कांग्रेस पार्टी के अल्संख्यक प्रकोष्ठ ने सौंपा ज्ञापन

राजेश शास्त्री, संवाददाता 

सिद्धार्थनगर। कांग्रेस पार्टी के अल्संख्यक प्रकोष्ठ ने शुक्रवार को संविधान की प्रस्तावना को बदलने की कोशिशों को रोके जाने की मांग का एक ज्ञापन महामहिम राष्ट्रपति भारत सरकार को सम्बोधित एक ज्ञापन उपजिला अधिकारी को सौंपा। दिए गए ज्ञापन में कहा गया है कि राज्य सभा में पिछले दिनों 3 दिसंबर को भाजपा के राज्य सभा सदस्य के जे अल्फोंस ने प्राइवेट मेंबर बिल के ज़रिये संविधान की प्रस्तावना में बदलाव कर उसमें से पंथनिरपेक्ष शब्द हटाने की मांग की थी। उससे पहले भी पिछले साल 20 जून को भाजपा के ही राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने भी प्राइवेट मेंबर बिल के ज़रिये संविधान की प्रस्तावना से समाजवाद शब्द हटाने की मांग की थी। आप जानते हैं कि केशवानन्द भारती और एसआर बोम्मई समेत कई मामलों में माननीय सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट निर्देश है कि संविधान की प्रस्तावना में संसद भी कोई बदलाव नहीं कर सकती। बावजूद इसके राज्य सभा के उपसभापति श्री हरिवंश ने संविधान विरोधी आचरण दिखाते हुए इस बिल को रिज़र्व रख लिया जबकि उसे उन्हें तत्काल खारिज कर देना चाहिए था। 

आप को यह भी विदित होगा कि जम्मू कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल ने भी 8 दिसंबर को कहा कि संविधान की प्रस्तावना से पंथनिरपेक्ष शब्द हटा देना चाहिए जिसकी खबरें तमाम संचार माध्यमों से प्रसारित हुई हैं। जिसपर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर उक्त न्यायाधीश को पद मुक्त कर देना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। संविधान के संरक्षक होने के नाते आपसे आश है कि संविधान की प्रस्तावना जिसमें भारत के संविधान के मूल तत्व वर्णित हैं, की रक्षा हेतु आप आवश्यक हस्तक्षेप कर ऐसे किसी भी प्रयास को विफल करते हुए राज्य सभा के उपसभापति और जम्मू कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाई करें। इस अवसर पर अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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