूट में स्थापित नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध सेवा संस्थान, मानवसेवा के अग्रदूत परम पूज्य संत श्री रणछोड़दास जी महाराज के पावन कर-कमलों द्वारा चित्रकूट के जानकीकुंड में स्थापित सेवा संस्थान श्री सदगुरु सेवा संघ ट्रस्ट अपने स्थापना वर्ष से वर्तमान तक अनेक अवसरों पर देश के विभिन्न हिस्सों में आपदा एवं महामारी के समय राहतकार्य आयोजित करती आ रही है। उसी की श्रुंखला में विगत एक वर्ष से जारी कोविड-19 संक्रमण के बचाव हेतु शासन द्वारा घोषित लॉकडाउन में चित्रकूट एवं आसपास के अनेकों आदिवासी ग्रामों-बस्तियों पर आय का साधन बाधित होने से दुष्प्रभाव पड़ा है।


अनेकों ऐसे आदिवासी एवं ग्रामीण लोग जो प्रतिदिन मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का पेट पालते थे, उनके लिए धनोपार्जन का एक बहुत बड़ा संकट समस्त गतिविधियां बन्द होने से आ खड़ा हुआ एवं क्षेत्र में अनेक गांवों में लोग आवागमन के साधन बंद होने से भोजन की कमी से जूझने लगे, तब सदगुरु ट्रस्ट ने ऐसे समय पर राहतकार्य का बीड़ा उठाया। जिसके अंतर्गत मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में गांवों को चिन्हित कर प्रतिदिन उन गांवों तक भोजन के पैकेट, फल एवं गुरुदेव के प्रसाद स्वरुप सुखडी उपलब्ध कराने का कार्य विगत 20 दिनों से संचालित हो रहा है। 


इस वर्ष ट्रस्ट द्वारा इस कार्य के अंतर्गत 25000 लोगों तक यह नि:शुल्क सेवा पहुंचाई जा चुकी है। म.प्र. मोकमगढ़, रजोला, पढ़हा, सुडांगी, जुगुलपुर, सेजवार, पालदेव, चौबेपुर, बटोही के साथ उत्तर प्रदेश के मानिकपुर क्षेत्र में उमरी, भैरमपुरवां, गोबरहाई, सर्वोदयपुरवा, टिकरी, कल्यानपुर, लक्ष्मनपुर आदि जगहों पर वितरण किया जा रहा है।

प्रतिदिन प्रातः 6:00 बजे से ही जुट जाते हैं सदगुरु अन्नपूर्णा के कार्यकर्ता

ट्रस्ट के अंदर संचालित अन्नपूर्णा रसोई के कुशल एवं सेवाभावी कार्यकर्ता ग्रामीण आदिवासियों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए प्रतिदिन सुबह 6:00 बजे से ही भोजन बनाने की प्रक्रिया में जुट जाते हैं। वर्तमान में लगभग 80 लोगों की टीम इस काम के लिए पूरी तन्मयता तथा समर्पणभाव से इस काम के लिए परिश्रम कर रहे हैं। 


जिसमें अन्नपूर्ण की टीम के साथ सदगुरु शिक्षा समिति के शिक्षक भी अपना समय एवं योगदान दे रहें हैं  सभी का यह कहना है कि, अभाव एवं महामारी के समय हम सभी का एक ही उद्देश्य है कि क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति, बाल, वृद्ध भोजन की कमी से न जूझे, साथ ही ऐसे कठिन समय में अपने एवं परिवार के भोजन के लिए उन्हें अपने सुरक्षा घेरे से बाहर ना आना पड़े। 

प्रतिदिन लगभग 1800 भोजन पैकेट ठबनाने की प्रक्रिया सुबह 6:00 बजे शुरू हो जाती है, जिसमें स्वच्छता एवं सफाई के साथ गुणवत्ता युक्त भोजन तैयार होता है और चार-पाँच घन्टे के परिश्रम के बाद भोजन के पैकेट तैयार होकर सदगुरु अन्नपूर्णा वाहनों तक पहुँचाया जाता है जहाँ से यह मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के विभिन्न गावों में वितरण के लिए आगे जाते हैं।

गाँव-गाँव भोजन पैकेट का वितरण करने वाली टीम के सदस्य भी कोरोना नियमों के पालन के साथ प्रतिदिन बहुत तन्मयता के साथ इस भीषण गर्मी में सुदूर कस्बों तक समय से पहुँचते हैं जहाँ क्षेत्र के लोग उनका टकटकी लागाये इंतज़ार करते हैं। यद्यपि ऐसे समय में अन्नपूर्ण रसोई में सामग्री की उपलब्धता के लिए कभी-कभी कठिनाइयां सामने आती हैं, परंतु उन सब के बावजूद भी ट्रस्ट द्वारा इस राहत कार्य में किसी भी प्रकार की अड़चन एवं बाधा ना आए इस उद्देश्य से सदगुरु अन्नपूर्णा रसोई के दर्जनों कार्यकर्ता दिन-रात इस काम को अंजाम देने में अपना अपना पूरा योगदान सेवाभाव से दे रहे हैं।

ट्रस्ट के निदेशक एवं ट्रस्टी डॉ. बी.के. जैन ने इस संदर्भ में बताया कि, गुरुदेव ने सबसे महत्वपूर्ण सेवा जो बतलाई है वह है ‘मानव सेवा’ और उनका सूत्र था “भूखे को भोजन, वस्त्रहीन को वस्त्र और दृष्टिहीन को दृष्टि” दरिद्रनारायण, साधु और अभ्यागतों को भोजन की उपलब्धता करवाना ही गुरुदेव ने सच्ची सेवा माना है। गुरुदेव ने एक स्थान पर कहा भी है “स्वाहा’- ‘आहा’ एक है, निश्चय कर विश्वास स्वाहा से हरि तोषिये, आहा से हरिदास। 

अन्न्सेवा का यह कार्य गुरुदेव के समय में भी संचालित होता था, गुरुदेव बाढ़, अकाल, भूकम्प आदि के समय राहत शिविर लगाते थे और उनमें हजारों की संख्या में लोगों की अन्न्सेवा करते थे बिहार, उड़ीसा, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि में गुरुदेव ने अनेको बार अन्न्सेवा की है अतः यह सभ हमारी विरासत ही है इसमें हम कुछ नया नहीं कर रहे, केवल उनके उद्देश्यों की पूर्ति ही है।  

पूज्य गुरुदेव स्वयं अपने काल में भी अनेकों अवसरों पर अभ्यागत साधु-संतों गरीबों निराश्रितों के लिए स्वयं ही दान एकत्र करके उनके भोजन की समुचित व्यवस्था किया करते थे तथा उनका यह सूत्र वाक्य था कि, मैं इन दरिद्र नारायण में अपने राम को देखता हूं उनके इसी सूत्र को लेकर आज भी उनके कर कमलों द्वारा स्थापित यह ट्रस्ट इस वाक्य को का अक्षर से पालन करता है एवं हमारा यह प्रण है कि चित्रकूट के क्षेत्र में किसी भी आदिवासी गरीब भाई बहन को भोजन की कमी हम नहीं होने देंगे यह हम सभी का दायित्व है। साथ ही उन्होंने इस बात की प्रसन्नता भी जाहिर करी कि अन्नपूर्णा रसोई एवं शिक्षा समिति के कार्यकर्ता इस काम में पूरी तन्मयता से यह कार्य कर रहे हैं।

साथ ही शासन एवं प्रशासन के दिशा-निर्देशों के अनुसार लोगों को भोजन प्रदान करने के साथ-साथ उनको संक्रमण से बचाव हेतु जागरूकता का भी कार्य भोजन वितरण वाहन द्वारा किया जा रहा है। जिसमें प्रतिदिन टीम माइक अनाउंसमेंट द्वारा लोगों को मास्क, दो गज की दूरी एवं सैनिटाइजर का प्रयोग करने के लिए तथा बुखार हल्की सर्दी खांसी जुकाम आदि के लक्षण होने पर तुरंत जांच कराए जाने के लिए भी जागरूक कर रहे है।

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