चित्रकूट, मध्य प्रदेश। समाज के हर वर्ग को उनकी जिम्मेदारीयों से वह करा कर उनके लेन-देन को चुकता करवा कर आत्मा को कर्म बंधनों से मुक्त करवाने का उपाय बताने वाले, जीते जी मुक्ति मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करने वाले इस समय के अदभुत विलक्षण सन्त सतगुरु उज्जैन वाले परम पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 21 दिसंबर 2021 को चित्रकूट की धार्मिक धरती पर दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि जब से सृष्टि बनी और जबसे जीवों के आत्मा के कल्याण के लिए संतों का प्रादुर्भाव इस धरती पर हुआ, इन्ही पांच नाम से जीवों के आत्मा के कल्याण होता रहा है और आगे भी होगा। गुरु महाराज ने पांच नाम देने का आदेश दिया था मुझे, वह नाम आपको बताऊंगा। उसके लिए न घर छोड़ना न जमीन-जायदाद छोड़ना न बाल-बच्चों को छोड़ना है। आप गृहस्थ आश्रम में हो तो वहां और सन्यासी हो तो वहां पर ही रहो।
यह गृहस्थ का अन्न जो खाते हो, वो बहुत तकलीफ देह होते हैं
यह जरूर कोशिश करो कि जिसका अन्न खाओ उसके लिए भी कुछ करो। केवल दुआ, आशीर्वाद दे देने से कल्याण नहीं होता है। आप शक्ति अर्जित करो। आप जो सन्यासी, पंडित, पुजारी, मठाधीश बन गए आप गृहस्थों का अन्न खाओ तो अदा करो। नहीं तो ये जो टुकड़े हैं यह बड़ी तकलीफ देते हैं। कहा गया-
भजन करे सो ऊबरे, नहीं तो फाड़े आँत।।
शक्ति अगर अंदर से अर्जित नहीं करोगे तो आपका दुआ आशीर्वाद इनको फलेगा नहीं। वह तो श्रद्धा, प्रेम, भाव वश आपसे प्रार्थना करके चले जाएंगे। उनको तो कुछ न कुछ फायदा हो जाएगा क्योंकि आप धार्मिक स्थान पर हो लेकिन आप खाली हो जाओगे। आपने जो त्याग किया, घर छोड़ कर के आए, जो तपस्या कर रहे हो, शरीर को तपा-जला रहे हो, जो भी कर रहे हो, आपकी आत्मा का नुकसान होगा, वह फंस जाएगी।
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