जो दस धर्मों को मर्म समझ पायेगा, वह मानवता को समझ पायेगा : प्रकाश जैन

  • जैन समुदाय के पुर्यषण पर्व में अपर एसपी ने की शिर्कत

बाँदा। सोमवार को जैन धर्म के परम पावन पर्युषण पर्व में जैन धर्मावलंवियो ने दस लक्षण व गुणो के माध्यम से साधना आराधना की एवं भावो में आई निर्मलता के फलरवरूप आज क्षमावाणी एवं विश्व मैत्री दिवस का आयोजन किया। इस समारोह के मुख्य अतिथि अपर पुलिस अधीक्षक श्री लक्ष्मी निवास मिस्र जी रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री एससी जैन मुख्य अभियंता पीडब्ल्यूडी ने की। कार्यक्रम में आचार्य अभिनंदन सागर महाराज एवं मुनि सुधर्म सागर महाराज भी अपने आसन में विराजमान थे। कार्यक्रम की शुरुआत  स्वाति जैन ने मंगलाचरण से की इसके पश्चात चौ. प्रकाश चंद जैन ने दस धर्मा की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि जो दस धर्मा का मर्म समझ जाएगा वह मानवता को समझ जाएगा। 

पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष राजकुमार गुप्ता ने कहा कि जैन समाज ऐसे आयोजन कर के समाज की बड़ी सेवा कर रहा है जैन समाज अहिंसामयी और संस्कार वान समाज है। समाज के मनीषी प. सुभाष मोइया ने कहा कि एक द्रव्य दूसरे द्रव्य का कुछ नही करता, छमा को भाव के रूप में धारण करते हुये आचार्या  ने कहा है की मन, वचन,काय से क्षमा धर्म को अपनाना चाहिए, सुशील जैन ने उत्तम छमा पर एक भजन गाया। नागरिकों से राष्ट्र निर्माण होता है एवं जैन धर्म मे संस्कारो को सिखाया जाता है इसके उपरांत रजनीश जैन एवं आस्था जैन ने गीत गाये।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अपर एसपी ने अपने संबोधन में कहा कि जैन धर्म एक संस्कार प्रधान धर्म है भारतीय संस्कृति में भी जैन धर्म के दस लक्षणो  की मान्यता दी गई है। क्षमा धर्म, सत्य, अपरिग्रह आदि मूल सिद्धांतों को भारतीय संस्कृति में समाहित किया गया है। कार्यक्रम के अध्यक्ष एस.सी. जैन ने कहा कि जीवन मे एक ही भाव में स्थिर रहना संभब नही है।समाज मे रहते हुए भावो में परिवर्तन होना स्वाभाविक है।

समाज के अध्यक्ष सुरेश चंद्र जैन ने सभी अतिथियों का स्वागत एवं आभार व्यक्त किया। संरक्षक नरेंद्र कुमार जैन, ज्ञान चंद जैन ने अतिथियों को अंगवस्त्र एवं मेमोंटो भेंट किया। कार्यक्रम में दिलीप जैन, शैलेन्द्र जैन, प्रदीप जैन, सनत जैन, मनोज जैन, अमित सेठ भोलू, पूर्व चौयरमेन विनोद जैन, मंजरी जैन, जुली जैन, अंजू जैन, कु. शालिनी जैन आदि रही मौजूद रहे।

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