धरती पर पूर्ण सतगुरु मौजूद हैं, रास्ता लेकर जीवात्मा को अमर अविनाशी के पास अमरलोक में पहुचा दो

  • बहुत संघर्ष के बाद अबकी बार दांव लगा, मनुष्य शरीर मिला, इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए
  • सन्त जगह-जगह सतसंग करके बताते समझाते हैं कि जीवन खाने-पीने के लिए नहीं, विशेष काम के लिए मिला है

इस अनमोल देव दुर्लभ मनुष्य शरीर को पाने की कीमत व महत्व तरह-तरह से समझाने वाले, दुनिया के बाजार में सुख की तलाश में अनमोल सांसे गंवाने से चेताने वाले, इस समय धरती पर मौजूद पूर्ण सतगुरु, वक़्त के महापुरुष सन्त सतगुरु दुःखहर्ता त्रिकालदर्शी परम दयालु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने तीन दिवसीय नज़रे इनायत गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम में 10 जुलाई 2022 सायं कालीन बेला में जयपुर में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि देखो प्रेमियों यह सन्तों की भूमि है। सन्त जब अपने जीवों को दु:खी परेशान देखते हैं कि जिस काम के लिए मनुष्य शरीर मिला, वो उस काम को नहीं कर पाते हैं तब सन्त घूम-घूम कर जगह-जगह पर जीवों को तरह-तरह का उदाहरण देकर समझाते हैं। सन्तों ने ही बताया कि यह जीवन जो आपको मिला है यह खाली जीने, खाने-पीने,  शरीर के सुख के लिए दुनिया का साजो सामान इकट्ठा करने में लगे रहने के लिए नहीं मिला है। यह तो विशेष काम के लिए मिला है। उस चीज को बराबर सतसंग दे दे करके जगह-जगह प्रेमियों के बीच में जा जाकर के हमारे गुरु महाराज जैसे सन्त समझाते रहे हैं।

जिंदगी एक जुएं की तरह से है

देखो! दुनिया की चीजें को पाने के लिए दुनिया में जीते हैं, इस शरीर से जो करते हैं वह जुएं की तरह से है। जुआं किसको कहते हैं? जिसमें आदमी दांव लगा देता है, कभी हारता कभी जीतता है। जैसे आप दांव लगाते हो खेती में बुवाई करके पूंजी लगाकर के यह उम्मीद करते हो इसकी फसल अच्छी होगी, अच्छी आमदनी होगी लेकिन दैवीय आपदा आ जाती है, बुवाई ठीक से नहीं कर पाते हो तो अन्न नहीं पैदा होता है। कभी-कभी लागत भी नहीं निकलती है, उस समय पर क्या हुआ? हार गए। जब फसल बहुत अच्छी हो गई, अच्छे भाव में बिक गई, आमदनी हो जाती है तब कहते हो हम जीत गए, जो काम हमने किया उस में कामयाबी मिल गई। देखो दुकान लोग खोलते हैं नुकसान घाटा हो जाता है, जो पूंजी लगाया, मेहनत किया बेकार चला जाता है और जब मुनाफा ज्यादा हो जाता है तो दांव लग गया। विद्यार्थी पढ़ते हैं, फेल हो जाते हैं, उनका समय बेकार जाता है, पढ़ाई लिखाई में जो समय खर्च किया, वह एक तरह से हार गए और पास होने पर समझ लो जीत गए। तो यह शरीर से हार जीत जो आप करते हो, यह भी एक तरह से जुए ही जैसा है।

धरती पर पूर्ण सतगुरु मौजूद हैं, रास्ता लेकर जीवात्मा को अमर अविनाशी के पास अमरलोक में पहुचा दो

जीवन का यह क्षण आपको जीने के लिए मिला, इससे अपना काम जो नहीं कर पाते हो, जिस काम के लिए शरीर मिला, शरीर के रहते-रहते समरथ गुरु की तलाश कर लो, रास्ता ले लो और उस रास्ते पर चलकर के इस जीवात्मा को अपने मालिक के पास जो अजर अमर अविनाशी है, जो इस माया से परे है, माया के लोक में जन्म नहीं लेता है, जो अकाल एक तरह से काल के घेरे में नहीं आता है, उसके पास पहुंचा दो और अगर यह काम नहीं हो पाया जीवन का क्षण है इस पर आप हारते चले जा रहे हो।

बहुत संघर्ष के बाद अबकी बार दांव लगा, मनुष्य शरीर मिला, इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए

दांव तो लग गया। बहुत संघर्ष के बाद दांव लगा। कुछ विद्यार्थी कई साल फेल हो जाते हैं, कुछ व्यापारी व्यापार में नुकसान ही उठाते हैं लेकिन कभी फायदा हो जाता है। नौकरी के लिए बच्चे कोशिश करते रहते हैं, कंपटीशन में बैठते रहते हैं लेकिन कभी आ गए तो दांव लग गया। ऐसे ही पिछले जन्मों में हारते ही रहे, अबकी बार दांव जीते हो, यह मनुष्य शरीर मिला है। कोटि जन्म जब भटका खाया, तब यह नर तन दुर्लभ पाया। करोड़ों जन्म तक भटकने के बाद यह मनुष्य शरीर आपको मिला है। जीत तो गए, अबकी बाजी अगर हार जाओगे तो फिर जल्दी जीत होने वाली नहीं है, अबकी बार अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

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