- बबेरू तहसील के बाकल गांव की जोगनी माता के मंदिर का रहस्य समझ परे
अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ
बबेरु/बांदा। बबेरू तहसील क्षेत्र अंतर्गत यमुना नदी के किनारे ग्राम बाकल गांव में जोगनी माता का मंदिर स्थित है। जो बताया जा रहा है कि हजारों वर्ष पुराना यह मंदिर है। यहां पर दो मूर्तियां रखी हैं, जिसमें एक मूर्ति बंगाल से एक पुजारी लेकर आया था और दूसरी मूर्ति बाकल गांव में ही जमीन पर निकली थी। जहां पर दोनों मूर्तियां विराजमान है। बबेरू तहसील के मरका थाना अंतर्गत बाकल गांवपर यमुना नदी के दक्षिण दिशा की ओर विशाल मंदिर जोगनी माता का बना हुआ है। बताया जा रहा है कि यह मंदिर बहुत ही सिद्धि पीठ का है क्योंकि यहां पर जो भी भक्त दर्शन करने मन्नतें मांगने आता है उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।
मंदिर के पुजारी ने बताया की इस मंदिर में अन्य प्रदेश व अन्य जनपदों से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। और पुजारी ने यह बताया कि गांव के एक व्यक्ति को जोगनी माता सपने में आए थे। और जमीन से मूर्ति निकालने की बात कही थी। जिसमें गांव के लोग इस मूर्ति को निकाल कर पूजा अर्चना करने लगे थे। और यह भी बताया कि एक परास गांव का रहने वाला धोबी बिरादरी का पुजारी बंगाल से जोगनी माता को प्रसन्न करने के बाद बली पूजा देते हुए लेकर आ रहा था। तभी यमुना नदी के ऊपर जैसे ही इस जगह पर आया तो, उसके बली देने के लिए बकरा पूजा खत्म हो गए थे, जिससे जोगनी माता इसी जगह विराजमान हो गई थी।
जिसमें दोनों मूर्तियों को इसी मंदिर में स्थापित कर दिया गया था। तब से यहां पर बराबर पूजा-अर्चना होती है। और पहले यहां पर बकरे की बलि भी दी जाती थी। लेकिन अब धीरे-धीरे जागरूकता फैली है। और जो भी लोग बकरा चढ़ाने आते हैं, तो कान काट कर छोड़ देते हैं, और पुजारी ने यह भी बताया कि जो बकरा और घंटा आदि सामग्री मंदिर में श्रद्धालु चढ़ाते हैं। उनको बेचकर मंदिर के विकास कार्यों पर समिति के द्वारा लगाया जाता है। इस मंदिर में कोई भी जनप्रतिनिधि विधायक सांसद ग्राम प्रधान का कुछ भी सहयोग नहीं मिला है। सिर्फ समिति के लोगों के द्वारा यह विकास कार्य मंदिर का किया जाता है।
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