कबीर साहब का लड़का जिस (कील) के बारे में कहा वो यही नामदान है जो सन्त उमाकान्त जी अकाल मृत्यु से बचाने के लिए लुटा रहे

  • कलयुग से गद्दी जबरदस्ती खाली कराते समय ये अपना कल बल छल दिखायेगा
  • नामदान देकर आधार बनाया जा रहा, खराब समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों की हो सके रक्षा

इंदौर (मध्य प्रदेश)। सन 1972 तक 20 करोड़ जीवों को नामदान दे चुके और उसके बाद 2012 तक न जाने और कितने ही जीवों को भी ये जीते जी मुक्ति-मोक्ष पाने का, शिव नेत्र खोलने का, देवी-देवताओं को देखने का, संकट में रक्षा का, सतलोक जाने का कन्फर्म टिकट दे चुके परम पूज्य परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, जिनमें गुरु महाराज चरम पर पहुंचते अपनी पूरी ताकत दिखाते कलयुग को पदमुक्त कर सतयुग को पदासीन करने और इस परिवर्तन के संघर्ष में होने वाली भीषण जन-धन की हानि को न्यूनतम सीमा तक ले जाने हेतु अपनी पूरी पावर दया आशीर्वाद दे कर गए हैं और उसी पावर ताकत से अब दिन-रात जीवों को बचाने में लगे इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु त्रिकालदर्शी उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 11 सितंबर 2022 प्रातः इंदौर आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि त्याग तो थोड़ा करना पड़ता है। 

सतयुग देखना, दिखाना है तो उसके लायक बनना, बनाना पड़ेगा

यह लड़ाई कलयुग और सतयुग की है क्योंकि यह महापुरुष गुरु महाराज का वाक्य है- कलयुग में कलयुग जाएगा, कलयुग में सतयुग आएगा। सतयुग ऐसे नहीं आ जाएगा। सतयुग के लायक लोगों को बनाना पड़ेगा। वरना सतयुग लोग देखेंगे कैसे? कलयुग अपने साथ लेता जाएगा। सतयुग में सब योगी विज्ञानी चरित्रवान शाकाहारी अच्छी भावना अच्छी नीयत वाले, मानव (शरीर रूपी) मंदिर पवित्र, ऐसा (अच्छा) कर्म लोगों का था कि जाड़ा गर्मी बरसात समय पर होता था। जब जरूरत पड़ती, खेत-खेत में बादल आकर पानी बरसा जाते थे। लोग एक बार बोते और 27 बार काटते थे, बार-बार नहीं बोना पड़ता था। तो ऐसे नहीं होगा, सतयुग के लायक बनना पड़ेगा।

बुझता दीपक तेज जलता है ऐसे ही कलयुग अपना असर तेज जता रहा है

मालूम हो गया उसको (कलयुग को) कि हमको जाना है। किसी को जब घर से निकालने लगो तो अंगड़ाई लेता है, नहीं कुछ तो जो खाली करा रहे उसको दो थप्पड़ लगा करके ही भगता है, मरता हुआ मारकर के मरने की कोशिश करता है, दीपक जब बुझने को होता है तो तेज जलता है- ऐसे ही कलयुग अपना असर जताता चला जा रहा है। कैसे आएगा कलयुग में सतयुग? एक गद्दी पर दो राजा कैसे बैठ सकते हैं? नहीं बैठ सकते। एक जब खाली करता है तब दूसरा बैठता है। अब जब समय आ जाएगा, कोई खाली नहीं करेगा तो जबरदस्ती खाली कराते हैं।

जैसे जनता के जो प्रतिनिधि चुनाव हारने बाद बंगला खाली नहीं करते तो जबरदस्ती खाली कराते हैं

देखो बहुत से जनता के प्रतिनिधि (चुनाव) हारने पर भी जल्दी बंगला खाली नहीं करते, दबंगई से रहते। जब हुकुम हो जाता है खाली करने के लिए तब नहीं खाली करते तो जबरदस्ती खाली कराना पड़ता है। चाहे इज्जत से चाहे बेइज्जत से, खाली तो करना ही पड़ता है। ऐसे ही गद्दी तो खाली करनी ही पड़ेगी। गद्दी जब कलयुग को खाली करनी पड़ेगी तो जैसा मैंने बताया कि मरने वाला हाथ पैर पटकता ही है, नहीं कुछ करने को होता है तो अपना कल बल छल दिखाता है तो ये दिखायेगा। दोनों (सतयुग और कलयुग) में होगा संघर्ष, लड़ाई। पिसेंगे लोग। कबीर साहब कलयुग के प्रथम सन्त थे, उसी समय लिख करके गए-

 चलती चक्की देखकर दिया कबीरा रोय।  दो पाटों के बीच में साबुत बचा न कोय।।

कहा दो पाटों के बीच में साबुत तो कोई बचा ही नहीं। हाथ की चक्की में दो पाटे होते हैं। अब तो बड़े-बड़े सेठों के घर मोटी-मोटी औरतों को डॉक्टर चक्की पिसवाते, कुटवाते, (एक इंच आगे न जा सको वो) साईकल चलवाते हैं। पाटों के बीच के गेहूं पिस जाते हैं लेकिन चक्की के बीच की कीली, जिसके सहारे चक्की चलती है, उसके किनारे-किनारे जितने गेहूं होते हैं सब बच जाते हैं। उनका लड़का कमाल हंसा-

 चलती चक्की देखकर हँसा कमाल ठठाय। कील सहारे जो रहे वो साबुत बच जाय।।

कहा कील के सहारे वाले सब बचे और बाकी सब पिसे जा रहे हैं। बचने का तरीका।

आत्मा का मानव धर्म- नामदान दिला कर नरकों से बचाया जाय, यही है कील

कील क्या है? यही है- मानव धर्म सच्चाई ईमानदारी अहिंसा, हिंसा-हत्या न करो, जीव को मत सताओ, एक दूसरे की मदद सेवा परोपकार करो, यह शरीर का धर्म है। और आत्मा का धर्म क्या है? जीवात्मा को नरकों से बचाया जाए, 84 में ले जाने से बचाया जाए, यह इस दुःख के संसार में दुःख झेलने के लिए दोबारा न आवे, इसको मुक्ति-मोक्ष दिला दिया जाये।

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