- एलआईसी को राज्य आयोग से नहीं मिली राहत
- जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश को राज्य आायोग ने बताया तर्क पूर्ण
बांदा। प्रेमा देवी विधवा भगवत प्रसाद निवासी गंगा पुरवा पोस्ट नरैनी के मामले तत्कालीन उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष पदेन जनपद न्यायाधीश अवध बिहारी शुक्ला, सदस्य शंकर लाल गुप्ता और सदस्या आशा सिंह की पीठ ने परिवादिनी का मुकदमा स्वीकार करते हुए भारतीय जीवन बीमा निगम बांदा, इलाहाबाद, कानपुर को दिसंबर 1997 में आदेश दिया था कि बीमा कंपनी एक माह के अंदर परिवादिनी को उसके पति की मृत्यु होने पर बीमा क्लेम 50 हजार रुपए अदा करे। ऐसा न करने पर मुकदमा दायर करने की तिथि से 15, प्रतिशत ब्याज देय होगा।
बीमा कंपनी ने राज्य आयोग में जिला आयोग के निर्णय के विरुद्ध अपील किया। राज्य आयोग ने बीमा कंपनी की अपील पर सुनवाई करते हुए मात्र 15 प्रतिशत ब्याज दर के स्थान पर 9 प्रतिशत की निर्णय किया। बीमा कंपनी ने राज्य आयोग द्वारा पारित निर्णय के अनुपालन में समस्त राशि 164987 फोरम के पक्ष में अदा कर दिया।
आज जिला उपभोकता आयोग के अध्यक्ष तूफानी प्रसाद और सदस्य अनिल कुमार चतुर्वेदी की पीठ ने 24 वर्ष बाद वादिनी प्रेमा देवी पाठक को 164987 का अकाउंट पेई चेक उनके अधिवक्ता दिनेश कुमार पांडेय की निशानदेही पर सौप दिया गया। चेक प्राप्त करते समय प्रेमा देवी भावुक होकर बोली ये उपभोक्ता अदालत द्वारा किया गया न्याय मुझे मेरे आखिरी समय तक याद रहेगा। फोरम में वाद न दायर किया होता तो शायद ये जो राशि बीमा कंपनी से न मिल पाती। उक्त जानकारी रीडर न्यायालय स्वतंत्र रावत ने दी।
अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ |
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