- गोवंश संरक्षण की बदहाली से बेजुबान हो रहे मौत की शिकार
- नाँदनमऊ गोशाला के गोवंश पर भारी पडा भ्रष्टाचार गडबडझाला
बाँदा। रविवार को एक बार फिर से गोवंश संरक्षण के नाम पर हो रही प्रशासनिक लापरवाही मीडिया के सामने उनकी दुर्दशा की जमीनी हकीकत खुलकर सामने आ गई प्रदेश में भाजपा के सत्तारूढ़ होते ही मुख्यमंत्री योगी ने गोवंश के संरक्षण के लिए बडे पैमाने पर अबैध बूचड़खाने और गोकशी पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर कडे कानून की ब्यवस्था के साथ गायों के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर गोशालाओं का निर्माण और चारे भूसे के साथ गौपालकों को प्रतिमाह प्रति गाय के पालन करते हुए धन देकर गोवंश संरक्षण को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया लेकिन उसके परिणाम आशाओं के उलट गायो की स्थिति दिनोंदिन भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही से आकाल मौत से मृत्यु को प्राप्त हो रही हैं अभी कुछ दिनों पूर्व नरैनी थाना क्षेत्र में गोवंश के साथ किए गए अमानवीय कृत्य ने जिले से लेकर राजधानी तक गोवंश प्रेमियों को गहरा आघात देते हुए बिचारणीय योजना पर सुधार कर सोचने के लिए मजबूर कर दिया। अभी सैकड़ों गायों के साथ किए गए दुर्व्यवहार का मामला थमा नहीं था।
ताजा मामला बिसन्डा ब्लॉक के नाँदनमऊ ग्राम पंचायत का है मीडिया द्वारा दौरा किया गया जिसमे अस्थायी रूप से बनी गौशाला मे बहुत ही अनियमितता पाई गयी गौशाला मे न तो भूसा चारा था मौके पर पडी अल्प मात्रा में पडी सूखी पराली को आधे पेट खाकर इस हाँडकपाऊ ठंड में बिना किसी ऊपाय के खुले आसमान के नीचे जिन्दगी जीने की जिद्द मे मौत की जंग लड रही हैं। यहां तक कि पानी की भी व्यवस्था नही है। गौवँशो के देखरेख के लिए ग्राम प्रधान व सचिव द्वारा कागज मे लगभग दस कर्मचारी नियुक्त किये गये है लेकिन मौके पर कोई मौजूद नही मिला। ऐसी कडकडाती ठँड मे बेजुबान गौवँश खुले आसमान के नीचे बँधक बनाकर अस्थायी गौशाला मे रखे गये है। बेजुबानों के साथ हो रहे अत्याचार का जिम्मेदार किसे ठहराया जाए। क्योंकि सभी लोगों ने अपनी जेबों को भरने के लिए इन गोवंश के मुह का निवाला और मिलने वाली सरकारी मदद को कागजों मे ही आल इज वेल दिखाकर बंदरबांट की सीमाओं को भी लांघ दिया है। यहां तक कि मौके पर मृत गौवँशो के कँकाल भी गौशाला के अँदर मौजूद थे। मीडिया के सामने ही दो तीन गौवँशो ने दम तोड दिया।
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