संजय तिवारी
आज रात बारह बजे के बाद यदि कोई भी पवित्र नदियों में कचरा डालते पकड़ा गया तो उसको अमुक दंड का भागी बनना पड़ेगा। आज रात बारह बजे के बाद यदि किसी ने किसी देवी देवता या सनातन आस्था के किसी पूज्य के विरुद्ध कोई अनर्गल प्रलाप या प्रदर्शन किया तो उसको अमुक दंड का भागी बनना होगा। ऐसी दो घोषणाओं की आवश्यकता है। देश मे जिस प्रकार का उत्पाती वातावरण बनाया जा रहा है उसके लिए यह उन्हें अवश्य करना चाहिए। देश को उन पर विश्वास है। उनके पास यह सामर्थ्य भी है और जनसमर्थन भी। ठीक वैसे ही करना चाहिए जैसी घोषणाएं पहली बार नोटबन्दी के लिए और दूसरी बार लॉकडाउन के लिए उन्होंने की थीं। यकीन मानिए , ये दो घोषणाएं सभी नदियों का प्रदूषण समाप्त कर सकेंगी और समाज भी शुद्ध हो जाएगा। किसी का साहस नहीं होगा कि वह किसी की भी आस्था से खिलवाड़ कर सके।
ऐसा इसलिए लिखना पड़ रहा है कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन की पीड़ा भी बाहर आई है। आखिर वह भी नहीं सह सके शब्दों की यातना। नहीं सहन हो पाई शाब्दिक और कलात्मक अराजकता। नही सहन हो सका अनर्गल प्रलाप। नहीं सह सके सनातन शक्ति पुंज का अपमान। पिछले आठ वर्षों में सत्ता के लोकतांत्रिक सर्वोच्च शिखर से सनातन की पुनर्स्थापना के उनके युद्ध को विश्व भी देख रहा और सनातन के सभी शक्ति केंद्र भी। आस्था उनकी निजी है और अपनी आस्था से डिगते उन्हें कभी नहीं देखा। काशी में भगवान विश्वनाथ की शरण मे त्रिपुंड, और अर्चन, मां गंगा की आरती, बाबा केदार की गुफा में तपस्या, कुम्भ में संगम स्नान, अयोध्या जी मे श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर की आधार शिला की स्थापना, सोमनाथ में अभषेक, भगवान शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापना, भगवान रामानुजाचार्य की प्रतिमा स्थापना से लेकर विश्व के प्रत्येक शिखर सत्तासीन को भगवान श्रीकृष्ण की वाणी गीता भेंट करते उनका आत्मविश्वास अद्भुत होता है।
सनातन के इस महायोद्धा ने अपनी निजी आस्था के साथ सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास का संकल्प अनेक बार दुहराया है। कर भी वैसा ही रहे हैं लेकिन सनातन संस्कृति में सर्व शक्तिमान, सृष्टि की परम चेतना माँ काली को लेकर अतिशय साजिश होने लगी तो नरेंद्र मोदी खुद को रोक नही सके। आज स्वामी आत्मस्थानानंद की जन्मजयंती के अवसर पर आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ये संपूर्ण जगत और सबकुछ मां काली की चेतना से व्याप्त है। यही चेतना बंगाल की काली पूजा में दिखती है। यही चेतना बंगाल और पूरे भारत की आस्था में दिखती है। इसी चेतना के पुंज को स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने अनुभूत किया था। पीएम मोदी ने कहा कि मां काली की चेतना पूरे भारत की आस्था में है।
प्रधानमंत्री के ये शब्द आज सार्वजनिक हुए हैं तो इसका अर्थ और निहितार्थ भी समझना होगा। ये शब्द केवल राजनीतिक मुकाम पाने के लिए नहीं हैं। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर पिछले 70 वर्षों में कला और साहित्य के माध्यम से जिस तरह से सनातन संस्कृति के मान विन्दुओं को रौंदा गया है उससे अब सामान्य सनातनी भी परिचित हो चुका है। नदियों से लेकर प्रकृति के सभी अवयवों का अनावश्यक दोहन और विनष्टीकरण का परिणाम पूरी मनुष्य जाति को भुगतना है। ऐसे में आज प्रधानमंत्री के इस संबोधन का आशय समझिए। सनातन की स्थापना का युद्ध वह सलीके से लड़ रहे हैं।


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