- अकाल मृत्यु होने पर प्रेत योनि में जाना पड़ता है जो बहुत कष्टदायी योनि है
- होश-हवास में अच्छा वातावरण रहते-रहते अपना असला काम समर्थ गुरु की कृपा लेकर बना लो
- अपनी दिव्य दृष्टि से जीवात्मा को इस जीवन में, मृत्यु के समय और बाद में मिलने वाली पीड़ा को देखने, जानने, समझने वाले और उससे बचने का उपाय बताने वाले इस समय के महान त्रिकालदर्शी
उज्जैन (मध्य प्रदेश)। उज्जैन वाले पूरे सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी ने उज्जैन आश्रम में आयोजित होली कार्यक्रम में 18 मार्च 2022 प्रातः काल में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित संदेश में विश्व युद्ध के भयानक परिणामों के बारे में आगाह करते हुए बताया कि विश्व युद्ध होगा तो आप भी, कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा। अगर अकाल मृत्यु हुई तो प्रेत योनि में जाना पड़ेगा। प्रेतों का बहुत बड़ा पेट और मुंह सुई की नोक के बराबर होता है। उनका आहार है सुगंधी। तो खुशबू से पेट भरता है। खुशबू मिलती है थोड़ी देर के लिए। हवन, फूल-पत्ती, मीठा, दूध पकने आदि से जो खुशबू निकलती है, ये उसको खाते हैं। पेट नहीं भरता तो जैसे भूखा आदमी चिड़चिड़ा हो जाता है, ये भी हमेशा दु:खी रहते हैं।
मध्य प्रदेश के बादशाह का प्रसंग
मैं आप बताऊं प्रैक्टिकल बात। गुरु महाराज के पास एक आदमी पहुंचा। जब हमसे मिला तो कहा कि आप गुरु महाराज से कह दो, हम को मुक्ति दिला दें। ये (भूत) बहुत खूब बोलते हैं। अभी हम से (दर्शन के समय) लाइन में मिलेंगे, बोलेंगे। कल एक औरत चिल्ला रही थी कि हम अपनी मौत नहीं मरे, हमको मारा गया। कहा कि हम बादशाह थे। हमने पूछा आप क्या चाहते हो। उसने कहा हमारा घर ले लिया। हम उस में रहते थे। हमारे रहने में बाधा पड़ गयी इसलिए हम इनको परेशान करते हैं। हमारा घर खाली पड़ा था।
अब यह रहने लग गए। तो हमने कहा तुम भी रहो, यह भी रहे। भूत ने कहा हम तो रहेंगे। हम कई लोग रहते हैं वहां। बाकी नहीं मानेंगे। हमने पूछा तुम क्या चाहते हो। कहा कि हमारी मुक्ति करा दो। मैने कहा गुरु महाराज मुक्ति करा सकते हैं। तो बोला हाँ, इनके हाथ में है, पावर में है। फिर बोला मैं बादशाह था। 600 सिपाहियों का मैं मालिक था। फिर रोया, कहा, मैंने बहुतों को मरवा दिया, सिपाहियों को कटवा दिया, सिपाहियों के द्वारा दूसरे लोगों को कटवा दिया।
मैंने बहुत बड़ी गलती किया। अब तो बेचारे नहीं रहे। मध्यप्रदेश के यही के हैं। ज्यादा मैं नहीं बोलना चाहता हूं क्योंकि उन लोगों के परिवार के लोगों को पता चलेगा तो दुखी होंगे। बहुत तकलीफ होती है प्रेत योनि में। मरवाने वाले को भी प्रेत योनि में जाना पड़ता है और जो अकाल मृत्यु में मरता है उसे भी प्रेत योनि में जाना पड़ता है।
राजस्थान के सेनापति का प्रसंग
एक राजा साहब हैं राजस्थान में। बहुत पहले मैं गया था वहां। उन्होंने मुझसे अपना दुखड़ा रोया। बताया कि हमारे ऊपर दूसरे लोगों ने चढ़ाई कर दिया था। तब हमारे पिताजी बहुत बलवान थे, कई लोगों को मार गिराते थे। लेकिन ऐसे समय पर चढ़ाई किया जब हमारे पिताजी पूजा घर में पूजा कर रहे थे। पिताजी बंदूक 24 घंटा साथ रखते थे। जब आहट हुई, देखा सेनापति आ रहा है। जो बंदूक पास में रखे थे, उसी से सेनापति को मार दिया।
सेनापति जब मारा गया तो सेना उनकी भाग गई। उस समय तो दुश्मन हट गए। फिर बाद में पिताजी और रियासत भी चली गई। लेकिन अब भी वह सेनापति दिखाई पड़ता है लोगों को, लोगों को डर लगता है। आपको इस चीज को समझना है कि अकाल मृत्यु से बचना है और लोगों को बचाना है। हमारा यह संदेश, प्रार्थना देश-विदेश के जिम्मेदारों, नेताओं को पहुंचाओ कि अकाल मृत्यु से बचो और लोगों को भी बचाओ, युद्ध को खत्म करो।
होश-हवास में अच्छा वातावरण रहते अपना असला काम सुमिरन, ध्यान, भजन करके बना लो
यदि जान खतरे में आ जाए तो भजन, भाव-भक्ति में मन नहीं लगेगा। इसलिए होश-हवास में रहते-रहते अच्छा वातावरण रहते हुए ऐसे समय में अपना काम बना लो। जो बताया गया है वो सुमरिन, ध्यान, भजन करने की आदत सब लोग डालो। इसे करो। इस वक्त पर असला काम यही है।
सन्त उमाकान्त जी के वचन
छोड़ो अंडा-मांस-शराब, इससे होती बुद्धि खराब। अच्छे काम में लगे रहो और लोगों को लगाते भी रहो। याद रखो! एक दिन मौत आनी ही आनी है। परमार्थ की कमाई के लिए शान्त वातावरण सहायक होता है। भाग्य पर भरोसा करो और परिश्रम करो।
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