Gandhi faiz e aam college : अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर दर्शनशास्त्र विभाग के द्वारा वर्चुअल सेमिनार का किया गया आयोजन


तबरेज आलम,  संवाददाता 

शाहजहांपुर। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर गांधी फ़ैज़-ए-आम महाविद्यालय, शाहजहांपुर के दर्शनशास्त्र विभाग के द्वारा वर्चुअल सेमिनार का आयोजन किया गया। इंडियन काउंसिल ऑफ फिलोसोफीकल रिसर्च, मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन, गवर्नमेंट ऑफ इंडिया, नई दिल्ली द्वारा अनुदानित इस सेमिनार का विषय 'इंपॉर्टेंस ऑफ योगा इन प्रेजेंट वर्ल्ड' निर्धारित किया गया था। 

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ के शारीरिक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर सैयद तारिक़ मुर्तजा ने अपने ओजस्वी भाषण में गीता से उदाहरण लेते हुए एवं गीता के श्लोकों का वर्णन करते हुए योग से संबंधित गूढ़ तथ्यों का प्रतिपादन किया। योगसूत्र के श्लोकों का वर्णन करते हुए योग के महत्त्व को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि  ‘योग’ शब्द से मानसिक, बौद्धिक एवं शारीरिक समन्वयन एवं तादात्म्य अभिप्रेत है। महर्षि पतंजलि ने योग सूत्र में कहा है कि चित्त की नकारात्मक वृत्तियों को रोकना ही योग है।

महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली के दर्शनशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रज्जन कुमार ने कहा कि योग स्वस्थ जीवन व्यतीत करने की कला तथा विज्ञान है। योग करने का मकसद आत्मज्ञान की प्राप्ति तथा सभी प्रकार की शारीरिक परेशानियों को दूर करना है। योग मनुष्य के मन और आत्मा की अनंत क्षमता को बढ़ाकर आत्मज्ञान की प्राप्ति करवाता है। योग करने से  हमारा शरीर स्वस्थ और तंदुरुस्त रहता है। 

साहू राम स्वरूप महिला विश्वविद्यालय की योग शिक्षिका डॉ. गरिमा ने कहा कि आधुनिक युग में योग का महत्व बढ़ गया है। इसके बढ़ने का कारण व्यस्तता और मन की व्यग्रता है। आधुनिक मनुष्य को आज योग की ज्यादा आवश्यकता है, जबकि मन और शरीर अत्यधिक तनाव, वायु प्रदूषण तथा भागमभाग के जीवन से रोगग्रस्त हो चला है।

आयुष विभाग के योग प्रशिक्षक मृदुल कुमार गुप्ता ने कहा कि योग से स्मरण शक्ति बढ़ती है। एकाग्रता और नेतृत्व करने की क्षमता में वृद्धि होती है और शरीर रोगमुक्त रहता है। उन्होंने विद्यार्थियों को जंक फूड से दूर रहने का आह्वान किया। जंक फूड से शरीर को नुकसान पहुचता है और पाचन शक्ति प्रभावित होती है। 

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. नसीम उश्शान खान ने कहा कि योग मानसिक संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है। यदि हम कभी बहुत कठिन अध्ययन अध्यापन करते हैं और अप्रत्याशित परिणाम नहीं पाते हैं तब हमारा मन चिंता और उदासी में डूब जाता है। योग का निरंतर अभ्यास हमें उदासी से मुक्त करता है। योग हमें सिखाता है कि कैसे हम आत्म संलग्न होकर अच्छा से अच्छा करने की कोशिश कर सकते हैं। यह मानसिक संतुलन बनाए रखता है। यादाश्त क्षमता अधिक करता है

अंत में सभी अतिथियों का आभार महाविद्यालय की दर्शनशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सीमा शर्मा ने किया। सेमिनार का संचालन डॉ. मंसूर अहमद सिद्दीकी ने किया। सेमिनार में डॉ. युक्ति माथुर, डॉ. फैयाज अहमद, डॉ. मसीउल्ला खान, डॉ. इमरान खान, डॉ. रईस अहमद, डॉ. स्वप्निल यादव, डॉ.  नीलम टंडन, मख़फ़ी फातिमा, डॉ. बरखा सक्सेना और रिजवान अहमद आदि मौजूद रहे।


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