अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ
बबेरू/बांदा। दिन में प्रहलाद भक्त नाटक का मंचन कर दर्शको का मनमोह लिया। रात में धनुष यज्ञ रामलीला का मंचन किया गया। जिसकी फटी न पैर विवांई सो क्या जाने पीर पराई। जिसने कन्या न जाई वो क्या जाने दुख पराई। राजा जनक रंगशाला में राजाओं के सामने विलाप करते हुए सुनाया तो दर्शको के आंसू छलक आए। श्रीराम ने धनुष को भंग किया तो पंडाल जै श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। हजारों दर्शको ने परसुराम लक्ष्मण संवाद का आनंद उठाया।मौनी बाबा धाम में तीन दिवसीय राष्ट्रीय मेला एवं भंडारे के साथ आयोजित नाटक एवं रामलीला के तीसरे दिन सुबह से लेकर शाम तक भक्त प्रहलाद नाटक का मंचन किया गया और रात में धनुष यज्ञ रामलीला का मंचन उत्तर भारत के प्रसिद्व कलाकरों ने प्रस्तुत किया। राजा जनक ने सीता स्वयंबर के लिए प्रण ठान लिया। जो धनुष को तोडेगा उसी के साथ सीता का स्वयंबर होगा। देश देशान्तर के राजाओं को आमांत्रण दिया। बडे बडे सूरमा राजाओं ने पधार कर धनुष को तोडने का प्रयास किया लेकिन कोई धुनष को हिला नही सके है।
रावण और बाणासुर भी रंगशाला में पधार कर धनुष को प्रणाम किया। रावण बाणासुर संवाद से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। मिथला नरेश जनक ने बिलाप करते हुए कहा कि जिसकी फटी न पैर विवांई सो क्या जाने पीर पराई और उपास्थित राजाओं को धिक्कारते हुए कहा कि वसुन्धरा बीरो से खाली है। जनक विलाप सुनकर दर्शको के आसू निकल आए। लक्ष्मण ने जनक के कठोर बचनों को सुनकर कहा कि यह अपमान है। श्री राम का आदेश पाऊ तो इस धनुष के खंड खंड कर डालू। विश्वामित्र का आदेश पाकर श्रीराम ने धनुष को तोड दिया। धनुष टूटते ही जै श्रीराम के जयकारों से पंडाल गूंज उठा। परसुराम मिथला की रंगशाला में धनुष टूटा देखकर क्रोधित हो गए। कहा कि जिसने धनुष तोडा हो वह समाज से अलग हो जाए। परसुराम लक्ष्मण संवाद सुबह तक चलता रहा। हजारों दर्शको ने सुबह तक संबाद का आनंद उठाया। रामलीला एवं नाटक की व्यवस्था रज्जू तिवारी ने बखूबी निभाई है।
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