इंसानी जामे को पाने के लिए फरिश्ते देवी-देवता है तरसते

  • भवसागर से पार होने का रास्ता दोनों आंखों के बीच से गया हुआ है

दुबई (संयुक्त अरब अमीरात)। सभी जीवों को समझा बता कर अपने असली घर वतन देश सतलोक जयगुरुदेव धाम की याद दिला कर ले चलने के लिए स्वयं वहां से आये सतपुरुष के अवतार इस धरती पर प्रकट सन्त, वक़्त के महापुरुष सन्त सतगुरु दुःखहर्ता त्रिकालदर्शी परम दयालु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 17 जुलाई 2022 सायं कालीन बेला में दुबई (संयुक्त अरब अमीरात) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि इंसानी जामें के लिए फरिश्ते, देवी-देवता भी तरसते रहते हैं। 

देवी-देवताओं के 17 तत्वों के लिंग शरीर में ऐसा कोई रास्ता नहीं है कि स्वर्ग बैकुंठ के ऊपर जा सके लेकिन मनुष्य शरीर में है। शरीर को सुख पहुंचाना यह लोग ज्यादा जानते हैं और करते भी हैं लेकिन शरीर का कोई भरोसा, गारंटी नहीं है की घर से निकले और 2 घंटे बाद वापस आ जाए। शरीर के लिए जितनी भी चीजें इकट्ठा कर रहे हो, सब यहीं छूट जाने वाली हैं। जिस रास्ते से शरीर को चलाने वाली जीवात्मा डाली जाती है, उसी रास्ते से निकलती है। पशु पक्षी खाते और बच्चा पैदा करके दुनिया संसार से चले जाते हैं, यही काम इंसान भी करने लग गया तो क्या अंतर रह जाएगा। 

शरीर को चलाने वाली शक्ति जीवात्मा के निकल जाने के बाद बड़े-बड़े डॉक्टर मुल्ला पुजारी फेल हो जाते हैं कि कौन सी चीज निकल गई। आज तक देख, पता नहीं लगा पाया, किसी मशीन से भी देख नहीं पाया। इस जीवात्मा को जो परमात्मा की अंश है, शरीर के रहते-रहते उस मालिक तक पहुंचाओ। जन्म और मरण से छुटकारा पा जाओ। जब तक यह जीवात्मा अपने घर वतन मालिक के पास नहीं पहुंचेगी तब तक इस को शांति नहीं मिलेगी। 

मनुष्य शरीर पाने का असला धर्म जीवात्मा को दोज़ख नरकों में जाने से बचाओ

असला धर्म यह है कि नरकों दोज़ख में जाने से जीवात्मा को बचाओ। उस मालिक पर से विश्वास खत्म होता जा रहा है लोगों का कि जो पैदा होने से पहले मां के स्तन में दूध भर देता है, परवरिश वह करता, देता खिलाता वो है। लेकिन आदमी की सोच ऐसी हो गई मैं नहीं कमाऊगा तो मेरे बच्चे भूखे मर जाएंगे। विश्वास रखो उस मालिक पर। विश्वास कब होगा जब वह मालिक मिलेगा, उसका दर्शन दीदार होगा, बातचीत होगी तब विश्वास होगा। जो बताया जा रहा है, उसको सुनोगे समझोगे करोगे तो एक दिन विश्वास हो जाएगा। 

भवसागर से पार होने का रास्ता दोनों आंखों के बीच से गया हुआ है

भवसागर से पार होने का रास्ता इन्हीं दोनों आंखों के बीच से गया हुआ है। वह रास्ता जब मालूम हो जाता है, उस रास्ते से जीवात्मा को निकालते हैं तब ऊपरी लोकों में जाकर के आनंद सुख पाती है। रास्ता बताने वाले को गुरु कहते हैं। भगवान से मिलने, इबादत का तरीका बताते हैं, वह गुरु मुर्शीद ए कामिल हुआ करते हैं।

बाबा उमाकान्त जी महाराज के वचन

माया रूपी मधु में आप मस्त मत हो जाओ, इन्द्रियों के सुख के लिए ही सारा काम मत करो। मन जिधर लग गया और इन्द्रियों को सुख मिल गया, उसी में वो लय हो जाता है। जो शरीर के लिए सब कुछ और इसको चलाने वाली आत्मा के लिए कुछ नहीं करते उनको नरकों, चौरासी में डाल दिया जाता है। मनुष्य शरीर पाने का मतलब समझो। चूक जाने पर कितनी बार मरना-जीना पड़ता है। हर बार तकलीफ होती है। साधुओं को एक जगह पर ठहरना नहीं चाहिए, चलते रहना चाहिए।

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