स्वामी हरिचरण दास जी के शताब्दी वर्ष पर चित्रकूट में आयोजित हुआ भव्य सन्त सम्मेलन

  • मोरारी बापू समेत अनेक संत-महन्त हुए सम्मिलित

चित्रकूट। मानव सेवा के अग्रदूत परमहँस संत रणछोड़दास जी महाराज के परम कृपापात्र शिष्य गोण्डल गादीपति महामंडलेश्वर 1008 स्वामी  हरिचारणदास जी महाराज के जन्म शताब्दी महोत्सव के उप्लक्षय में एवं उनके पावन सान्निध्य में  रघुबीर मन्दिर (बड़ी गुफा) जानकीकुण्ड में गुरुवार 2 दिसम्बर 2021 को एक विशाल सन्त सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन का मुख्य केन्द्र पूज्य हरिचारणदास जी के शताब्दी वर्ष पर उनके चित्रकूट आगमन पर किया गया। इस सम्मेलन में चित्रकूट एवं भारत  के कोने कोने से  विभिन्न तीर्थधाम से अनेकों सन्त महन्त एकत्रित हुए। कार्यक्रम का शुभारम्भ अपराह्न 3 बजे से प्रसिद्ध भजन गायक पवन तिवारी द्वारा तुलसीदास जी के पदों के गायन के साथ हुआ। इसके उपरान्त ट्रस्टी डॉ बी.के. जैन एवं डॉ. इलेश जैन ने मंचस्थ सभी महात्माओं के साथ गुरुपूजन एवं दीप प्रज्ज्वलन किया एवं पधारे हुए सभी संतों का माल्यार्पण कर आशीर्वाद प्राप्त किया। कार्यक्रम में पावन सान्निध्य प्रदान करने रामकथा के विश्वविख्यात वक्ता पूज्य श्री मोरारी बापू उपस्थित रहे। सम्मेलन में वक्ताओं का विषय अध्यात्म, विज्ञान और विश्वास रखा गया था जिसपर सभी वक्ताओं ने अपने विचार प्रकट किए।

पूज्य मोरारी बापू ने कहा कि समाज की उन्नति के लिए ऐसे सम्मेलनो का आयोजन एक सार्थक पहल है। पूज्य सदगुरुदेव रणछोड़दास जी महाराज की दिव्य कृपा से आज भी ट्रस्ट में अनेकों सेवाकार्य संचालित हो रहें हैं जिसमें लाखों लोग लाभान्वित हो रहे हैं यह उनकी प्रत्यक्ष उपस्थिति का परिचायक है। बापू ने कहा कि ट्रस्ट द्वारा संतों की सेवा का प्रकल्प अध्यात्म का प्रतीक है, अत्याधुनिक विश्वस्तरीय नेत्र चिकित्सा विज्ञान का प्रतीक है और समाज के छोटे बड़े हर वर्ग को साथ ले चलने की परम्परा विश्वास का प्रतीक है इसलिए ट्रस्ट अध्यात्म, विज्ञान और विश्वास की त्रिवेणी है। उन्होंने कहा कि मैं जब भी चित्रकूट आता हूँ यहाँ अवश्य आता हूं, मुझे इस स्थान से विशेष प्रीति है,हरिचारणदास जी महाराज के लिए उन्होंने निरोगी एवं आरोग्यमय जीवन को शुभकामनाएं दी। इसके उपरान्त डॉ जैन एवं मोरारी बापू ने पूज्य हरिचारणदास जी महाराज के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में उन्हें संस्था की ओर से प्रशस्ति पत्र भेंट किया।

संत सम्मेलन में स्वामी हरिचरणदास जी महाराज एवं  पूज्य मोरारी बापू के साथ, स्वामी रामेश्वरदास जी ऋषिकेश, पूज्य राघवाचार्य जी वेदांती रैवासापीठ, राजगुरु बद्री प्रपन्नाचार्य जी आचार्य आश्रम, पूज्य श्री सनकादिक ब्रम्हचारी जी, पूज्य श्री रामजीदास संतोषी अखाड़ा, पूज्य श्री रामचन्द्रदास जी तुलसीपीठ, पूज्य श्री राम हॄदयदास जी महाराज रामायणी कुटी, पूज्य मदनदास जी कामदगिरि पीठ, पूज्य श्री दीनबन्धुदास जी मलूक पीठ वृंदावन एवं गुरुभाई श्री नितिन भाई रायचूरा राजकोट से विशेष रूप से उपस्थित रहे।



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