हमारे यहां तो सत्य अहिंसा परोपकार सेवा मानवधर्म देशभक्ति और देश की संपत्ति को अपना मानना सिखाया जाता है : बाबा उमाकान्त जी महाराज

  • हमारे लिए तो सभी देश एक हैं, हम पूरे विश्व की बात करते हैं- वसुधैव कुटुंबकम
  • उस मालिक ने न हिंदू न मुसलमान न भारत न पाकिस्तान बनाया, जाति-पात यह सब आदमी की बनाई हुई है चीज

लखनऊ (उ.प्र.)। मानव, समाज और देश के उत्थान के लिए मानवीय मूल्यों और गुणों को बताने-सिखाने वाले, बड़ी सोच रख कर अपना भौतिक और आध्यात्मिक लाभ लेने की इच्छा जगाने वाले पक्के देशभक्त और इस समय के पूरे सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 4 मार्च 2019 शिवरात्री पर्व पर दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित सन्देश में बताया कि देखो हमारे यहां मानव और मानवता की बात है। यहां कोई जाति धर्म पर जोर नहीं दिया जाता। यहां तो मानव धर्म सिखाया जाता है। सत्य अहिंसा परोपकार सेवा यह है मानव धर्म। यहां देशभक्ति सिखाई जाती है। हड़ताल तोड़फोड़ धरना घेराव से लोगों को दूर रहना सिखाया जाता है, देश की संपत्ति को अपना मानना सिखाया जाता है। यहां पर वसुधैव कुटुंबकम की बात सिखाई जाती है।

उस मालिक ने हिंदू न मुसलमान, भारत न पाकिस्तान बनाया, जाति-पात यह सब आदमी की बनाई हुई चीज है

उस मालिक ने हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाईं, ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र, हिंदुस्तान, पाकिस्तान, अमेरिका, ब्रिटेन नहीं बनाया। अरे उसने तो इंसान बनाया, धरती, आसमान बनाया। इसी धरती पर सब देश आपने बनाया, गांव जिला प्रांत आपने बनाया, यह जात-पात तो आपने बनाया, यह तो आदमी की बनाई हुई चीज है।

सभी में मालिक की अंश जीवात्मा है। जो जीवात्माओं को देखता है, वह करता है सबसे प्रेम

उसने क्या बनाया? इंसान। सबकी जीवात्मा, हड्डी, मांस, खून, टट्टी पेशाब का रास्ता एक जैसा। जो जीवात्माओं को देखता है वह सबसे प्रेम करता है। उसके लिए तो

सिया राम मैं सब जग जानी। करहु प्रणाम जोर जुग पानी।।

उसके लिए तो सब समान होते हैं। हमारे यहां तो सब समानता है। लेकिन जो आपका नियम समाज का बना हुआ है उसको भी तोड़ना नहीं चाहता हूं। क्योंकि आदत आपकी बनी हुई है। अगर कोई बात सच ही कह दिया जाए तो साच कहो तो मारन धावै, झूठा जग पतयाना। क्योंकि इस समय पर - झूठै लेना झूठै देना, झूठै भोजन झूठ चबैना। इस समय पर बीच का रास्ता निकाल ले रहा हूं। आप जहां रहते हो, वहीं रहो; जिसके साथ रोटी खाते हो खाओ; बैठकर पंचायत करते हो उसी खाट पर बैठकर के करो, हम उसके लिए मना नहीं कर रहे हैं। शाकाहारी भोजन जहां खाते हो वही खाना, लड़का-लड़की का जहां शादी-ब्याह करते हो, वही करना।

बच्चे और बच्चियों पर नजर रखो, कहां जाते हैं, क्या करते हैं

लेकिन बच्चे को पैदा किया तो बच्चे के भविष्य की जिम्मेदारी आपके ऊपर है। शुरू में विशेष ध्यान रखो। उसके खान-पान, चाल-चलन पर नजर रखो कि पढ़ाई-लिखाई करने जाता है या घूमने जाता है, कहां जाता है, इस बात पर नजर रखो।

समय से बच्चे और बच्चियों की शादी कर दो उनको न खोजना पड़े

लेकिन शादी ब्याह समय से कर दो। समय से नहीं करोगे तो शरीर की भूख होती है। जब भूख बढ़ेगी तो वह खुद खोज लेंगे। भूख में यह देख नहीं पाते जैसे प्यास में आदमी देख नहीं पाता गंदा है कि मीठा है कि खारा है, उसको तो मिलना चाहिए पानी। पी लेता है, जूठी रोटी तक खा लेता है। ऐसे ही वे देख नहीं पाते हैं। तो कहां चले जाते हैं बच्चे और बच्चियां? रूप-रंग पर, पढ़ाई-लिखाई पर, धन-दौलत पर और फट से शादी कर लेते हैं, चट मंगनी पट ब्याह कर लेते हैं, खबर भी नहीं लगती। बहुत से करके आ जाते हैं। वह शादियां निभाने की गारंटी नहीं होती हैं। महीना चार महीना भी नहीं हुआ और तलाक के मुकदमे शुरू हो जाते हैं। और कहीं तलाक के मुकदमे के साथ दहेज का मुकदमा चालू हो गया तो एक बार तो जेल की हवा खानी ही पड़ती है। ऐसी नौबत क्यों आए? समय से शादी ब्याह कर दो बच्चों का।

भारत एक अध्यात्मिक देश है और भारत में ही आध्यात्मिक विज्ञान है

माताओं के मासिक धर्म का खराब खून इकट्ठा होकर बच्चा बनता है और मुर्गियों का खराब खून इकट्ठा होकर अंडा बनता है। बहुत से डाक्टर तो कहते अंडा खाओ, ताकत आएगी लेकिन सब अज्ञानी है, इनको कोई ज्ञान नहीं है। जो ये कहते हैं हमने हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर बना लिया, हम वैज्ञानिक हो गए लेकिन बेगैर पेट्रोल के कोई हवाई जहाज उड़ता है? नहीं उड़ता। वह भी विज्ञान था जब हनुमानजी उड़कर के गए थे और संजीवनी बूटी सहित पहाड़ को उठाकर के ले आए थे। वो कोई हवाई जहाज से गये? जब लोगों ने सीखा तब कुछ तरक्की किया। जब जीरो दिया मेरे भारत ने तब दुनिया को गिनती आई। उसी भारत के आध्यात्मिक विज्ञान को पकड़ करके फिर वह तरक्की कर गए। भारत के लोग जब दूसरे देशों में गए, वहां उन्हीं के संशोधन के द्वारा उनकी तरक्की करा दिया। भारत एक अध्यात्मिक देश रहा है और आध्यात्मिक विज्ञान भारत में ही है।

संत कर्जा किसी का नहीं रखते हैं, जिसका एक गिलास पानी भी पी लेते हैं, उसका भी अदा कर देते हैं

किसी का मारकर करके, छीन करके मत लाना। अगर लाओगे तो उसी तरह से चला जाएगा। मेहनत-ईमानदारी की कमाई पर भरोसा करना। उसमें बरकत मिलेगी। बहुत लोगों को बरकत दिया गुरु महाराज ने। पैर में जूते-चप्पल नहीं होते थे, कपड़े सिलवा नहीं पाते थे, फटे रहते थे, धोने के लिए साबुन नहीं था और आज मोटर कारों पर चलते हैं। गुरु महाराज ने कर्जा किसी का नहीं रखा। संत कर्जा किसी का नहीं रखते। एक गिलास पानी भी जो पिला देता है, उसका भी कर्जा अदा कर देते हैं। किसी ने एक दिया तो उसका दस गुना करके गुरु महाराज ने अदा कर दिया।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ