शिवम सिंह, संवाददाता
पैलानी/बांदा। लगातार तीन दिनों से हो रही रुक-रुक कर बारिश से जहां एक और केन नदी अपने फुल पेटा भर-भर गई है। वहीं दूसरी ओर यमुना नदी के उल्टा बहने की वजह से लगातार के नदी बढ़ रही है केन नदी के किनारे बसे सिमरा डेरा शिवपाल, डेरा व चनिया डेरा में रहने वाले बस्ती के लोग तेजी से बढ़ रही के नदी को लेकर अभी से सचेत हो गए हैं। हालांकि शासन की ओर से अभी तक किसी भी प्रकार का अलर्ट जारी नहीं किया गया है।
चनिया डेरा निवासी जगतपाल निषाद जगन्नाथ निषाद कमलेश निषाद सिमरा डेरा निवासी राम चरण निषाद रानी निषाद सहित कई ग्रामीणों का यह मानना है कि केन नदी के किनारे बसे सिमरा डेरा में सबसे पहले नदी का पानी पहुंच जाने से सेमरा डेरा प्रभावित हो जाता है। इसी तरह जैसे जैसे बाढ़ तेजी के साथ बढ़ती गई केन नदी का पानी चनीया डेरा व शिवपाल डेरा को भी अपने आगोश में ले लेता है यहां पर किसानों द्वारा बोली गई। तीली, अरहर, मूंग एवं उड़द की फसलें केन नदी की बाढ़ से सबसे पहले प्रभावित हो जाती हैं।
लोगों का मानना है की इन मजरों पर रहने वाले किसान अपनी खेती बाड़ी के लिए मजबूर होकर यहां अपने घरों से बनाकर रहते हैं। जबकि सन 1992 में आई भयावह बाढ़ के चलते इन सभी डेरा वासियों के शासन द्वारा खप्टिहा कलाँ गांव में पट्टे किए गए थे जिनमें अधिकांश रिहायशी पट्टे कुछ लोगों ने या तो बेच दिए हैं और कुछ लोगों में घर बना कर रहने की भी व्यवस्था कर ली है शासन के अलर्ट जारी करने के बाद भी इन मजरों में रहने वाले लोग तब तक अपने घर नहीं छोड़ते जब तक नदी का पानी इन की छत के नीचे नहीं भर जाता है।
कई बार केन नदी की बाढ़ से इस कस्बे में भीषण हादसे भी हो चुके हैं परंतु फिर भी इन नजरों में रहने वाले किसान जो ज्यादातर निषाद बिरादरी के हैं इन्हीं नजरों में अपना ठिकाना बनाए हुए हैं।
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