आप और आपके बच्चे सब उस प्रभु के हैं, उसने सारा इंतजाम कर रखा है, आप तो निमित्त मात्र हो, करने वाला तो दूसरा है : बाबा उमाकान्त

  • मनुष्य शरीर का असली उद्देश्य जीते जी प्रभु को प्राप्त करना है

उज्जैन (मध्य प्रदेश)। पूरे विश्व में शाकाहार की अलख जगाने वाले विश्वविख्यात सन्त बाबा जयगुरुदेव जी के मासिक भंडारे कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के अवसर पर इस समय मनुष्य शरीर में मौजूद उनके आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस धरा पर नामदान देने के एक मात्र अधिकारी, परमात्मा के तदरूप उज्जैन के त्रिकालदर्शी पूज्य सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 30 जनवरी 2022 को उज्जैन आश्रम में दिए व यूट्यूब चैनल jaigurudevukm पर प्रसारित ऑनलाइन संदेश के माध्यम से भक्तों को बताया कि गुरु महाराज के इस शरीर छोड़ने की तिथि कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को हर महीने गुरु महाराज के बारे में लोगों को बताने का, प्रचार करने का एक अभियान चलाना चाहिए। जब तक आदमी को नहीं मालूम रहता है तब तक आदमी दुनिया के काम में ही लगा रहता है, शरीर को लगाए रहता है, दुनिया की चीजों को ही अपना समझने लगता है।

मौत और परमात्मा दोनों सत्य हैं, दोनों को ही भूला हुआ है इंसान

इंसान उधर को भूल जाता है जिधर इस शरीर को छोड़कर के जाना है, सबको जाना होता है फिर चाहे यह किसी भी लोक में जाए- सूर्य, चंद्र, गंधर्व, प्रेत, देव लोक, स्वर्ग-बैकुंठ में भी जाए लेकिन इसको जाना ही पड़ता है। तो उधर का तो सब भूले हुए हैं।

कल की चिंता में इंसान रातों-दिन लगा हुआ है लेकिन कल किसी ने देखा नहीं

जो इन बाहरी आंखों से दिखाई पड़ता है इसी चीज को लोग अपना समझते हैं। यही जानकारी लोगों को है कि यही सब कुछ है। लेकिन यही सब कुछ नहीं है। इससे परे भी है, बहुत सारे लोक हैं। लेकिन उनको तो आदमी भूला हुआ है। बस दुनिया के लिए सब कुछ कर रहा है। नाम कमाओ, बढ़िया खाओ, घर-मकान बनाओ, रुपया-पैसा इकट्ठा करो, पुत्र-परिवार को बढ़ाओ, इनको पढ़ाओ-लिखाओ, अच्छे ओहदे पर ले जाओ, यह कमाकर लाएगा, बुढ़ापे में खायेंगे। इन्हीं कामों में आदमी लगा हुआ है और कल की फिकर किए हुए हैं। कल हमारे पास धन नहीं रहेगा, पैसा-कौड़ी नहीं रहेगा तो हमारी गृहस्थी कैसे चलेगी, बच्चे कैसे पलेंगे?

आप और आपके बच्चे सब उस प्रभु के हैं; जब उसके है तो उसने सारा इंतजाम कर रखा है, आप तो निमित्त मात्र हो, करने वाला तो दूसरा है

इंसान भूल गया उस प्रभु को जो सबको देता है, सबका सिरजनहार है, सबकी परवरिश करता है, जिसके आप बच्चे हो। सच पूछो तो उसी के सब बच्चे हैं। आपके जो भी बच्चे हैं, बच्चों के भी बच्चे हैं, वे भी सब उसी प्रभु के हैं। जब उसके हैं तो उसने सब इंतजाम कर रखा है, सब कुछ कर रखा है, उसने इसी धरती पर सारी व्यवस्था बना दी है। आप तो निमित्त मात्र के लिए हो, करने वाला दूसरा है।

जब मनुष्य अपने लक्ष्य को भूल जाता है तो फिर लौट-लौट कर चौरासी में आना पड़ता है

यह दुनिया है। इसमें आदमी आता-जाता रहता है। जब कोई सच्चा रास्ता बताने वाला महात्मा नहीं मिलता, सत्संग नहीं मिलता तो अपने घर, पिता और लक्ष्य को भूल जाता है और फिर-फिर लौट-लौट कर के इसी चौरासी में आना पड़ता है। कभी मां, बेटी बन गई, बेटी, पत्नी बन गई, भाई, बाप बन गया तो कभी बाप, बेटा बन गया। लौट-लौट कर के इसी में आना पड़ता है और यही सब दुनिया के काम करता रहता है।

जितनी भी चीजें इन आंखों से दिखाई पड़ रही हैं शरीर छोड़ते समय साथ नहीं ले जा सकते

आपको नहीं मालूम है कि आप पिछले जन्म में भी मनुष्य शरीर में थे। जो काम इस समय करने में लगे हुए हो, वही काम पहले भी करते थे। यही खाना, खाने का इंतजाम करना, सोना, कपड़ा पहनना, बच्चा पैदा करना, दूसरों के लिए धन इकट्ठा करना आदि यही सब काम पिछले जन्मों में भी करते रहे। आप को समझने की जरूरत है। ये जो काम करने में आप लगे हुए हो, आपके कोई अपना काम में आने वाला नहीं है। गुरु महाराज के मासिक भंडारे के अवसर पर याद करने की जरूरत है। यहां जितनी चीजें इन आंखों से दिखाई पड़ रही हैं, उन चीजों को आप शरीर छोड़ते समय साथ ले नहीं जा सकते हो। इसलिए सच्चे महात्मा की खोज करो और अपने असला घर पहुंचने का सच्चा रास्ता नामदान ले लो।

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