- शांतिभंग, मारपीट, छेड़खानी और धमकाने की धाराओं में पुलिस ने लिखा मुकदमा
- सत्ता के दबाव में नहीं लिखा गया था मुकदमा
- न्यायालय के आदेशों के बाद पुलिस ने की कार्यवाही
बांदा। जनपद ही नही अपितु पूरे प्रदेश में महिला उत्पीड़न से संबंधित अपराधों में खासा बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। जनपद बांदा की बात की जाय तो कहीं महिला उत्पीड़न के चलते महिलाएं फांसी लगा लेती है तो कहीं बुजुर्ग महिला का सिर पत्थर से कुचलकर भीभत्स हत्या अज्ञात हत्यारों द्वारा कर दी जाती है। ऐसा ही एक महिला उत्पीड़न का मामला मुख्यालय से महज चंद किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम महोखर से प्रकाश में आया है। घटना 23 मई की है परंतु पुलिस द्वारा पीड़ित महिला की प्रथम सूचना रिपोर्ट सत्ता के दबाव चलते नही लिखी गई। थक हारकर पीड़ित महिला न्यायालय की शरण में गई और न्यायालय के आदेशों के बाद आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवाया गया।
देहात कोतवाली अंतर्गत ग्राम महोखर निवासी 32 वर्षीय महिला ने न्यायालय में 156/3 के तहत गुहार लगाई और आरोप लगाया कि 23 मई की दोपहर करीब तीन बजे वह और उसकी बेटी अपने घर में अकेली थी तभी प्रधानपति धीरेंद्र सिंह पुत्र जगपाल सिंह उसके सहयोगी राहुल सिंह पुत्र छोटे सिंह व धर्मेंद्र सिंह पुत्र जरैला सिंह शराब के नशे में धुत होकर घर के अंदर घुस आए और पिता की घर में मौजूदगी के विषय में जानकारी लेते हुए पानी की मांग की। बेटी ने बताया कि पिता जी जरूरी काम से बाहर गए हैं और पानी लेने चली गई। बेटी के अंदर जाते ही आरोपितों ने महिला के साथ छेड़खानी और इधर उधर छूना शुरू कर दिया।
महिला द्वारा विरोध करने व चीखने चिल्लाने पर मारपीट करते हुए आरोपियों ने कहा कि ग्राम पंचायत के चुनाव में तुम्हारे पति ने हमारा बहुत विरोध किया है फिर भी हमारी ताकत के चलते हम चुनाव जीत गए हैं इसलिए तुम लोग जल्दी से गांव छोड़कर कहीं भी भाग जाओ वर्ना जान से मार देंगे। शोर शराबा सुनकर उनकी सास और मोहल्ले के लोग दौड़े तो आरोपी जान से मारने और देख लेने की धमकी देते हुए फरार हो गए। पीड़िता ने बताया कि आरोपियों को सत्ता का समर्थन प्राप्त है जिसके चलते संबंधित थाने में कोई सुनवाई नहीं हुई और ना ही आरोपियों के विरुद्ध कोई कार्यवाही हुई जबकि थाना पुलिस उत्पीड़ित महिला को लगातार दो दिनों तक थाने बुलाती रही।
सत्ता के दबाव में आकर पुलिस पीड़िता पर राजीनामा होने का दबाव बनाती रही जो जनपद पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाती है। आरोपियों के विरुद्ध कार्यवाही ना होने से हताश पीड़ित महिला ने न्यायालय की शरण ली तब न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने आरोपितों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया है। पीड़िता को न्याय मिलेगा या फिर सत्ता के दबाव में आकर स्थानीय पुलिस मामले को रफा दफा करेगी ये वक्त के अंधेरे में है। जबकि प्रदेश की योगी सरकार के सख्त आदेश हैं कि महिला उत्पीड़न के मामलों में त्वरित कार्यवाही हो फिर भी पुलिस की कार्यशैली जस की तस है यदि ऐसा ही चलता रहा तो कैसे मिलेगा जनता को न्याय और कैसे महिलाएं सुरक्षित रहेंगी।
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