कपटाचार या छलावा मनुष्य के पतन का कारणः अभिनन्दन सागर


  • जैन समुदाय के महापर्व पर्युषण का तीसरा दिन

बांदा। जैन धर्म के महापर्व पर्युषण के तीसरे दिन ,जैन धर्मावलंवियो के द्वारा उत्तम आर्जव धर्म का पालन किया गया,उत्तम आर्जव का तात्पर्य है सरल होना आचार्य श्री अभिनन्दन सागर महाराज जी ने छोटी बाजार स्थित जैन मंदिर में अपने प्रवचन में कहा कि प्राणी का जीवन सरल होना चाहिए, ह्दय में किसी भी प्रकार का छल, कपट नही होना चाहिए। निश्छल व्यक्ति कभी भी किसी अन्य प्राणी के साथ छल नही करता एवं उनको दुख नही पहुचाता।कपटपूर्ण व्यवहार से धोखा, अबिस्वास एवं हिंसा जैसी बुराइयों के जन्म होता है, बेईमानी की प्रवृत्तियां फलती फूलती है, अनाचार में वृद्धि होती है अतः जैन धर्म मे अरहंत देव ने कहा हैं कि मन बचन काय(शरीर) से एक होना उत्तम आर्जव धर्म है।

आचार्य श्री ने कहा कि कपट या छलावा करने बल व्यक्ति नरक के दुख भोगता है, ऐसा व्यक्ति सुखी नही रहता,प्रायः देखा जाता है कि कपटी व्यक्ति के साथ कोई मित्रता नही करता। अच्छे अच्छे रिश्ते कपट ओर छलपूर्ण व्यवहार से टूट जाते है। अतः सुखी रहने के लिए उत्तम आर्जव धर्म का पालन करना चाहिए। मीडिया प्रभारी दिलीप जैन ने बताया कि पर्युषण पर्व में पूर्व कार्यक्रमो की तरह भगवान का अभिषेक, पूजा बिधान कार्यक्रम हुए। 

वही चौत्यालय जी मे भी सुबह से भक्तों ने आकर भगवान महावीर की वाणी को  ग्रंथ के माध्यम से श्रवण किया एवं धार्मिक प्रतियोगिताओं का कार्यक्रम हुआ। जिसमें बच्चों ने भाग लिया। इस अवसर पर सुरेश जैन, रत्नेश जैन, अर्पित जैन, अमन जैन, रूपेश जैन, प्रदीप जैन, सैलेन्द्र जैन, सुशील जैन, अरविंद जैन, राकेस जैन, मिश्रीलाल जैन, महेंद्र जैन, नरेंद्र जैन, सनत कुमार जैन, सुबोध जैन आदि रहे।



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