BANDA NEWS : किसान पाठशाला में कृषकों को बताए पराली जलाने के नुकसान


ओरन/बांदा। सोमवार को ग्राम पंचायत जरोहरा न्याय पंचायत पवैया विकास खण्ड बिसंडा में किसान कल्याण मिशन अंतर्गत दो दिवसीय किसान पाठशाला का शुभारम्भ संतोष वर्मा प्रधान के द्वारा किया गया जितेन्द्र कुमार शिवहरे बीटीएम कृषि विभाग द्वारा पाठशाला में फसल अवशेष पराली जलाने से होने वाली हानियों के बारे में बताया गया।बताया कि फसल अवशेष जलाने से जड़ तना पत्तियों में संचित लाभदायक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं । फसल अवशेषों को जलाने से मृदा ताप में बढ़ौतरी होती है, इसके कारण मृदा के भौतिक, रासायनिक एवं  जैविक दशा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। पशुओं के चारे की व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ता है ।

अतः कृषक बंधु किसी भी फसल अवशेष या पराली को जलाए नहीं। बल्कि मृदा में कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि हेतु पादक अवशेषों को मृदा में मिलावें या सड़ावे। फसल अवशेषों पराली को बायोडिक्म्पोजर के उपयोग से सड़ाया गलाया जा सकता है। बायोडिक्म्पोजर प्रयोग करने की विधि की जानकारी देते हुए बताया कि एक ड्रम या टंकी में 200 लीटर पानी ले इसमें दो सौ ग्राम गुड लेकर अच्छी तरह से मिला लें। बायोडिक्म्पोजर की बोतल को खोल कर सामग्री को निकाल कर अच्छी तरह से घोल में मिला लें। 

घोल को लकड़ी की सहायता से सुबह शाम अच्छी तरह से मिला हिलाएं। ड्रम या टंकी को ढक कर दे।सात दिन के अंदर छिड़काव हेतु कल्चर तैयार हो जाएगा। इस कल्चर को खड़ी पराली में छिड़काव करना चाहिए। एक जगह इकट्ठा पराली पर भी छिड़काव कर सकते हैं। 15 दिन में पराली गलनी शुरू हो जाएगी। इसके बाद खाद बनने की स्थिति में आ जाएगी। पाठशाला में रमाकांत, श्यामाचरन त्रिपाठी पूर्व प्रधान, कच्चू त्रिपाठी, श्याम सुंदर यादव, संतोष वर्मा प्रधानजी, बच्चू , फडीस तिवारी आदि सैकडों किसान मौजूद रहे हैं।

अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ


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