इतिहास पढ़कर सच को स्वीकार करें स्वयंसेवकः जिला प्रचारक
- आरएसएस के वनविहार कार्यक्रम का हुआ आयोजन
अरबिंद श्रीवास्तव, ब्यूरो चीफ
तिंदवारी (बांदा)। हमें इतिहास पढ़ना चाहिए और सच को स्वीकार करना चाहिए। दुनिया की भलाई के लिए हिंदू समाज को समर्थवान बनना पड़ेगा। मातृभूमि के लिए निस्वार्थ सेवा के ध्येय को लेकर चलने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्देश्य भारतीय राष्ट्रवाद है। उक्त उद्गार तिंदवारी विकासखंड के ग्राम सिंघौली स्थित शिव मंदिर प्रांगण में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा आयोजित वनविहार कार्यक्रम के बौद्धिक सत्र में व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचारक अनुराग ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए आगे कहा कि बीज से वृक्ष बनता है और बीज को मिट्टी में मिल जाना पड़ता है। समर्पण ही बीज की ताकत है। संघ ऐसे लोगों से चलता है जो होते तो हैं, लेकिन दिखते नहीं है।
उन्होंने कहा कि हम एक हो जाएं, जाग जाएं और सदा के लिए एक रहे, तो अपने देश को संकट से मुक्त तो कर ही लेंगे, आधुनिक दुनिया की मानवता के सामने जो सारी समस्याएं हैं, उनका ठीक-ठीक निदान कर मानवता के साथ सारी सृष्टि प्रगति पथ पर आगे बढ़े, ऐसा नया रास्ता दुनिया को दिखाने की ताकत हमारे भारतीय मूल्यों में है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है। संघ की पहली शाखा में सिर्फ 5 लोग शामिल हुए थे, जिसमें सभी बच्चे थे। उस समय में लोगों ने हेडगेरवार जी का मजाक उड़ाया था कि बच्चों को लेकर क्रांति करने आए हैं। लेकिन आज विश्व का सबसे बड़ा अराजनीतिक स्वयंसेवी और हिंदू संगठन है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 56 अनुसांगिक संगठन है जो संसार भर में फैले हैं।
सेवा भारती, विद्या भारती, संस्कार भारती, मजदूर संघ, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, भारतीय किसान संघ, बजरंग दल और राष्ट्रीय सिख संगत जैसे बड़े संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के घटक हैं। उन्होंने कहा कि स्वयं सेवक शब्द का अर्थ होता है, स्वेच्छा से काम करने वाला। संघ के विचारों को मानने वाले और नियमित तौर पर शाखा में जाने वाले लोगों को संघ का स्वयंसेवक कहा जाता है। उन्होंने सभी से किसी न किसी रूप में संघ से जुड़ने का आवाहन किया। इस अवसर पर जिला सह संपर्क प्रमुख अवधेश जी, खंड शारीरिक प्रमुख संदीप सिंह, मंडल प्रमुख पलरा देवनाथ जी, भाजपा जिला मीडिया प्रभारी आनंद स्वरूप द्विवेदी, पूर्व मंडल अध्यक्ष तथा पूर्व प्रधान रमेश चंद्र पांडेय, सिंघौली प्रधान अरुण कुमार शुक्ला, अतुल दीक्षित, चंद्र भूषण सिंह पटेल, अतुल सिंह, अलखनारायण मिश्रा, अरुण सिंह पटेल, कपिल तिवारी सहित बड़ी संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
वृक्ष धरा के भूषण, करते दूर प्रदूषणः भरत सिंह
- जिला पंचायत सदस्य ने किया वृक्षारोपण
बांदा। वृक्ष धरा का भूषण है इसके लिए प्रदेश की योगी सरकार के महत्वाकांक्षी वन महोत्सव के तहत इस वर्ष 52 लाख 88 हजार 580 पौधे लगाकर जनपद की धरती को हरा-भरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हाल ही में वन महोत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदेश के सहकारिता राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार जेपीएस राठौर और अपर मुख्य सचिव राजस्व सुधीर गर्ग ने 22 हेक्टेयर रकबे की मरौली झील के भीटों पर पारिजात का पौधा रोपित कर जिले की धरती को हरा-भरा करने का आह्वान किया था। उसके बाद जिले से तमाम समाजसेवी और जनप्रतिनिधियों ने अपनी सहभागिता जाहिर करते हुए जिले को हरा भरा करने के लिए सैकड़ों जगहों पर कई प्रजाति के पौधे रोप कर धरा को हरा भरा करने का संकल्प लिया।
उक्त के क्रम में आज प्रदेश के सबसे कम उम्र के जिला पंचायत सदस्य भरत सिंह ने अपने क्षेत्र के महुई गांव में आरसीसी रोड का उद्घाटन किया व साथ ही ग्रामवासियों को पौधे वितरित कर वृक्षारोपण के प्रति बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए अनुरोध किया। उन्होंने बताया की वृक्ष लगाने का पहला और सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि वे कार्बन डाइआक्साइड और श्वास आक्सीजन का आदान-प्रदान करते हैं। पर्यावरण में ऑक्सीजन की जरूरत सभी को कोरोना काल में ज्ञात है। पेड़ न केवल कार्बन डाइआक्साइड लेते हैं बल्कि वातावरण से कई अन्य हानिकारक गैसों को भी अवशोषित करते हैं जिससे वातावरण को ताजगी मिलती है। इतना ही नहीं वृक्ष पर्यावरण को शुद्ध करने का कार्य करते हैं और प्रदूषण को दूर करते हैं।
ध्वनि प्रदूषण को दूर करते हैं। वायु अवरोधक की तरह काम करते हैं और इस तरह आँधी तूफान से होने वाली क्षति को कम करते हैं। वृक्ष की जड़ मिट्टी को मजबूती से पकड़ कर रखती है जिससे भूमि कटान रुकता है। आज जिले में समय से बारिश न होने के चलते भारी किसानों को खरीफ की फसल में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जिसका एक कारण हमारा धीरे धीरे प्राकृतिक संपदा जैसे वनों को नष्ट करना है, एक कहावत है की जहां पर पेड़ों की संख्या अधिक होती है वहां वारिश भी अधिक होती है। इसलिए इस बार जिले को हरा भरा बनाने का संकल्प लेकर अधिक से अधिक पौधे लगाए ताकि जिले को प्राकृतिक आपदाओं से निजात दिलाया जा सके, इस मौके पर ग्राम प्रधान शिवविजय सिंह, विश्राम सिंह, धर्मवीर सिंह, शक्ति सिंह सहित सभी ग्रामवासी उपस्थित रहे।
लम्बित प्रकरणों को समय से निस्तारित कर प्रदेश में प्राप्त करें अव्वल स्थानः डीएम
- अपर निदेशक अभियोजन हुए सम्मानित
बांदा। जिलाधिकारी बांदा अनुराग पटेल के द्वारा आज कलेक्ट्रेट सभागार में ई-प्राशिक्यूशन पोर्टल पर सर्वाधिक प्रविष्टियां दर्ज करने व देश में अभियोजन विभाग उप्र द्वारा प्रथम स्थान प्राप्त करने के उपलक्ष्य में भारत सरकार द्वारा मुख्यमंत्री उ0प्र0 सरकार को प्रदान की गयी ट्राफी को जो अभियोजकों के उत्साहवर्धन हेतु प्रदेश के समस्त जिला मुख्यालयों पर प्रेषित की गयी है को अपर निदेशक अभियोजन जनपद बांदा डीपी तिवारी को प्रदान की गयी। महा निदेशक अभियोजन उ0प्र0 आशुतोष पाण्डेय के कुशल नेतृत्व व प्रभावी निर्देशन में उ0प्र0 के अभियोजकों द्वारा यह उपलब्धि अर्जित की गयी है।
इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक बांदा अभिनंदन, अपर जिलाधिकारी वि0/रा0 उमाकान्त त्रिपाठी, अपर पुलिस अधीक्षक श्रीनिवास मिश्रा, ए0डी0 प्राशिक्यूशन चित्रकूटधाम मण्डल वीरेन्द्र विक्रम, डी0जी0सी0 क्रिमिनल विजय बहादुर सहित जनपद के समस्त अभियोजन अधिकारी व शासकीय अधिवक्तागण उपस्थित रहे। जिलाधिकारी बांदा अनुराग पटेल के द्वारा अभियोजन विभाग द्वारा किये गये कार्यों व उपलब्धियों की प्रशंसा की गयी तथा अभियोजन अधिकारी व शासकीय अधिवक्ताओं का उत्साहवर्धन किया गया तथा कहा गया कि भविष्य में भी आई0सी0जे0एस0 ई-प्रणाली में सम्मिलित मा0 न्यायालय, अभियोजन विभाग, पुलिस विभाग, कारागार विभाग व फोरेन्सिक विभाग आपस में समन्वय बनाकर टीम भावना के साथ न्यायालयों में लम्बित प्रकरणों को अधिक से अधिक निस्तारण करायेंगे तथा पीड़ित पक्षकारों को न्याय सुलभ करायेंगे, जिससे अपना जनपद भी प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त करे।
पुलिस अधीक्षक अभिनंदन द्वारा अभियोजकों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा गया कि पुलिस का प्रत्येक स्तर पर अभियोजन से समन्वय बनाये रखा जायेगा साथ ही प्रयास यह होगा कि जिन मामलों में आरोप पत्र प्रेषित किये गये हैं उन मामलों में अधिक से अधिक सजा करायी जाए। ए0डी0 अभियोजन चित्रकूटधाम मण्डल बांदा ने अभियोजकों द्वारा किये गये कार्यों की प्रशंसा की गयी तथा जनपद बांदा को मण्डल में तथा प्रदेश स्तर पर भी सराहनीय योगदान किये जाने हेतु प्रोत्साहित किया गया। अपर निदेशक अभियोजन डी0पी0तिवारी द्वारा जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक महोदय को आश्वस्त किया गया कि जनपद के अभियोजकों द्वारा निरन्तर प्रयास करके जनपद बांदा की अभियोजन सम्बन्धी उपलब्धियों में वृद्धि की जायेगी।
डंपर से टकराई तीर्थयात्रियों से भरी बोलेरो, एक की दर्दनाक मौत
- आगरा से चित्रकूट जाते समय हुआ दर्दनाक हादसा
- घायलों को अस्पताल में कराया गया भर्ती
- चार घायल हुए कानपुर रिफर
बांदा। गुरूवार की रात बोलेरो में सवार होकर चित्रकूट के कामतानाथ में दर्शन के लिए जा रहे आगरा का एक परिवार जनपद बांदा के मटौन्ध थाना क्षेत्र में डंपर से टकराकर पलट गया। जिससे बोलेरो में सवार एक व्यक्ति की मौत हो गई, जबकि 5 लोग घायल हो गए। जिन्हें गंभीर अवस्था में जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है। इनमें से इलाज के लिए चार तीर्थ यात्रियों को डाक्टरों ने कानपुर रिफर कर दिया है। इस बारे में जानकारी देते हुए पुलिस अधीक्षक अभिनंदन ने बताया कि गुरुवार की रात लगभग 12.30 बजे बोलोरो चालक को झपकी आ गई, जिससे सामने से आ रहे डंपर से बोलोरो टकराकर पलट गई।
इस दुर्घटना में बोलोरो में सवार सभी यात्री गंभीर रूप से घायल हो गए। इनमें से एक की मौत हो गई। सभी घायलों को जिला अस्पताल के ट्रामा सेंटर ले गया ले जाया गया है। जहां यात्रियों की हालत गंभीर देख कर डॉक्टरों ने कानपुर के लिए रेफर कर दिया। सभी घायल एवं मृतक आगरा के रहने वाले हैं। जो चित्रकूट के कामतानाथ मंदिर में दर्शन के लिए जा रहे थे लेकिन रास्ते में दुर्घटना के शिकार हो गए। घायलों में एक 10 वर्षीय बालक भी बताया जा रहा है।
बुन्देलखण्ड मे वर्षा अनुरूप अल्प अवधि के फसलो का चयन करे किसानः कृषि वैज्ञानिक
बांदा। प्रदेश के अन्य क्षेत्रो के तरह इस वर्ष बुन्देलखण्ड क्षेत्र में भी प्री-मानसून एवं मानसून मे वर्षा कम अथवा नही हुई है। एसी स्थिति मे खरीफ फसलो की बुआई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र में प्रायः वर्षा का वितरण आसमान एवं अनिश्चित रहता है। इस क्षेत्र में वर्षा कभी जल्दी शुरू हो जाती है तो कभी देर से शुरू होती है। बारिश प्रायः कभी समय से शुरू होकर जल्दी बंद हो जाती है। कभी-कभार मानसून के बीच में दो वर्षा दिवस के बीच काफी बडा अन्तराल हो जाता है। मानसूनी बारिश के इस प्रतिकूल स्वभाव का असर क्षेत्र के खेती किसानी पर पड़ता हैं ऐसी स्थिति में फसल प्रबन्धन के लिये कुछ वैकल्पिक उपाय किये जाते है, ताकि आसामान्य वर्षा का प्रतिकूल प्रभाव कम हो सके।
वर्षा के विलम्ब से आरम्भ होने (मध्य जुलाई) की दशा में, क्षेत्र में उगाये जाने वाले सामान्य फसलों की तुलना में कम पानी चाहने वाले एवं अल्प अवधि की फसलों का चयन करना चाहिये। ऐसा इसलिये क्योकि वर्षा के देर से शुरू होने के कारण फसल उत्पादन के लिये अनुकूल दिनों की संख्या में कमी आ जाती है। क्षेत्र में इस समय तक बरसात शुरू नही हो पाने के कारण कुछ फसलों की बुवाई में विलम्ब हो रहा है। वर्तमान परिस्थितियो को देखते हुए कषि विश्वविद्यालय बांदा के वैज्ञानिको ने कृषको को सलाह दी है कि वर्षा जल का प्रबंधन करने हेतु आवश्यक कदम उठाये। खाली पडे तालाबो, जलाशयो की सफाई व जल प्रवाह वाले क्षेत्रो से आवरोध को खत्म करे जिससे तालाब वर्षा जल से भर जाये। इसके आलावा समय रहते खेतो की मेढबन्धि अवश्य कर ले जिससे खेतो मे वर्षा का जल रूक सके।
वैज्ञानिको ने यह भी सुझाव दिया कि इस दशा मेंः अल्प अवधि की फसलों का चयन करें। तिल, उड़द, मूँग, मूंगफली, अरहर आदि के उपयुक्त किस्मों का चयन करना चाहिये। बीजो को उपचारित करके बोना चाहिये। उरर्वकों को निर्धारित मात्रा में प्लेसमेट विधि से दें। बीजो को निर्धारित दर से 20 प्रतिशत अधिक की दर से बोये। बोवाई हमेंशा कतारों में करे और उचित खरपतवार प्रबन्धन सुनिश्चित करें। अरहर एवं तिल की फसल को कुड़ मेंड विधि से बोयें। धान की सूखी (खुर्रा) विधि से सीधे बुवाई करें। धान की नर्सरी समुचित पानी की व्यवस्था वाले स्थान पर करें।





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