- घर-घर लोगों को जागरूक करने में जुटी स्वास्थ्य विभाग की टीम
- पहले दिन 71 हजार आबादी को खिलाई दवा
- अभियान में 21 लाख आबादी को कवर करने का लक्ष्य
अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ
बांदा। फाइलेरिया रोग शुरुआती दौर में उपचार से ठीक हो सकता है। इससे निजात पाने की दवा की खुराक एक वर्ष में एक बार खाएं। इस दवा का सेवन लगातार पांच से छह वर्ष तक करने से फाइलेरिया रोग ठीक हो जाता है। यह बातें स्वास्थ्य विभाग की टीम ने लोगों के घर-घर जाकर कहीं। फाइलेरिया अभियान के पहले दिन 71901 आबादी को कवर कर दवा खिलाई गयी।
प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. आरएन प्रसाद ने कहा कि जनपद में फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के अंतर्गत चलाए जा रहे सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम में 21 लाख आबादी को कवर किए जाने का लक्ष्य है। सोमवार से शुरू हुए इस अभियान के पहले दिन 71 हजार से ज्यादा लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलाई गई। अभियान में 2785 कर्मी और 306 सुपरवाइजर लगे हुए हैं।
स्वास्थ्य विभाग की टीम घरों पर जाकर लोगों को जागरूक कर रही हैं। उन्होंने बताया कि परजीवी क्यूलैक्स फैंटीगंस मादा मच्छर के काटने से मनुष्य के शरीर में पहुंचता है। ऐसे मच्छर घरों के आसपास नाली, गड्ढों व घर के अंदर रुके हुए पानी में पनपते हैं। ठंड लगने के साथ ही तेज बुखार होना, हाथ-पैर की नसों का फूलना, दर्द होना, जांघ में गिल्टी उभर आना, हाथ, पैर में सूजन आदि इस रोग के लक्षण हैं। इनको नहीं दी जाएगी दवा
जिला मलेरिया अधिकारी पूजा अहिरवार का कहना है कि दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती व गंभीर बीमारी से ग्रसित रोग के लोगों को यह दवा नहीं देनी है। दवा को खाली पेट नहीं खाना चाहिए। साथ ही इससे बचाव के लिए सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। शरीर पर सरसों अथवा नीम का तेल लगाकर सोएं। सोते समय ऐसे वस्त्रों का प्रयोग करें जिससे शरीर का अधिकांश भाग ढका हो।
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