- त्रिस्पृशा-एकादशी' का पारण त्रयोदशी मे करने पर 100 यज्ञों का फल प्राप्त होता है
राजेश शास्त्री, संवाददाता
पद्मपुराण के अनुसार यदि सूर्योदय से अगले सूर्योदय तक थोड़ी सी एकादशी, द्वादशी, एवं अन्त में किंचित् मात्र भी त्रयोदशी हो, तो वह 'त्रिस्पृशा-एकादशी' कहलाती है ।यदि एक 'त्रिस्पृशा-एकादशी' को उपवास कर लिया जाय तो एक सहस्त्र एकादशी व्रतों का फल (लगभग पुरी उम्रभर एकादशी करने का फल ) प्राप्त होता है।
'त्रिस्पृशा-एकादशी' का पारण त्रयोदशी मे करने पर 100 यज्ञों का फल प्राप्त होता है। प्रयाग में मृत्यु होने से तथा द्वारका में श्रीकृष्ण के निकट गोमती में स्नान करने से, जो शाश्वत मोक्ष प्राप्त होता है, वह 'त्रिस्पृशा-एकादशी' का उपवास कर घर पर ही प्राप्त किया जा सकता है, ऐसा पद्मपुराण के उत्तराखण्ड में 'त्रिस्पृशा-एकादशी' की महिमा में वर्णन है।
आज 23-5-2021, दिन रविवार विक्रम संवत 2078 की वैशाख शुक्ल एकादशी है )इस अवसर पर यदि गृहस्थ जीवन में यदि घर के सभी सदस्यों को यह एक दिन का व्रत अवश्य करना चाहिए क्यों जीवन मे ऐसे समय बार-बार नही आते हैं।
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