Siddharth Nagar News : काला नमक धान में गैप फिलिंग का कार्य हुआ शुरू

                           

राजेश शास्त्री, संवाददाता 

सिद्धार्थनगर। जनपद सिद्धार्थनगर में आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र सोहना सिद्धार्थनगर पर काला नमक का 10 जन्म प्लाज का परीक्षण किया जा रहा है। जिसमें कंपलीटली रेंडमाइज ब्लॉक डिजाइन का प्रयोग किया गया है और इसकी पौधरोपण 12 जुलाई 2021 को किया गया था जिसमें आज 8 दिन बाद इसके अंदर गैप फिलिंग की जा रही है। 

उपरोक्त कार्यों के बाद यह देखा जा रहा है कि एक पंक्ति में 20 पौधे होने चाहिए। यदि कोई पौधा मर गया है या किसी रूप में 20 की जगह 21 है तो उसे 20 पौधा मेंटेन किया जाएगा और इसके अंतर्गत जिस जर्म्प्लाज्म का परीक्षण में जो भी वरायटी अच्छी होगी। इसको बायो टेक्नोलॉजी के माध्यम से इसके सुगंध को, इसके लंबाई को, इसके पकने के समय को जैसे 180 दिन का काला नमक धान  होता है तो इसे 140 से 145 दिन मैं पक्का तैयार हो जाए। 

एक ही पौधे में धान के सभी गुणों को डालकर एक ऐसा प्रजाति तैयार की जाएगी जो किसान को एक ही धान को लगाने पर सारे के सारे गुण मिले जैसे जिंक की मात्रा इसमें पच्चीस से तीस परसेंट अन्य धान की अपेक्षा अधिक होती है। आयरन की मात्रा अधिक होती है और पोषक तत्वों की मात्रा काफी अच्छी होती है जो करोना काल में लोगों को जान बचाने के लिए इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए बहुत ही कारगर सिद्ध हुआ है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इसे धान का मोती कहा जाता है । 

कृषि वैज्ञानिकों का यह दावा है कि आने वाले समय में कृषि विज्ञान केंद्र सोहना सिद्धार्थनगर से एक काला नमक की अच्छी से अच्छी प्रजाति उत्पन्न होगी। इसका सहयोग उत्तर प्रदेश की अनुसंधान परिषद लखनऊ जिसे उपकार भी कहते हैं उसके वित्तीय सहयोग डॉक्टर ए. के. सिंह निदेशक भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा नई दिल्ली के सहयोग से चलाया जा रहा है। 

जिसका संरक्षण में डॉ विजेंद्र सिंह माननीय कुलपति आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के माध्यम से किया जा रहा है। इसके को- पियाई डॉ मार्कंडेय सिंह, डॉ. प्रदीप कुमार के देखरेख में यह परीक्षण किया जा रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र सोहना के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉक्टर एल सी वर्मा के तरफ से यह जानकारी जिला प्रशासन और महत्वपूर्ण वैज्ञानिकों को उपलब्ध कराई जा रही है।


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ