नया वर्ष में याद करो कि एकदिन मौत आनी है अगर दुनिया की चीजों में उलझे रहे तो समय निकल जायेगा : बाबा उमाकान्त

  • देवताओं के अंदर ऐसा रास्ता नहीं की ऊपरी लोकों में जा सके लेकिन मनुष्य शरीर में है इसलिए सभी इसे मांगते रहते हैं

उज्जैन (मध्य प्रदेश)। संसार में इस माया के बाजार में ही भूले हुए मनुष्य को उसके अंत समय में होने वाली भयंकर पीड़ा और जीवात्मा के कल्याण का उपाय न करने पर नरक गमन और चौरासी के चक्करों की याद दिलाने वाले इस समय के महान आध्यात्मिक गुरु उज्जाई  वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने नव वर्ष कार्यक्रम में 1 जनवरी 2022 को उज्जैन आश्रम में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेव यूकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि प्रेमियों! कुछ ऐसे भी लोग हैं जो कल थे, आज दुनिया में नहीं है, नया वर्ष नहीं देख पाए। आप को आज के दिन याद करने की जरूरत है कि हमारा भी समय पूरा होगा, हमको भी जाना है।

इंसान जो इस समय पर करने में लगा हुआ है, सारी चीजें एक दिन छूट जाने वाली हैं

अब यह भी सत्य है, आदमी खाता, कमाता, बचाता भी है, मान-प्रतिष्ठा के लिए घर-मकान बनाता है लेकिन यह चीजें लेकर के दुनिया से कोई नहीं जाता है। कहा न-

क्या लेकर तू आया जग में, क्या लेकर तू जाएगा।
सोच समझ ले रे मन मूरख, आखिर में पछताएगा।।

दुनिया की चीजों में उलझे रहे तो अंतिम समय पर होती है बडी तकलीफ

यह दुनिया की सारी चीजें छूट जाने वाली है। इसी में अगर उलझे रह गये तो अंत दु:खदाई। आखिर में बड़ी तकलीफ होती है। तड़प-तड़प कर के लोग मरते हैं। हड्डी-हड्डी चटकती है जब यमराज का मुगदर हथोड़ा लगता है। जब मशाल लेकर के आते हैं तो जो जीवात्मा शरीर खाली नहीं करना चाहती, उसको झुलसाते, मारपीट करते हैं। उस समय पर खून पानी हो जाता, आंख की रोशनी खत्म, कान से सुनाई नहीं पड़ता, जुबान तुतली हो जाती है। मरने वाला सबको गुहार आवाज लगाता बेटे, चाचा, पत्नी आदि को लेकिन आवाज कोई समझ नहीं पाता।

मौत से समय यमराज के दूत मार-मार के खाली कराते हैं मनुष्य शरीर को

साधको, संतो के अलावा यमराज के दूत और किसी को नहीं दिखाई पड़ते हैं लेकिन मरने वाले को दिखाई पड़ते हैं। उस आखरी वक्त पर बहुत चिल्लाता है। कर्मों की सजा में यह भी दिखाई पड़ता है कि देखो हमने भैंसा, बकरा को काटा था वैसा हमको मार रहा है। हमारी तरफ दौड़कर के हिंसक जानवर आ रहा है, हमने इनको मारा था। कहां गया है-

जो गल काटे और का, अपना रहा कटाय।
साहब के दरबार में बदला कहीं ना जाय।।

मनुष्य शरीर छूट जाने के बाद होती है भारी तकलीफों की शुरुआत

बदला लेते हैं जानवर, वहां रास्ते में ही मिलते हैं। दांत से नोच लेते हैं, पंजा मार देते हैं। आज तो अज्ञानता में इनको मार करके लोग खा जा रहे हैं, पेट को कब्रिस्तान बना दे रहे हैं। जो मनुष्य शरीर पूजा का मंदिर, इबादतगाह था, उस को गंदा कर दे रहे हैं लेकिन यह नहीं मालूम है कि इसकी सजा हमको भोगनी पड़ेगी। बड़ी तकलीफ, तकलीफ में तो यह पूरा समय निकल जाता है फिर नर्कों और चौरासी में जाना पड़ता है।


कोटि जन्म जब भटका खाया।
तब यह नर तन दुर्लभ पाया।।

करोड़ों जन्मों तक भटकना पड़ता है तब यह दुर्लभ मनुष्य शरीर मिलता है।

कोई सोच भी नहीं सकता कि कितना अनमोल मनुष्य शरीर मिला है

इसीलिए इसको अशरफुल देवनारायणी शरीर कहा गया जिसके लिए देवता तरसते रहते हैं ।17 तत्वों के लिंग शरीर में रहते हैं लेकिन उनके अंदर रास्ता नहीं है जो रास्ता आपके अंदर हैं। किसका रास्ता? मुक्ति और मोक्ष का है। जीवात्मा को मुक्ति और मोक्ष दिला दो। ये कब मिलेगा? जब यह अपने पिता सतपुरुष के पास पहुंच जाएगी तब। फिर यह दुख के संसार में दुख झेलने के लिए नहीं आएगी।

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