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नई दिल्ली। राष्ट्रीय खनिज विकास निगम लिमिटेड (एनएमडीसी) एक साल में 40 मिलियन टन (एमटी) से ज्यादा लौह अयस्क का उत्पादन करने वाली देश की पहली कंपनी बन गई है। देश का सबसे बड़ा लौह अयस्क उत्पादक इस्पात मंत्रालय के तहत कार्यरत एक सीपीएसई है। 1960 के दशक के अंत में 4 एमटीपीए के उत्पादन से लेकर अब 40 मिलियन टन तक, देश के सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक कंपनी की प्रगति असाधारण रही है। 1969-70 में 4 मिलियन टन से शुरू होकर, एनएमडीसी ने 1977-78 में 10 मिलियन टन के आंकड़े को पार किया, 2004-05 तक इसने एक और दस मिलियन को जोड़ा, एक दशक के भीतर 30 मिलियन टन को पार किया और अब 40 मिलियन के आंकड़े के पार पहुंच गया है।
घरेलू लौह अयस्क की मांग में निरंतर वृद्धि के साथ तालमेल बिठाते हुए, कंपनी उत्पादन बढ़ाने की कोशिश में महत्वाकांक्षी विस्तार योजनाओं और पूंजीगत खर्च कर रही है। हाल के समय में, एनएमडीसी ने अत्याधुनिक तकनीक को अपनाया है और कोविड के चलते आई सुस्ती और क्षेत्र में अस्थिरता को दूर करने के लिए एक परिवर्तनकारी डिजिटल बुनियादी ढांचा तैयार किया है। स्केल से स्ट्रेंथ तक आगे बढ़ते हुए, कंपनी ने बुनियादी सिद्धांतों और दूरदर्शी कार्यबल के सामर्थ्य से 40 मिलियन टन लौह अयस्क उत्पादन का मील का पत्थर तय किया है।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर टीम को बधाई देते हुए श्री सुमित देब, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, एनएमडीसी ने कहा, 'भारत में 40 एमटी को पार करने वाली पहली लौह अयस्क खनन कंपनी बनने की एनएमडीसी की अभूतपूर्व उपलब्धि सभी बाधाओं के बावजूद चुनौतियों को स्वीकार करने की क्षमता का एक शानदार प्रदर्शन है। कंपनी की दृढ़ता और स्थिरता ने सफलता दिलाई है और मैं इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए टीम को बधाई देता हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि हम देश के #आत्मनिर्भरभारत के विजन को पूरा करने के लिए अपने रास्ते में कई और मील के पत्थर को पार करना जारी रखेंगे। यह उपलब्धि दर्शाती है कि हम 2030 तक 100 एमटीपीए वाली कंपनी बनने की राह पर हैं।'
यहां उल्लेखनीय है कि कंपनी ने 2030 तक 100 एमटीपीए कंपनी बनने का लक्ष्य रखा है। सीपीएसई ने अपने पोर्टफोलियो में कोयला, हीरा, सोना और राष्ट्रीय हित के अन्य रणनीतिक खनिजों के साथ बहु-खनिज दृष्टिकोण की ओर बढ़ने में अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठाने की भी योजना बनाई है। (पीआईवी)
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