- जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यशैली पर लग रहे सवालिया निशान
शिवम सिंह, संवाददाता
बांदा/पैलानी। कमरे में एयर कंडीशन चल रहा है। भीनी भीनी इत्र की खुशबू आ रही है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी चाय पान की व्यवस्था में लगा है। लोग अपनी समस्या लेकर आ रहे हैं और उनकी समस्या सुनकर जल्द समाधान का आश्वासन लेकर जा रहे हैं। यह मंजर है मुख्यालय के विकास भवन में स्थित जिला पंचायती राज विभाग का। जहां से गांव के विकास को पंख लगते हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि गांव का विकास सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। देश और प्रदेश की सरकार ग्रामीण विकास को लेकर सजग दिखाई देती है। परंतु बहुत वर्ष बीत गए गांव के हालात जस का तस है।
कई बार अलग अलग प्रधान हुए परंतु किसी ने भी समस्या का समाधान ना किया। अलोना गांव की सड़कों और गलियों में फैला बदबूदार कीचड़ और गंदगी सच्चे विकास की सच्ची तस्वीर बयान करते हुए बीमारियों को न्यौता दे रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारियों को कई कई बार साफ सफाई के लिए कहा गया है परंतु पूर्व प्रधान और वर्तमान प्रधान की उदासीनता के चलते ग्रामीण नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। गांव की मुख्य सड़कों और बस स्टॉप के आस पास गंदगी का अंबार लगा है। गलियों से गुजरने पर कई कई बार ग्रामीण बुजुर्ग और महिलाएं गिरकर चोंट भी खा जाते हैं।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि विकास के लिए खर्च किए गए रुपयों में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। ग्रामीणों ने कई बार अधिकारियों को व्यवस्थाएं दुरुस्त करवाने के लिए लिखित पत्राचार भी किया है परंतु उदासीनता इतनी कि वर्षों बीत गए परंतु हालत जस के तस बने हुए हैं। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से जल्द समाधान का आग्रह किया है। स्वच्छ भारत मिशन की धज्जियां कैसे उड़ाई जाती हैं ये अलोना ग्राम पहुंचकर भली भांति देखा जा सकता है।
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