अगर लोग नहीं संभले तो एक के बाद दूसरा तीसरा कुदरत का थप्पड़ लगता जाएगा : बाबा उमाकान्त जी महाराज

  • धर्म ग्रंथों से परे होते हैं वक्त के सन्त सतगुरु, कामिल मुर्शिद आला फकीर
  • व्यास जी द्वारा पुराण में और मुसलमानों की किताब में जिस महात्मा-फ़क़ीर का जिक्र आया है, वो सारे लक्षण गुरु महाराज से मिलते हैं

विशेष संवाददाता

उज्जैन (मध्य प्रदेश)। धर्म ग्रंथों को लिखने वाले के स्तर, लेवल के जानकार ही उनमें लिखी बातों को सही तरीके से समझा-बता सकते हैं और कम जानकार अर्थ का अनर्थ कर देते हैं, इस बात का साक्षात प्रमाण देने वाले, विभिन्न ग्रंथों की गूढ़ बातों को सरल शब्दों में समझाने वाले, जीते जी रूह के निजात पाने का रास्ता बताने वाले, इस समय के पूरे सन्त सतगुरु, फ़क़ीर, कामिल मुर्शिद, गुनाहों की माफी कराने वाले, खुदा-भगवान से रहम दिलाने वाले, दोजख में रूह को जाने से बचाने वाले रहनुमा उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 9 अप्रैल 2020 को उज्जैन आश्रम में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि इतिहास किसको कहते हैं? आज जो बीत रहा, हो रहा है, कुछ दिन के बाद यही इतिहास बन जाएगा। त्रेता, द्वापर में जो हुआ, कलयुग में जो पिछले दिनों में हुआ, उसका सब इतिहास बन गया। इतिहास को क्यों लिखा जाता है? अच्छाई और बुराई समझने के लिए। 

व्यास जी द्वारा पुराण में और मुसलमानों की किताब में जिस महात्मा-फ़क़ीर का जिक्र आया है, वो सारे लक्षण गुरु महाराज से मिलते हैं

बहुत पहले महात्मा फकीर जो आए वह लिखकर के गए थे। चार वेद, छ: शास्त्र, 18 पुराण। पुराण में ही लिखा है कि व्यास जी कहते हैं जब छोटी कौम के लोग के अधिकार में लोग हो जायेगे, स्त्रियां स्वेच्छाचारणी हो जाएंगी, संपूर्ण शासक समाप्त हो जाएंगे, ऐसे समय में श्वेत वस्त्रधारी सफेद दाढ़ी वाला महात्मा शाश्वत ऋषियों सहित अवतरित होगा जो अपने ज्ञान, इच्छा मात्र द्वारा सुख, शांति और सतयुग लाएगा। लेकिन हर युग के परिवर्तन बदलाव में विनाश बहुत होता है। 

आप देखो जो उसमें लिखा हुआ है उसके सारे लक्षण गुरु महाराज में मिलते हैं। गुरु महाराज ने उस समय अपना काम शुरू किया। जिनको वर्ण व्यवस्था के अंतर्गत काम नहीं दिया गया था, वह काम लोग करने लग गए। शासक समाप्त हो गए, राजतंत्र खत्म हो गया। एक आध जगह कहीं पर है लेकिन वहां पर भी प्रजातंत्र प्रणाली लागू है। राजा नाम तो है। आगे कहा है स्त्रियां स्वेच्छाचारिणी हो जाएंगी, औरतों पर अंकुश खत्म हो जाएगा। 

जब शासक समाप्त हो जाएंगे, स्त्रियां स्वेच्छाचारीणी हो जाएंगी 

एकहि धर्म एक व्रत नेमा। काय वचन मन पद-पद प्रेमा।। पहले पति की सेवा करती थी, पति की बातों को मानती थी, पति के कहने में ही चलती थी लेकिन अब आपके सामने हैं। लेकिन मैं और कुछ कहूंगा तो आप कहने लगोगे की निंदा करते हैं। आप समझो निंदा तो करना ही नहीं है हमको। कहा है-

नारी निंदा मत करो, नारी नर की खान। नारी से पैदा हुए, राम-कृष्ण भगवान।।

लेकिन जो सामने दृश्य है, दिखाई पड़ रहा है उसको तो बताना पड़ेगा। 

वेद पुराण से परे होते हैं वक्त के सन्त सतगुरु, कामिल मुर्शिद आला फकीर 

ऐसे समय पर गुरु महाराज का काम शुरू हुआ, लोगों को समझाने-बताने का। जो उसमें लिखा हुआ है मुसलमानों की मजहबी किताब में, कोई कुरान कहते हैं। कुरान अलग है, हदीस अलग है, जैसे वेद और पुराण अलग है। वेद पुराण से परे होते हैं सन्त सतगुरु जो कुरान के पाबंद नहीं होते हैं। वह पूरे फकीर होते हैं, मुर्शद ए कामिल होते हैं, अलग-अलग नाम है। उसमें लिखा हुआ है कि 14वीं सदी के आखिर में एक सफेदपोश फकीर अपने हुजूम को लेकर कहर दरिया को पार करेगा। उस वक्त पर सड़कें काली हो जाएगी। मकानों से नाचने-गाने की आवाज आने लगेगी। फकीर जब आवाज़ देगा तो कब्रिस्तान से मुर्दे भी खड़े हो जाएंगे। 

गुरु महाराज ने काफिला निकाला था, कहर दरिया को जब पार किया था उसके बाद ही ज्यादा टीवी-सिनेमा का प्रचलन बढ़ा 

गुरु महाराज ने काफिला यात्रा निकाली थी जिसमें गोरखपुर से सोनपुर से दिल्ली के लिए उधर कहर दरिया घाघरा नदी को पार किया था। ये डामर पहले कहीं-कहीं ही पड़ता था फिर सब जगह होने लग गया, सड़कें काली हो गयी। उसके बाद नाच-गाना, सिनेमा आदि का प्रचलन बढ़ा। टीवी में से नाच गाना की आवाज अब घर-घर में आने लग गई। फकीर जब आवाज लगाएगा तो कब्रिस्तान से मुर्दे भी खड़े हो जाएंगे। कब्रिस्तान में मुर्दा को जलाते-दफनाते हैं। शरीर के अंदर जो जीवात्मा है वह मुर्दा जैसी ही हो गई।

लेकिन जब गुरु जी आवाज लगाते हैं तो इसमें भी चैतन्यता आ जाती है, यह शरीर दौड़ पड़ता है जिसके अंदर जीवात्मा है। गुरु महाराज जब आवाज लगाते थे तब जो जैसे तैसे उठ धावै, बाल वृद्ध को साथ न लावै। औरतें अपने छोटे-छोटे बच्चों को छोड़कर चली आती थी, उनकी आवाज में इतनी कशिश थी। उससे लोग चल पड़ते थे। इस तरह के जब सन्त महात्मा फकीर धरती पर आते हैं तो आगाह करते हैं। आप देखो राम, कृष्ण ने आगाह किया, रावण, कौरवों को दूत, संदेशा भेजा। जब नही माने तो फिर उन्होंने सोच लिया विनाश अवश्यंभावी। 

अगर लोग नहीं संभले तो एक के बाद दूसरा तीसरा कुदरत का थप्पड़ लगता जाएगा 

गुरु महाराज बराबर कहते रहे। गुरु महाराज जब निजधाम गए, मेरे लिए आदेश देकर गए। मैं भी बराबर प्रचार इस बात का कर रहा हूं, हाथ जोड़ रहा हूं।

हाथ जोड़कर विनय हमारी। हो जाओ सब शाकाहारी।।

शाकाहार के लिए प्रार्थना की जा रही है कि शाकाहारी हो जाओगे तो तकलीफों से बच जाओगे। क्योंकि तकलीफ आगे बहुत आ रही है। आज की तारीख तक आपने तकलीफ नहीं देखा। एक कोरोना सबको हिलाए दे रहा है। अगर लोग समझे-चेते नहीं तो इसी (कोरोना में) में बहुत से लोग चले जाएंगे। फिर एक के बाद दूसरा, तीसरा थप्पड़ कुदरत का जब लगता है तब उसमें जल्दी कोई संभाल नहीं पाता। कुदरत, प्रकृति के बरखिलाफ प्रतिकूल लोग काम करने लग गए तो सजा तो मिलनी ही मिलनी है। 

सन्त उमाकान्त जी के वचन 

लायक बन जाइए, आने वाले सतयुग को देखने के लिए। कर्मों की सफाई के लिए नित्य सुमिरन-ध्यान-भजन जरूरी है। धर्म में राजनीति नहीं बल्कि राजनीति में धर्म होना चाहिए। उत्थान धर्म से और पतन पाप कर्म करने से होता है। देश भक्ति महान भक्ति है।

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