दलहनी एव तिलहनी फसलो पर कृषि वैज्ञानिको का शोध सराहनीय : कुलपति

बांदा। बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र मे दलहनी एवं तिलहनी फसलो का महत्व ज्यादा है। क्षेत्रानुकूल विभिन्न फसलो के तकनिकी विकसित करने हेतु कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिको द्वारा शोध निरन्तर जारी है। विगत कुछ वर्षा से विशेषतौर पर दलहन एवं तिलहन की मुख्य फसलो पर शोध कार्य मे प्रगति आयी है। विश्वविद्यालय के वैज्ञानिको द्वारा अपने शोध के माध्यम से कृषकोपयोगी जानकारी एवं क्षेत्रानुकूल तकनिकियाँ विकसित करन हेत किये जार हे प्रयास सार्थक एवं प्रशंसनीय है। यह बाते कृषि विश्वविद्यालय, बांदा के कुलपति डा0 यू0एस0 गौतम ने आज विश्वविद्यालय के अंतर्गत विभिन्न परियोजनाओ मे विभिन्न फसलो पर किये जा रहे शोध कार्या का निरिक्षण करते हुए कही।

डा0गौतम ने वैज्ञानिको को उनके शोध प्रक्षेत्र/स्थल पर शोध संबंधित जानकारी प्राप्त करते हुए अपने सुझावो को साझा किया तथा शोधरत सभी वैज्ञानिको से शोध कार्या को और गति प्रदान करने हेतु निर्देशित भी किया। प्रक्षेत्र भ्रमण के दौरान उन्होने शोध मे आ रही परेशानियो एवं अन्य वजहो से प्रभावित हो रहे शोध कार्या को भी संज्ञान मे लेते हुए संबंधित शोध अनवेषक एवं शोध निदेशालय के अधिकारियो को इसे दूर करने हेत निर्देशित किया। डा0 गौतम ने सभी वैज्ञानिको से यह अपेक्षा की कि वह हर स्तर से शोध कार्य को गुणवक्ता पूर्ण एवं बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र के अनुकूल कार्य करे।

उन्होने वैज्ञानिको से कहा कि आने वाले समय मे गेहूँ एवं रबी की सभी दलहनी एवं तिलहनी फसलो के साथ साथ बुन्देलखण्ड परिक्षेत्र मे पैदा किये जा सकने वाले सब्जीयो, औद्यानिकी एवं वानिकी महत्व के फसलो के साथ साथ मसाला वर्गीय फसलों पर शोध कार्य को और गति प्रदान की जायेगी। सह निदेशक शोध डा0 ए0सी0 मिश्रा ने बताया कि विश्वविद्यालय मे विभिन्न परियोजनाओं में खरीफ फसलों के अंतर्गतकुल 52 शोध कार्य संचालित हो रहे है। मुख्य रूप से मुंग, उर्द, तिल, मक्का, अरहर, गेहूँ, धान, मिर्च, बाजरा, लघु धान फसले, सब्जी वाली फसले तथा चारे की फसलो पर शोध कार्य संचालित है। 

अखिल भारतीय समन्वित शोध परियोजना के अंतर्गत मक्का, चारा, औषधीय एवं सुगंधित फसले तथा सेन्टर आफ एक्सिलेन्स एन ड्राईलैण्ड एग्रीकल्चर परियोजना के तहत विभिन्न फसलो तथा उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा वित्तपोषित परियोजना के अंतर्गत उर्द, लघु धान फसले, चिरौजी एवं खरीफ प्याज के आलावा कई निजी कम्पनियो के विभिन्न फसलो पर लगभग 10 शोध कार्य किये जा रहे है।

इस भ्रमण के दौरान विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा0 एस0के0 सिंह, अधिष्ठाता उद्यान महाविद्यालय डा0 एस0वी0 द्विवेदी, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय डा0 जी0एस0 पंवार, निदेशक बीज एवं प्रक्षेत्र डा0 मुकुलकुमार, अधिष्ठाता वानिकी महाविद्यालय डा0 संजीव कुमार, शोध निदेशालय के उप निदेशक शोध डा0 ए0के0 श्रीवास्तव सहायक निदेशक शोध डा0 अखिलेश कुमार सिंह, सहायक निदेशक शोध डा0 दुर्गा प्रसाद के अलावा विश्वविद्यालय के लगभग 60 वैज्ञानिक एवं एस0आर0एफ0 उपस्थित रहे।




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