जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने एसबीआई कृषि शाखा पर ठोका जुर्माना


अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ 

बांदा। भारतीय स्टेट बैंक कृषि शाखा अतर्रा द्वारा बीमा प्रीमियम का भुगतान समय से न करने पर जिला उपभोक्ता आयोग ने 8000 का जुर्माना लगाया। मामला इस प्रकार था कि हरिपाल, गया प्रसाद, मुन्ना लाल, पंचम लाल, छविनाथ पाल पुत्र गण बाबू लाल उर्फ बबुआ निवासी ग्राम मरका सूरजपाल का डेरा परगना बबेरू जिला बांदा के द्वारा 21 नवंबर 2008 को भारतीय स्टेट बैंक कृषि शाखा अतर्रा बांदा इलाहाबाद रोड अतर्रा जिला बांदा और न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी द्वारा मंडल प्रबंधक कार्यालय कचहरी के पास सदर बाजार झांसी को आवश्यक पक्षकार बनाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। परिवादी का कहना है कि विपक्षी पार्टी जो भी दोषी हो उसको आदेशित किया जाए  उसके ट्रैक्टर लोन से संबंधित  लोन अकाउंट बंद करके 54620 वादीगण को दिलाया जाए। आर्थिक परेशानी के लिए 30 हजार रुपए दिलाया जाए।

जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग के अध्यक्ष तूफानी प्रसाद और सदस्य अनिल कुमार चतुर्वेदी की कोर्ट ने दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं की बहस और पत्रावली में लगे साक्ष्यों का अवलोकन किया। आयोग ने अपने 7 पृष्ठीय आदेश में कहा कि विपक्षी संख्या एक भारतीय स्टेट बैंक कृषि शाखा अतर्रा के द्वारा समय से बीमा प्रीमियम का भुगतान नहीं किया गया है जबकि परिवादी से 17 दिसंबर 2007 को ही प्रीमियम की धनराशि खाते में जमा करा ली गई थी और बीमा कवर नोट 24 दिसंबर 2007 को जारी हुआ था। जिससे स्पष्ट है कि एसबीआई कृषि शाखा अतर्रा के द्वारा पूर्ण रूप से लापरवाही बरती गई है। एसबीआई कृषि शाखा का यह कृत्य अनुचित व्यापारिक प्रक्रिया और सेवा में कमी को दर्शित करता है।

आयोग द्वारा परिवादी गण का परिवाद आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए विपक्षी संख्या एक भारतीय स्टेट बैंक कृषि शाखा अतर्रा को आदेश दिया कि वह परिवादी के ऋण खाता संख्या 11628888151में बकाया ऋण राशि समस्त ब्याज सहित समाप्त करते हुए लोन  खाता बंद करें। इसके अलावा वादी के साथ हुई सेवा में कमी के लिए मानसिक प्रताड़ना के लिए रु 5000 और मुकदमा खर्चा के लिए रु 3000 का भुगतान भी वादीगण को विपक्षी संख्या एक आदेश की तिथि से 1 माह के अंदर करने के आदेश निर्गत किए गए ।यदि विपक्षी 1 द्वारा निर्धारित समय अवधि में क्षतिपूर्ति धनराशि का भुगतान नहीं किया जाता है तो परिवादी गण को नियमानुसार धनराशि वसूल करने का अधिकार होगा। इस मामले में परिवादी की ओर से बहस वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश सिन्हा ने की। उक्त जानकारी रीडर न्यायालय स्वतंत्र रावत द्वारा दी गई।

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