जिला आयोग ने अधिवक्ता के साथ सेवात्रुटि करने पर दुकानदार पर 4000 जुर्माना किया

जिला आयोग ने अधिवक्ता के साथ सेवात्रुटि करने पर दुकानदार पर 4000 जुर्माना किया

  • प्योरिट एडवांस और किट का मूल्य 3400 ग्राहक को वापिस करे
  • उपभोक्ता संरक्षण आयोग ने दुकानदार को आदेश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक माह की मियाद दी है

Banda, Up : बांदा शहर केन रोड निवासी अजय सिंह पुत्र राज बहादुर सिंह रघुवंशी एडवोकेट ने जून 2017 में गौरव प्लास्टिक माहेश्वरी देवी चौक पुत्र आदर्श तलवार द्वारा उसके प्रो गौरव को पक्ष कार बनाते हुए मुकदमा दायर किया गया था कि उनके द्वारा 20 लीटर पानी वाला प्योरिट एडवांस 2900नकद देकर खरीदा था। दुकानदार ने दो साल की गारंटी दिया था। सही काम न करने पर 6 नवंबर 2016 को अधिवक्ता ने दुकानदार के पास जाकर शिकायत दर्ज करवाई। जिस पर दुकानदार ने 550 रु की नई किट दी। उसके बावजूद प्योरिट काम नहीं किया। 

परिवादी अधिवक्ता ने दुकानदार को कानूनी नोटिस भी भेजा। तब भी दुकानदार ने प्योर इट नही बदला। फोरम में शिकायत दर्ज होने पर दुकानदार को उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत नोटिस भेजा गया। जिस  पर दुकानदार ने बताया कि प्योरिट एडवांस में तकनीकी खराबी और फिल्टर खराब है। उपभोक्ता ने परिवाद पत्र में निर्माता को पक्षकार नही बनाया गया है। विपक्षी विक्रेता किसी भी मैन्यूफेक्ट के लिए जिम्मेदार नहीं हैं क्योंकि दुकानदार निर्माता नहीं है बल्कि निर्माता कंपनी द्वारा बनाए गए प्योरिट का विक्रय करता है। इसी आधार पर परिवादी का वाद निरस्त किए जाने योग्य है।

जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग के अध्यक्ष तूफानी प्रसाद और सदस्य अनिल कुमार चतुर्वेदी की पीठ ने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस सुनी तथा पत्रावली में दाखिल लिखित बहस और अन्य अभिलेखों का परिशीलन किया। आयोग ने अपने 4 पृष्ठीय आदेश है कहा है कि विपक्षी द्वारा ग्राहक के साथ सेवा में कमी की गई है। विक्रेता और निर्माता का  सीधा संबंध होता है। ग्राहक का निर्माता से कोई संबंध नहीं होता क्योंकि परिवादी ने प्योर इट एडवांस का क्रय विपक्षी दुकानदार गौरव प्लास्टिक से किया है एवं दुकानदार ने अपने बिल में भी 2 वर्ष की सर्विस वारंटी दी है तथा विपक्षी अपने स्तर से प्योरिट की खराबी को दूर करने का प्रयास करना चाहिए था। यदि निर्माण संबंधी भी कोई त्रुटि है तो सीधे निर्माता से संपर्क कर दुकानदार को स्वयं अपने माध्यम से प्योरिट को बदलकर ग्राहक को दिया जाना चाहिए था।

यदि विपक्षी को लगे की निर्माण संबंधी दोष का दायित्व निर्माता का है तो वह अपने स्तर से निर्माता से धनराशि वसूल करने के लिए स्वतंत्र है। इसी आधार पर परिवादी का परिवार आंशिक रूप से स्वीकार किया जाता है। तथा विपक्षी दुकानदार को आदेश दिया जाता है कि वह परिवादी को प्योर इट एडवांस का मूल्य रुपया 2900रु तथा किट का मूल 550 अर्थात कुल 3450 का भुगतान 1 माह के अंदर करें एवं विपक्षी परिवादी से उक्त पुराना प्योरिट वापस प्राप्त करें। इसके अलावा मानसिक प्रताड़ना हेतु रुपया 2000 एवं वाद के लिए रुपया 2000 का भुगतान भी परिवादी को विपक्षी एक माह  में करें। अन्यथा परिवादी को नियम अनुसार धनराशि वसूल करने का अधिकार होगा।



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