मन की बात : एक देश एक शिक्षा नीति लागू हो

  • 15 अगस्त तक PM मोदी ने मांगे है सुझाव
  • देश महंगी शिक्षा ग्रहण करने के लिए विवश हो रहा है
  • 29 जुलाई 2021को राष्ट्रीय शिक्षा नीति की पहली वर्ष गांठ पूरे देश में मनाई

"एक देश एक भारत, एक देश श्रेष्ठ भारत, एक देश एक शिक्षा, एक देश एक पाठ्यक्रम, एक देश एक विधान, एक देश एक परीक्षा, एक देश एक विषयवस्तु, एक देश एक पेंशन, एक देश एक मेधावी विद्यार्थी योजना"

बांदा। जनपद के उपभोक्ता फोरम में रीडर पद पर कार्यरत स्वंतत्र रावत पिछले 9 वर्षो से शिक्षा नीति पर और बच्चो की किताबो व अन्य मुद्दो पर सरकार से पत्राचार कर लगातार प्रयास कर रहे। बीते दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने जनता से मन की बात में सुझाव मांगे है। उसी क्रम में श्री रावत ने शिक्षा नीति पर एक सुझाव मोदी जी को सुझाव भेजा है।

एक देश एक शिक्षा

एक देश एक शिक्षा बोर्ड होगा तो विद्यार्थियों की अंकतालिका में सीबीएसई बोर्ड,आईसीएसई बोर्ड, यू पी बोर्ड, एम पी बोर्ड,बिहार बोर्ड,राजस्थान बोर्ड आदि के स्थान पर भारतीय शिक्षा बोर्ड/Indian Education Board अंकित होगा। इससे यदि भारत का विद्यार्थी विदेश में शिक्षा ग्रहण करने के लिए जाता है तो उसकी अंक तालिका में इंडियन एजुकेशन बोर्ड अंकित होगा। इससे भारत वर्ष के सरकारी स्कूलो और निजी शिक्षण संस्थानों में एक रूपता प्रदर्शित होगी। 

एक देश एक पाठ्यक्रम

भारत वर्ष में प्ले स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु अलग अलग किताबें, पाठ्यक्रम, विषय वस्तु,मनमानी मूल्य, अनगिनत प्रकाशक चल रहे है। पढ़ने वालो को भाषा अलग अलग हो सकती है। बच्चा चाहे गरीब हो या अमीर लेकिन उसे किताब वही पढ़ाई जाए जो एक अन्य भारत के नागरिक को पढ़ाई जाए। स्कूल निजी हो सकता है लेकिन पाठ्यक्रम और विषय वस्तु समान रूप से सभी को समान शिक्षा मिले। विद्यालय सरकारी हो या निजी पाठ्यक्रम और प्रकाशक एन सी ई आर टी नई दिल्ली का ही रहे। पाठ्यक्रम तैयार करते समय राज्यों से विषयवस्तु और महा पुरषों, सामान्य ज्ञान और विज्ञान और तकनीक को मंत्रना करके शामिल किया जा सकता है। विविधता में एकता यानी सभी राज्यों की बात करते हुए एक प्रकाशक एन सी ई आर टी के माध्यम से एक देश एक पाठ्यक्रम आधारित विषय वस्तु पढ़ाया जाए।

वही विषय वस्तु तैयार की जाए जो इंटर पास करने के बाद स्ट्रीम वार मेडिकल, इंजीनियरिंग, लॉ की प्रवेश परीक्षा में सफलता प्राप्त करने के पढ़ना अनिवार्य होता है। बार बार पाठ्यक्रम बदलने वाला सिस्टम बंद हो। करोड़ी कुंतल रद्दी होती है क्यों कि निजी शिक्षण संस्थानों में हर साल पाठ्यक्रम बदल दिया जाता है। इस पाठ्यक्रम बदलने से निश्चित रूप से हमारा देश महंगी शिक्षा ग्रहण करने के लिए विवश हो रहा है। पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए एक देश एक पाठ्यक्रम लागू किया जाना लोक हित में है।

एक देश एक परीक्षा

मेडिकल अब इंजीनियरिंग कॉलेजों में NEET and JEE के माध्यम से प्रवेश परीक्षा होने से पहले भारत में अलग अलग राज्याधीन एजेंसी परीक्षा कराती थी। अलग अलग शुल्क,अलग अलग विषय वस्तु, अलग अलग तिथियों में होती थी। परंतु अब शासकीय कॉलेज में दाखिला प्रक्रिया एक देश एक परीक्षा परिणाम के आधार पर होती है और इसी कटऑफ गुणांक के आधार पर निजी मेडिकल इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीट भरी जाती हैं। परीक्षा एजेंसी भी एक है। यह कदम सराहनीय है।

"पंच वर्षीय लॉ" की पढ़ाई करने वाले विदार्थी को अलग अलग शुल्क देकर अलग अलग विषय वस्तु पर अलग अलग केंद्रों में प्रवेश परीक्षा देना पड़ती है। शासकीय और गैर सरकारी संस्थाओं में में प्रवेश के लिए न तो कोई एक एजेंसी है और न ही कोई एक परीक्षा। विधि और कानून की पढ़ाई करने वाले विदर्थियो के लिए एक देश एक परीक्षा यानि  "NLAT (NATIONAL LAW ADMISSION TEST)" यदि कराया जाता है तो स्टूडेंट्स को  सरकारी और प्राइवेट विधि विश्व विद्यालय में प्रवेश पाने के लिए न तो अलग अलग शुल्क जमा करना पड़ेगा और न अलग अलग विषय वस्तु पढ़ना होगी। 

एक देश एक कोटा

वर्तमान  समय में मेडिकल, इंजीनियरिंग, लॉ आदि प्रवेश परीक्षा में रिक्त सीट के लिए अलग अलग राज्याधीन कोटा नियत है। इससे छात्र छात्राओं को प्रवेश परीक्षा में अच्छी जगह मिलने के बावजूद अन्य राज्यो मे स्टेट कोटा होने के कारण मनमाफिक कॉलेज में दाखिला नहीं मिल पाता। सम्पूर्ण भारत वर्ष में एक देश एक कोटा की व्यवस्था लागू करने पर विचार किया जा सकता है। इससे सबको समान रूप से अवसर मिलेगा।

एक देश एक मेधावी विद्यार्थी योजना

वर्तमान समय में अलग से अलग अलग राज्यों द्वारा अपने अपने राज्य के डोमोसायल धारकों को हाई स्कूल, इंटर कालेज,प्रतियोगी परीक्षाओं में बेहतर परिणाम पर मुख्य मंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना का लाभ दिया जाता है। अक्सर देखा गया है कि यू पी डोमा सायल धारक यदि एम पी में अच्छा प्रदर्शन करता है और सर्वोच्च अंक प्राप्त करता है।

लेकिन होनहार विद्यार्थी मात्र इस कारण से मुख्य मंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना का लाभ पाने से वंचित रह जाते हैं क्यों की वह उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। उत्तर प्रदेश में मेधावी विद्यार्थियों को दी जाने वाली सुविधाएं इसलिए नही प्राप्त होती क्यों की उस छात्र ने मध्य प्रदेश में स्कूली शिक्षा प्राप्त किया है। इसलिए सभी मेधावी विद्यार्थियों को एक देश एक योजना बनाई जा सकती है। 

एक देश एक सम्मान

"प्रधानमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना" का लाभ सभी मेधावी विद्यार्थियों को समान अवसर प्रदान किया जा सकता है।एनएलयू को केंद्रीयकृत कर यूजीसी का गाइड लाइन से आच्छादित करना। संपूर्ण भारत में विधि और न्याय व्यवस्था के अंतर्गत रुचि रखने वाले बच्चे एन एल यू में क्लैट के माध्यम से प्रवेश परीक्षा पास कर रहे हैं और राज्याधीन कोटे से चल रहे राष्ट्रीय विधि विश्व विद्यालय से पंच वर्षीय लॉ की डिगी हासिल कर रहे हैं। राज्याधीन एन एल यू होने के कारण सम्पूर्ण भारत में अलग अलग विषय वस्तु पर अलग अलग फीस जमा करा रहे हैं। सभी नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी को एक देश एक परीक्षा एक देश एक पाठ्यक्रम को आधार बनाकर सभी को केंद्रीय कृत करके राष्ट्रीय शिक्षा आयोग/यूजीसी की गाइड लाइन लागू करने पर नीतिगत निर्णय लिया जा सकता है।

एक देश एक विधान

सम्पूर्ण भारत में एक देश एक परीक्षा पास करके आईएएस, आईपीएस, आईएफएस आईआरएस की व्यवस्था है। विधि और न्याय व्यवस्था के अंतर्गत एक देश एक परीक्षा के लिए भारतीय न्यायिक सेवा (INDIAN JUDICIARY SERVICE) I.J.S. बनाने के लिए भारतीय न्यायिक सेवा आयोग बनाने के लिए नीति गत निर्णय लिया जा सकता है। 

एक देश एक पेंशन

वर्तमान में लोक सेवक सम्मानित जनप्रतिनिधि के लिए एक देश एक विधान के अंतर्गत एक देश एक पेंशन योजना बनाई जा सकती है। एक पद से अंतिम सेवा निवृत होने पर एक व्यक्ति/लोक सेवक को एक ही पेंशन का प्राविधान है। तो एक देश एक विधान के अंतर्गत एक देश एक लोक सेवक एक देश एक सम्मानित जनप्रतिनिधि को एक देश एक पद एक पेंशन योजना बनाई जा सकती है।

"बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" सम्पूर्ण भारत वर्ष में बेटी बचाओ अभियान चलाया जा रहा है। बेटी बचाना और पढ़ना इन दोनो अभियान को सफल बनाने के लिए बेटियों को घर से पढ़ाई के लिए आने जाने हेतु बस, ट्रेन में सफर करने पर सुरक्षित और आरक्षित बोगी मिले इसके लिए जरूरी है कि माताओं, बेटियो बहनों को सीट का कोटा बढ़ाया जाए। 

बेटियों को रेलवे में सीट बुक करने के लिए सीनियर सिटीजन की भांति छूट दी जा सकती है इससे बेटियों बहनों माताओं और उनके परिवार वालों को गर्व महसूस होगा कि वह भारत सरकार द्वारा संचालित बेटी बचाओ बेटी पढ़ाई अभियान में शामिल हैं और उन्हें भारत की सरकार पढ़ाई से लेकर रेल, प्लेन, बस में यात्रा करने पर सुविधा, सुरक्षा और उनका कोटा बढ़ाते हुए सीनियर सिटीजन जैसा लाभ भी दिलाया जा सकता है।



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