राजेश शास्त्री, संवाददाता
बुध प्रदोष व्रत कल यानी 21 जुलाई (बुधवार) को है। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। हर माह की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखते हैं। शास्त्रों के अनुसार, त्रयोदशी तिथि भगवान शंकर को समर्पित होती है। ऐसे में प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। बुधवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव की प्रदोष व्रत के दिन विधि-विधान से पूजा करने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। हर माह कुल दो प्रदोष व्रत रखते हैं। इस तरह से कुल 24 प्रदोष व्रत रखे जाते हैं।
प्रदोष व्रत महत्व : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस संतान को करने से संतान पक्ष को लाभ मिलता है। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है।
प्रदोष व्रत पूजा- विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
- स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- अगर संभव है तो व्रत करें।
- भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।
- भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।
- इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
- भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- भगवान शिव की आरती करें।
- इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
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