Banda News : पशुपालक वर्षा ऋतु में अपने पशुओं का रखें विशेष ध्यान - डा. यूएस गौतम

डा. यूएस गौतम

  • कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति ने किसानों को दी सलाह


बांदा। वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही पशुओं की देख-रेख पर विशेष ध्यान देना चाहिये। पशुपालन हर दृष्टिकोण से लाभ का व्यवसाय है। ऐसे में पशुओं के आहार एवं स्वास्थ्य प्रबन्धन पर विशेष ध्यान रखना आवश्यक है। आहार प्रबन्धन हेतु हरे चारे के साथ-साथ सुखा चारा एवं उचित मात्रा में राशन देने से पशुओं की उत्पादकता पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। हरे चारे की उपलब्धता से दुधारू पशुओं की भोज्य व्यवस्था को सुदृढ व पशुओं के पोषण पर होने वाले खर्च को भी कम किया जा सकता है। इसलिए इस समय पशुपालक व किसानबन्धु हरे चारे की फसलां मक्का, बाजरा, एम.पी.चरी, ज्वार नेपियर, घास इत्यादि की बुवाई करते है तो आने वाले समय के लिये चारे की उपलब्धता बनी रहेगी। 

विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 यू0एस0गौतम ने पशुपालकों को सलाह दी की हर हाल में पशुपालन को व्यवसायिक रूप से बढ़ाने हेतु वैज्ञानिक तकनीकी को अपनाना फायदेमंद होगा। कृषि विज्ञान केन्द्र के पशुपालन विभाग के वैज्ञानिक डा0 मानवेन्द्र सिंह ने पशुपालकों से अपील की कि पशुओं में विभिन्न प्रकार के संक्रमण रोग जैसे खुरपका मुँहपका, गलधोटू, चिकिन पॉक्स, लंगड़ी ज्वर इत्यादि के संक्रमण का खतरा बरसात मे बढ़ जाता है। 

फलस्वरूप इलाज में पशुपालकों को धन हानि के साथ-साथ मानसिक परेशानी भी बढ़ जाती है। अतः इन रोगों से बचाने के लिए टीकाकरण का कार्य प्रमुखता के साथ वर्षा शुरू होने से पहले कराया जाना अति आवश्यक है। अतः जिन पशुपालको ने अपने पशुओ में टीकाकरण नही कराया है वे सभी पशुपालक उपरोक्त बीमारियों से बचाव हेतु टीकाकरण पशुपालन विभाग के सहयोग से अवश्य करायें। वर्षा ऋतु में बकरी पालक अपने बकरीयों को रोग से बचाने हेतु साफ-सुधरा एवं सुखे जगह का चयन करें। 

विश्वविद्यालय के पशुपालन विभाग के सहायक प्राध्यापक, डा0 मयंक दूबे ने बताया कि पशुपालक दुधारू पशुओं का विशेष ध्यान रखें। वर्षा ऋतु में पशुओं के बैठने के स्थान में सूखा रखना आवश्यक है गीले स्थानों पर पशुओं को बाँधने से कई जीवाणु जनित रोगों के फैलने का खतरा बढ़ जाता है। सभी दुधारू पशुओं को समय से टीकाकरण करवाना पशुधन हानि से बचाने हेतु आवश्यक है। दुधारू पशुओं में दुग्ध उत्पादन हेतु आहार प्रबन्धन अच्छा होना चाहिये। जिससे उनके उत्पादन के साथ-साथ ब्यात पर भी धनात्मक प्रभाव पड़े।



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