तीन लोक नौ खंड में भारत देश ही एक ऐसा खंड है जहां महापुरुषों का हुआ अवतार
- भविष्य में होली दीपावली की तरह बाबा जयगुरुदेव का त्रयोदशी मासिक भंडारा पर्व भी भारत में धूमधाम से मनाया जाएगा
रेवाड़ी (हरियाणा)। विश्वविख्यात सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, अपने गुरु के अव्वल दर्जे के भक्त, अपने गुरु को, उनके आदेश को ही सब कुछ मानने जानने वाले, गुरु के आदेश का बिना बुद्धि लगाए अक्षरशः पालन करने वाले, अपने गुरु पर पूरा विश्वास रखने वाले, उन्हें हर प्रकार से समरथ और अंग-संग मानने वाले, गुरु के मिशन की पूर्ति में दिन-रात लगे, गुरु की आन बान शान को दिन दूनी रात चौगुनी गति से बढ़ाने वाले, गुरु की पगड़ी पर दाग न लगे इसलिए धन संपत्ति जमीन जायदाद को ठोकर मार कर गुरु की बताई राह पर बैखौफ चल पड़ने वाले, बाहर और अंतर दोनों जगह गुरु के दर्शन, दया और आशीर्वाद पाने वाले वक़्त के महापुरुष सन्त सतगुरु दुःखहर्ता त्रिकालदर्शी परम दयालु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के प्रति माह कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को मनाए जाने वाले मासिक भंडारा पर्व के शुभ अवसर पर 26 जुलाई 2022 प्रातः कालीन बेला में बावल आश्रम, रेवाड़ी (हरियाणा) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि भारत महात्मा महापुरुषों की भूमि है। तीन लोक नौ खंड बताए गये। इन नौ खंडों में भारत ही एक ऐसा खंड है जहां पर महापुरुषों का अवतार हुआ है, योग साधना करने का माहौल यहीं पर तैयार हुआ इसीलिए इसको योग भूमि भी कहा गया है। बाकी देश, उनकी भूमि भोग भूमि कहलाई। उन लोगों को धर्म कर्म अध्यात्म के बारे में कुछ मालूम ही नहीं है। उन्होंने तो यही सोच लिया है, खाओ बच्चा पैदा करो कमाओ दुनिया से चले जाओ। उन्होंने तो इस चीज को मान लिया है कि मनुष्य शरीर केवल इसी काम के लिए मिला है।
आगे दीपावली दशहरा आदि की तरह भारत में ये त्रयोदशी का मासिक भण्डारे का त्योहार भी मनाया जाने लगेगा
भारत देश में ऋषि मुनि योगी योगेश्वर सन्त जब आए तो उन्होंने लोगों को आत्मा-परमात्मा, लोकों, प्रकृति, देवी-देवताओं के बारे में समझाया बताया, सारी जानकारी सन्तों ने करवाई। गुरु महाराज ने बहुत मेहनत किया। तो ये भण्डारा कार्यक्रम को बराबर चलाते रहना है। ध्यान भजन सुमिरन करें, संभव हो कोई सुनाने वाला हो तो सुनावे, गुरु की महिमा को बतावे और प्रसाद के रूप में वितरण हो जाया करे। तो ये बराबर नियम चलता रहेगा। आगे चलकर के जैसे दीपावली दशहरा अन्य तीज त्योहार भारत देश में मनाए जाते हैं उसी तरह से ये त्रयोदशी का मासिक भण्डारे का त्योहार भी मनाया जाने लगेगा। ये तीज त्योहार विशेष समय पर आते हैं। मासिक भंडारे की तिथि अपने लिए विशेष है। तो सन्तों के देश में तीज त्योहार बहुत मनाये जाते हैं। हर तीज त्योहार के साथ कुछ न कुछ इतिहास जुड़ा हुआ होता है।
तीज त्योहार में पिछले कार्यों की करना चाहिए समीक्षा
ये केवल खाने-पीने का दिन नहीं होता है। खाना खिलाने से ही त्योहार मनाए जाने वाला नहीं होता है। जिस उपलक्ष्य में यह त्यौहार मनाए जाते हैं उनके कार्यों को देखना है, समीक्षा करना है और अच्छाई को अपनाना है। सन्त मेहनत करके लोगों के जेहन में बैठा देते हैं, लोगों को मेहनत करना सीखा देते हैं, मेहनत का फल ले आते हैं तो लोगों का लोक-परलोक बन जाता है। सन्तों ने कहा है-
मनुष्य जन्म अनमोल मिला, तू इसे चाहे कमा बाबा। तू दीन कमा या दुनिया कमा, या हरि के हेत लगा बाबा।।
कहते हैं- हीरा जन्म अनमोल मिला और कौडी बदले जाए।
इस समय तो बच्चे और बड़े मोबाइल में देखते रहते और जिंदगी कौड़ी के बराबर गवां रहे
कौडी किसको कहते हैं? कौडी उस समय की युक्ति है जब कौड़ी बच्चे खेला करते थे। तो कौड़ी की कोई खास कीमत नहीं होती है। कौडी है, कंचा है, ऐसे पत्थर के टुकड़े से खेला करते थे बच्चे लोग। अभी इस समय तो खेल के बहुत सारे साधन हो गए हैं। अब इस समय तो खाली उंगली चलाते रहते हैं बच्चे, मोबाइल में खेल खेलते रहते हैं। देखते रहते हैं उसी में छोटे-छोटे बच्चे। पहले तो खेल इसलिए खेलते थे कि शरीर का व्यायाम हो जाये, रोग रहित हो जाए। शरीर से जब आदमी कुछ करता रहता है तो शरीर हरकत में रहता है, जो अन्न खाता है वह पच जाता है और विकार नहीं पैदा होता है। बैठने से विकार पैदा होता है। तो कौडी बदले जाए। इस मनुष्य शरीर की कोई कीमत लगा ही नहीं सकता, न भौतिक रूप से और न आध्यात्मिक तूप से। इसी मनुष्य शरीर रूपी मंदिर के अंदर खजाना भरा हुआ है।
जब जानकार सतगुरु मिलते हैं तो इसी मनुष्य शरीर में भरे खजाने का पता चलता है
जैसे मंदिरों में लोग जाते हैं, मूर्तियों के सामने मत्था पटकते हैं, फूल पत्ती प्रसाद चढ़ाते हैं, कहते हैं कि देवता खुश हो जाएंगे तो हमको सब कुछ दे देंगे। इसी तरह से इस मनुष्य शरीर के अंदर सब कुछ छुपा हुआ है। क्या आदमी को मिल जाय? कोई जानकार मिल जाए और वह बता दे तो क्या न मिल जाए लेकिन अज्ञानता में आदमी इधर-उधर धन, मान, प्रतिष्ठा, भगवान, शांति की खोज में भगता रहता है। जब भेदी जानकार गुरु मिल जाता है तब अंतर में ही प्राप्त करने का रास्ता बता देता है।
जब हर तरफ से निराश हो जाओ, जानमाल बचाने का कोई रास्ता न रहे तब जयगुरुदेव बोलना, हो जायेगी रक्षा
- बराबर जयगुरुदेव नाम अगर बोलते रहोगे तो जयगुरुदेव नाम के आगे मुसीबत आ ही नहीं सकती
- जब तक लड़ाई झगड़ा बीमारी टेंशन रूपी मर्ज को खत्म नहीं करोगे तब तक भजन में मन नहीं लगेगा
- आपके कहने, टाइट होने, जूता मारने पर भी शराब न छोड़ रहा हो तो नाम ध्वनि बोल, बुलवा कर देख लो, छोड़ देगा
- 60 साल से भूत बुड्ढे पर, मरने पर लड़के पर लगे फिर पोते पर लग गए लेकिन नाम ध्वनि होने लगी तो घर छोड़कर भग गये
- घर में किसी भी तरह की समस्या हो, जयगुरुदेव नाम ध्वनि करोगे तब तो आराम मिलेगा
- मौत के आखिरी समय पर जयगुरूदेव नाम मुंह से निकलने पर यमराज के दूत भाग जाएंगे
बड़े प्रेम से सबको अपना मानते हुए उनके भले की बात समझाने वाले, लोक-परलोक दोनों जुड़े हुए हैं इसलिए परलोक के साथ-साथ इस लोक में भी बिगड़े काम बनाने का रास्ता बताने वाले, शारीरिक, मानसिक व आत्मिक सुख शांति दिलाने वाले, घर परिवार की हर तरह की समस्याओं को सुलझाने का सरल व्यवाहरिक उपाय बताने वाले, उस उपाय को करने के लिए बार-बार समझाइश करने, प्रेरणा देने वाले वक़्त के महापुरुष सन्त सतगुरु दुःखहर्ता त्रिकालदर्शी परम दयालु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के प्रति माह कृष्ण पक्ष त्रयोदशी को मनाए जाने वाले मासिक भंडारा पर्व के शुभ अवसर पर 26 जुलाई 2022 प्रातः कालीन बेला में बावल आश्रम, रेवाड़ी (हरियाणा) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि सब के लिए एलान हो गया कि जब भी मुसीबत आवे तब जयगुरुदेव नाम को बोलना।
जब हर तरफ से निराश हो जाओ, कोई भी जानमाल को बचाने वाला रास्ता न रह जाए, सभी आदमी देवता भगवान सबको याद कर लेना, जब कोई सहारा न हो तब जयगुरुदेव नाम बोलना, परीक्षा लेना। परीक्षा लिया लोगों ने, जयगुरुदेव नाम बिल्कुल खरा उतरा। कितनों की जान जयगुरुदेव नाम ने बचाया। अंतिम समय पर प्राण नहीं निकल रहे थे बहुत तफलीफ़ थी जयगुरुदेव नाम बोलने से प्राण आराम से निकले, कितनों के बिगड़े काम बने, कितनों के रोग ठीक हो गए, कितने ही परीक्षा में विद्यार्थी पास हुए, कितनों को नौकरी में तरक्की मिल गई। बोलने से भौतिक लाभ लोगों को मिलता है, दुनिया की चीजें मिलती है तब विश्वास होता है।
मौत के आखिरी समय पर जयगुरूदेव नाम मुंह से निकलने पर यमराज के दूत भाग जाएंगे
दुनिया की चीजों की ख्वाहिश, जरूरत रहती है आदमी की तो उसकी भी पूर्ति करनी पड़ती है। उसके लिए वर्णात्मक नाम सन्त बताते हैं। देखो प्रेमियों! गुरु महाराज तो दुनिया संसार से चले गए लेकिन उनके जगाये हुए जयगुरुदेव नाम में अब भी शक्ति है। जो नए लोग आए हो, कभी मुसीबत तकलीफ में पड़ो जयगुरुदेव नाम जरूर बोलना। लेकिन मुसीबत आवे क्यों? पहले ही क्यों न चेत जाओ। बराबर जयगुरुदेव नाम अगर बोलते रहोगे तो जयगुरुदेव नाम के आगे मुसीबत आ ही नहीं सकती है।
कोटि-कोटि मुनि जतन कराही। अंत नाम मुख आवत नाही।।
आखिरी वक्त पर मुंह से नाम नहीं निकलता है। अगर नाम का अजपा जाप जब अंदर में होता रहे, बराबर नाम चलता रहे तो नाम को सुनकर के आखिरी वक्त पर वो तकलीफ, यमराज के दूत आ ही नहीं सकते है।
60-70 साल से भूत बुड्ढे, लड़के पर लगे, दोनों मर गए और पोतों पर लगे लेकिन जयगुरुदेव नाम ध्वनि होने लगी तो छोड़कर भग गये
घरों में जिनके तकलीफें रहती थी, कैसी भी तकलीफें रहती थी, सुबह-शाम परिवार वालों को इकट्ठा करके जयगुरुदेव नाम की ध्वनि बोलना बुलवाना शुरू किया, उन घरों से तकलीफें जाती हुई दिखाई पड़ रही हैं। बहुत से लोगों के घर से तकलीफें चली गई। 50-60-70 साल के भूत घर में लगे हुए थे। बुड्ढे पर लगे थे। बुड्ढा मर गया, लड़के पर लगे, लड़का मर गया, पोतों पर लगे हुए थे। नाम ध्वनि बोलने से भूत छोड़कर के, चिल्ला-चिल्ला करके भागने लगे, कहते है कहां जाऊं क्या करूं, जब ये बोलते हैं, आवाज लगाते हैं, अब तो हमारा यहां कान फटने लगता है, कहीं भी जाऊं लेकिन अब जा रहा हूँ। ऐसे बोलते हैं।
आजमाइश कर के देख लो, जयगुरुदेव नाम ध्वनि बोलने से छोड़ देगा शराब
आपको क्या पता है, आजमाइश करके देखो। हमसे कहने की जरूरत नहीं है। कितनों को मैं बताऊंगा। बताता हूं तो जल्दी विश्वास नहीं करते हो। आपको किसी को किसी भी तरह की तकलीफ हो, जिनको नाम दान मिल गया है, आप लोग सुमिरन, ध्यान, भजन रोज करो और परिवार वालों कराओ। जिनको नामदान नहीं मिला, खानपान किसी का बिगड़ा हुआ है, आपके बहुत कहने, टाइट होने, जूता मारने पर शराब नहीं छोड़ रहा हो, उनको भी बैठाओ, उनको भी नाम ध्वनि बुलवाओ, वो जयगुरुदेव नाम बोलने, बुलवाने पर छोड़ देगा। मन ही हट जाएगा।
जब तक लड़ाई, झगड़ा, बीमारी टेंशन रूपी मर्ज को खत्म नहीं करोगे तब तक भजन में मन नहीं लगेगा
मन देखो एक ही है। मन जिधर जाता है उधर ही लगा रहता है। मन जब उधर से हट करके इधर लग जाएगा, जयगुरुदेव नाम में, जयगुरुदेव ध्वनि में लग जाएगा तब कुछ दिन के बाद मन हट जाएगा। जो लोग भी इस बात को सुन रहे हो, इसे अमल करो। करने से होता है। दवा बहुत अच्छी दे दी जाए, खाओगे नहीं तो कहां से मर्ज जाएगा? सोचो आप। मर्ज को खत्म करना है। इस मर्ज को अगर खत्म नहीं करोगे, घर की तकलीफ को, घर में जो लड़ाई झगड़ा, बीमारी, टेंशन रूपी मर्ज है ये अगर जाएगा नहीं, ये रोग अगर जाएगा नहीं तो भजन में मन कैसे लगेगा। इसलिए पहला पाठ, पहली सीढ़ी है जयगुरुदेव नाम बोलने की। बराबर बुलवा कर देखो। नए लोग आप भी बोलो और बुलवा कर देखो।
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