कालिंजर दुर्ग में डीएम ने की भगवान नीलकंठेश्वर की पूजा अर्चना

अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ  बांदा। रविवार को ऐतिहासिक पौराणिक एवं धार्मिक अजेय दुर्ग कालिंजर में विराजमान भगवान नीलकंठेश्वर मंदिर परिसर में आज जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने पारिजात एवं रुद्राक्ष के पौधे लगाए। उन्होंने ने बताया कि पारिजात का पौधा उनकी पत्नी डा.प्रीति पटेल ने मंगवाया था । इस मौके पर वन विभाग के डीएफओ संजय अग्रवाल और तलहटी कालिंजर प्रधान दयाराम सोनकर भी मौजूद रहे। पौधे लगाने के बाद जिलाधिकारी ने भगवान नीलकंठ के दर्शन पूजा अर्चना की।

रविवार को ऐतिहासिक पौराणिक एवं धार्मिक अजेय दुर्ग कालिंजर में विराजमान भगवान नीलकंठेश्वर मंदिर परिसर में आज जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने पारिजात एवं रुद्राक्ष के पौधे लगाए। उन्होंने ने बताया कि पारिजात का पौधा उनकी पत्नी डा. प्रीति पटेल ने मंगवाया था । इस मौके पर वन विभाग के डीएफओ संजय अग्रवाल और तलहटी कालिंजर प्रधान दयाराम सोनकर भी मौजूद रहे। पौधे लगाने के बाद जिलाधिकारी ने भगवान नीलकंठ के दर्शन पूजा अर्चना की।

अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ

डीएम ने पत्नी के साथ किया रूद्राक्ष एवं कल्पवृक्ष का रोपण

शासन के निर्देशानुसार दीपोत्सव की श्रंखला में जनपद के समस्त तहसीलों में स्थित प्रमुख शिवालयों में भजन कीर्तन का भव्य आयोजन किया गया था। जिसमें तहसील नरैनी के ऐतिहासिक कालिंजर किले पर स्थित नीलकंठ मंदिर परिसर पर जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने रुद्राक्ष का वृक्ष दान किया था एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती डाक्टर प्रीति पटेल के द्वारा कल्पवृक्ष (पारिजात) का दान किया गया था। उसी के कड़ी में आज जिलाधिकारी अनुराग पटेल एवं धर्मपत्नी डा. प्रीति पटेल की तरफ से नीलकंठ मंदिर परिसर पर रुद्राक्ष एवं कल्पवृक्ष का रोपण किया गया।


जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने बताया कि मान्यता के अनुसार कल्पवृक्ष दर्शनार्थ व पूजा के प्रयोग में किया जाता है। बताते हैं कि इस वृक्ष की पूजा करने से मन्नते पूर्ण होती हैं इसे ही (पारिजात) का वृक्ष कहते हैं। इसी प्रकार रुद्राक्ष के वृक्ष की उपयोगिता धार्मिक, आध्यात्मिक क्षेत्र में किया जाता है। और ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव की आंखों के जल बिंदु से हुई थी रुद्राक्ष शिव का वरदान है जो संसार के भौतिक दुखों को दूर करने के लिए प्रभु शिव जी ने प्रकट किया था। प्रभागीय वनाधिकारी संजय अग्रवाल उपस्थित रहे।

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