- राष्ट्र निर्माण में युवाओं की अहम भूमिका: शशांक त्रिपाठी
- राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा: कर्नल बलराम तिवारी जी
- हमें अपने इतिहास से सीखने की जरूरत: डा. एस.एन. शंखवार जी
लखनऊ। हमारे देश का भविष्य युवा पीढ़ी के हाथ में है। युवाओं को राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हुए ऐसा कार्य करना चाहिए, जिससे समाज में बदलाव हो सके और राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकें, तभी आजादी के अमृत महोत्सव का उद्देश्य सार्थक साबित होगा। उक्त उद्गार विशिष्ट अतिथि मा. मुख्यमंत्री के विशेष सचिव आईएएस श्री शंशाक त्रिपाठी जी ने आजादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित राष्ट्रहित सर्वोपरि कार्यक्रम के 22वें अंक में व्यक्त किए। यह कार्यक्रम सरस्वती कुंज, निराला नगर के प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) उच्च तकनीकी (डिजिटल) सूचना संवाद केन्द्र में विद्या भारती, एकल अभियान, इतिहास संकलन समिति अवध, पूर्व सैनिक सेवा परिषद एवं विश्व संवाद केन्द्र अवध के संयुक्त अभियान में चल रहा है।
मुख्य वक्ता सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास से कर्नल बलराम तिवारी जी ने कार्यक्रम की प्रस्ताविकी रखी। उन्होंने कहा कि देश की सेवा के लिए सैन्य सेवाओं में जाना जरूरी नहीं है, किसी भी क्षेत्र में रहकर कर सकते हैं। हमें अपनी जिम्मेदारियों को सही तरीके से निभाने की जरूरत है। देशवासियों के सहयोग एवं राष्ट्र प्रेम की भावना के कारण ही आज हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं। उन्होंने कहा कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प होना जरूरी है। इसके साथ ही हमें समस्याओं के समाधान की दिशा में कार्य करना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. एस.एन. शंखवार जी ने 'आजादी का अमृत महोत्सव' मनाए जाने के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस महोत्सव का उद्देश्य आजादी के नायकों की शौर्य गाथाओं को युवा पीढ़ी तब पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि आजादी हमें कितनी कठिनाईयों और बलिदानों के बाद मिली है, इसलिए हमें अपने इतिहास को जानना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी आजादी को संजोए रखने के लिए एकजुट होकर राष्ट्रहित में कार्य करना होगा।
विशिष्ट वक्ता मा. मुख्यमंत्री के विशेष सचिव आईएएस श्री शंशाक त्रिपाठी जी ने आजादी के नायकों को नमन किया। उन्होंने कहा कि आजादी के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले वीर शहीदों को याद करने के लिए अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। उन्होंने भैया-बहनों को प्रेरित किया और कहा कि आप अपने लक्ष्य को अर्जुन की तरह चुनों, जिससे आपको सफलता जरूर मिलेगी। उन्होंने कहा कि हमें समाज में कुछ बेहतर करने के लिए हमेशा प्रयास रहना चाहिए।
कार्यक्रम अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल डॉ. प्रो. बी.एन.बी.एम. प्रसाद जी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी में अनुशासन और किसी चीज के लिए दृढ़ संकल्पित होना आवश्यक है, क्योंकि वे ही इस देश का भविष्य हैं और उन पर ही देश का भविष्य निर्भर है। उन्होंने कहा कि हमारे देश को आज़ाद हुए 75 साल हो चुके हैं, लेकिन विकास की रफ्तार धीमी ही रही। भारत का भव्य इतिहास रहा है, जिसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में विद्या भारती जैसी संस्थाएं भारत की प्राचीन संस्कृति को पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रही है, जो सराहनीय है। उन्होंने कहा कि हम सबकी ज़िम्मेदारी है कि हम अपने देश की संस्कृति को आगे बढ़ाएं, जिससे फिर हम विश्वगुरु बन सकें।
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