खबर को लेकर पुलिस विभाग ने जारी की नोटिस



  • संवाददाता ने पुलिस विभाग से ससमय बयान जारी किये जाने का किया अनुरोध
  • प्रशासनिक अधिकारी पत्रकारों की स्वतंत्रता को दबाकर रखना चाहती है- जनरल सेक्रेटरी ईरा

अरबिन्द श्रीवास्तव

बांदा। मार्ग दुर्घटना की खबर प्रकाशित होने के बाद पुलिस विभाग द्वारा अखबार के संवाददाता को नोटिस जारी कर भ्रामक खबर प्रसारित करने का आरोप लगाया। नोटिस का जवाब देते हुए संवाददाता ने खबर के प्रसारण के साक्ष्य देते हुए प्रशासनिक अधिकारियों के घटना के संदर्भां में बयान ससमय उपलब्ध कराने का हवाला दिया। 


मामला जनपद में प्रसारित लखनऊ से प्रकाशित एक अखबार से जुडा हुआ है। जिसमें बीते दिनों एक घटना की खबर प्रकाशित हुयी थी। आपकों बताते चले कि तीन दिन पूर्व जनपद के ओरन कस्बे में दो ट्रैक्टरों की जोरदार भिडंत हो गयी थी। जिसमें चार महिलाओं की दर्दनाक मौत हो गयी थी। हालांकि देरशाम तक सोशल मीडिया में घटना आठ से ज्यादा लोगों की मौत की खबर चल रही थी। जिसके चलते अखबार के संवाददाता ने सोशल मीडिया का संज्ञान लेते हुए तथा घटनास्थल के स्थानीय निवासियों से बात कर खबर को प्रकाशन के लिए भेजा था। 

हालांकि देश शाम घटना को लेकर अपर पुलिस अधीक्षक ने बयान जारी कर घटना में चार लोगों की मौत की पुष्टि की। जिसकों भी अखबार में जगह भी दी गयी। वहीं घटना के दूसरे दिन उक्त खबर का फालोअप भी प्रकाशित किया गया। जिसमें चार लोगों की मौत की खबर की जानकारी प्रकाशित की गयी। 

बावजूद इसके पुलिस विभाग द्वारा संवाददाता को नोटिस भेजकर साक्ष्य देने व कार्यवाही की बात कही गयी। वहीं संवाददाता ने नोटिस का जवाब देते हुए पूरे साक्ष्य पुलिस विभाग को उपलब्ध कराकर अपना पक्ष बताया। साथ ही पुलिस के आलाधिकारियों से मांग की कि घटनाओं के संदर्भ में ससमय विभाग के अधिकारियों द्वारा बयान जारी किया जाये। जिससे खबरों में भिन्नता आने से बचा जा सके। 

जनपद में इस मामले को लेकर पत्रकारों के बीच चर्चा बनी रही। वहीं इस संदर्भ में इंडियन रिपोटर्स एसोशिएशन के प्रदेश जनरल सेक्रेटरी अरविंद श्रीवास्तव ने कहा कि ऐसी छोटी घटनाओं की खबरों पर पुलिस एक पत्रकार को नोटिस भेजकर अपनी ही छवि खराब करती है। 

इससे यह प्रतीक होता है कि जनपद में बैठे प्रशासनिक अधिकारी पत्रकारों की स्वतंत्रता को दबाकर रखना चाहती है।कहा कि इस तरह कि प्रशासनिक तानाशाही बर्दाश्त नहीं कि जायेगी। कहा कि ऐसी कार्यवाहियां बर्दाश्त योग्य नहीं है। जितना पुलिस अपने कार्य के प्रति सजग रहती है उससे भी कहीं ज्यादा पत्रकारों के उपर दायित्व होता है।

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