आपसी भाईचारा एवं सौहार्द का प्रतीक माना जाने वाला धनौली घाट का ऐतिहासिक मेला शुक्रवार से शुरू हुआ

आपसी भाईचारा एवं सौहार्द का प्रतीक माना जाने वाला धनौली घाट का ऐतिहासिक मेला शुक्रवार से शुरू हुआ
प्रतिकात्मक चित्र

भक्तिमान पाण्डेय

बाराबंकी। जनपद के  गोमती नदी के धनौली घाट पर लगने वाला क्षेत्र का प्रसिद्ध दो दिवसीय मेला आज से शुरू हुआ। मेले के दूसरे दिन शनिवार को दंगल का आयोजन किया गया है। इस ऐतिहासिक मेले के बारे में भाजपा किसान मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष ओम प्रकाश अवस्थी बताते हैं कि मेला सैकड़ों वर्ष पुराना है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगने वाले इस मेले को आपसी भाईचारा व सौहार्द का प्रतीक माना जाता है। 

उन्होंने बताया कि क्षेत्रीय लोग सालभर इस मेले का इंतजार करते है। मेला क्षेत्रीय लोगों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है। परदेस में रहने वाले लोग भी मेले पर छुट्टी लेकर अपने घरों को आ जाते है। वैसे तो इस मेले में जरूरत का हर सामान मिलता है लेकिन सिंघाड़ा और गट्टा मिठाई की जबरदस्त बिक्री होती है। शौकीन लोग कई कई किलो मिठाई खरीदकर ले जाते है। उन्होंने आगे बताया कि यद्यपि धान उड़द की फसल की कटाई पिटाई का कार्य तेजी से चल रहा है बावजूद इसके लोग सारा काम छोड़कर मेला घूमने जरूर जाते है।

हिंदू मुस्लिम सभी वर्गो के लोग मेले में सम्मिलित होकर आपसी भाईचारे को मजबूत करते है। मेले के बहाने लोगों की अपनो से भेंट मुलाकात भी हो जाती है। मेले को लेकर बच्चों में विशेष उत्साह रहता है। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी एवं पूर्णिमा की रात क्षेत्र के लोग के भोर में ही नदी के विभिन्न घाटों पर स्नान करने की पुरानी प्रथा है। बच्चे जवान औरतें सभी स्नान करने के लिए रात से ही जाने लगते हैं। स्नान करने के उपरांत घाटों पर बने मंदिरों में पूजा पाठ करने के बाद सभी मेले का आनंद उठाते है।

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