बुंदेली मजदूरों के हकों पर डाका डाल रहे बालू खदान संचालक

प्रतिबंधित मशीनों से नदी में अवैध खनन

  • निहालपुर खदान में धड़ल्ले से जारी है अवैध खनन का खेल
  • प्रतिबंधित मशीनों से हो रहा अवैध खनन
  • बालू खदानों में मशीनों के इस्तेमाल की वजह नहीं थम रहा मजदूरों का पलायन

अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ 

बांदा। देश के कोने-कोने में फैले बुंदेली मजदूरों के बुरे दिन लगातार आते ही जा रहे हैं। बुन्देलखण्ड में गैर जनपदों के तैनात अफसरानों को उनका दुख नहीं दिखता। यही वजह है कि बुन्देलखण्ड के मजदूरों का पलायन लगातार दशकों से जारी है। हर वर्ष लाखों की तादाद में यहां के मजदूर रोजी-रोटी के चक्कर में दिल्ली, मुंबई, गुजरात सहित अन्य स्थानों पर पलायन कर जाते हैं। 

यदि यहां के प्रशासनिक अमले को पलायन के लिए दोषी कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि यहां के गरीब मजदूरों के हकों पर डाका डालने वाले गैर जनपदों के बालू माफियाओं को प्रशासनिक अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त होने से पलायन की रफ्तार सुस्त पड़ने के बजाय दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है। यदि इसी रफ्तार से यहां के मजदूर पलायन करते रहे तो वो दिन दिर नहीं जब बुन्देलखण्ड का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा। 

इंसान के जीवन जीने के लिए मलभूत जरूरतों में शुमार रोटी, कपड़ा और मकान के लिए हर कोई अपनी पूरी जिंदगी जद्दोजहद करता है। लेकिन अपने ही जिले में जब रोटी यहां के लोगों को न मिलकर दूसरे प्रांतों के लोगों की आय का जरिया बने तो भला पलायन कैसे रूकेगा। 

दरअसल बुन्देलखण्ड के मजदूरों के पलायन के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार यहां के बालू खदानों के संचालक व उनको संरक्षण के देने वाले अधिकारियों को कहा जाये तो कोई बड़ी बात नहीं है। अब जिले के गिरवां थाना क्षेत्र में संचालित निहालपुर खदान में रोजाना प्रतिबंधित मशीनों से नदी की जलधारा में अवैध खनन किया जाता है। 

इस खदान से रोजाना सैकड़ों ओवरलोड ट्रक बालू भरकर गैर जनपदों में रवाना हो जाते हैं। वहीं अवैध तरीके से खनन में मुलव्विस यहां के खदान संचालक को अधिकारियों को संरक्षण प्राप्त होने से ये नाजायज काम धड़ल्ले से यूंही चल रहा है। 

यदि इसी बालू खदान में प्रतिबंधित मशीनों के स्थान पर बुंदेली मजदूरों को खनन के काम में लगाया जाये तो केवल इस निहालपुर खदान मात्र में ही हजारों मजदूरों को काम मिल जायेगा। अपने गृह जनपद में ही मजदूरों को वाजिब मजदूरी मिलने से उनको गैर प्रांतों में पलायन के लिए जाना ही नहीं पड़ेगा। 

लेकिन यहां पर तैनात गैर जनपदों के अफसरानों को यहां के मुफलिस मजदूरों का दर्द ही नहीं दिखता। खुलेतौर खनन माफियाओं को उनका संरक्षण प्राप्त होने से बुंदेली मजदूरों के हकों पर डाका डालने का कार्य खदान संचालकों के द्वारा किया जाता है।
 
मान्नीयों के परिजन भी ओवरलोडिंग में लिप्त

मान्नीयों के ओवरलोडिंग

माफियाओं की अवैध कमाई का जरिया बनीं जिले की बालू खदानों में असफरों के साथ-साथ के मान्नीयों का भी पूरा दखल होता है। इसकी बानगी इसी बात से लगाई जा सकती है कि यहां के एक मान्नयी के पुत्र के डम्फर खदानों के पूरी तरह ओवरलोड भरकर पुलिस के सामने से ही फर्राटा भरते नजर आते हैं। 

भला किसी में इतनी दम कहां कि सत्तापक्ष से जुड़े इस मान्नीय के पुत्र की ओवरलोड गाड़ियों को रोक सके। चित्रकूट जिले में रहने वाले मान्नीय के पुत्र की ओवरलोड गाड़ियों में उनके पुत्र की कम्पनी का नाम देखकर ही अधिकारी व पुलिसकर्मी बेबस नजर आते हैं।

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