गुरु महाराज का मंदिर बड़ा मजबूत ऐतिहासिक बनाना चाहिए - बाबा उमाकान्त जी महाराज

  • बाबा जयगुरुदेव अगर इतनी मेहनत न किए होते तो अब तक चारों तरफ हाहाकार खून खराबा ही दिखाई पड़ता
  • भारत के महात्मा दूसरे देशों में गये, हमको 15 देशों में लेकर गए, वहां-वहां संगत खड़ी हो गयी

उज्जैन (म.प्र.)। निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, आदि काल से चले आ रहे पांच नामों के नामदान को देने के एकमात्र अधिकारी, सक्षम, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु त्रिकालदर्शी उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने दीपावली कार्यक्रम में 22 अक्टूबर 2022 सायं उज्जैन आश्रम में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में परम पूज्य परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी के मंदिर समबंधित अहम बातें बताई।

करने वाले चाहे थोड़े ही लोग रहे लेकिन भावना सबके जुड़ने चाहिए

प्रेमियों की इच्छा थी, लोगों ने कहा गुरु महाराज का स्थान अब बन जाना चाहिए। गुरु महाराज का मंदिर तो बन जाना चाहिए। प्रेमियों ने ही निर्णय लिया कि गुरु महाराज का मंदिर अब बन जाए। जगह भी आपको बता दिया गया है। तैयारियां भी शुरू हो गई है। जैसे ही तैयारीयों में लगे लोग हमको बता देंगे कि हमारी तैयारी पूरी हो गई है तो हम उसकी शुरुआत भी जल्दी करवा देंगे। लेकिन आप यह समझो जैसा देवता वैसी उसकी पूजा होती है। जैसे कोई बड़ा आदमी, समधी दामाद जीजा आ गए तो उस तरह का भोजन बन जाता है और उनके यहां का कोई नौकर या गांव का आदमी आ गया तो वैसा व्यवहार करते हो। तो गृहस्थी की तरह इसमें भी व्यवस्था करनी पड़ेगी। तो अभी आपसे पूछा जाए कि छोटा-मोटा बनवाया जाए तो कहोगे नहीं-नहीं। बड़ा और मजबूत बनाया जाए। 

लेकिन मजबूती से लगना पड़ेगा। अकेले दो चार दस के बस की चीज वह नहीं रहेगा। करने वाले चाहे थोड़े ही लोग रहे लेकिन भावना सबके जुड़ने चाहिए। हर आदमी को समझना चाहिए कि हम बनवा रहे हैं। हमारे गुरु का स्थान बन रहा है, ऐतिहासिक बनना चाहिए। इस तरह का बनना चाहिए कि आने वाली कई पीढ़ियां उसको याद करती रहे और देखें कि इस जगह पर यह है। जब उनकी फोटो को लोग देखें तो कहें कि कितने बड़े महापुरुष थे जो जीवों की भलाई में दिन-रात लगे रहते थे, आखरी वक़्त तक लगे रहे, इतने लोगों को सुधार दिया, इतना बड़ा काम किया। ये चीज लोगों के जेहन में बैठती चली जाए। उसके लिए मेहनत त्याग करना पड़ेगा।

गुरु महाराज जल्दी बैठते नहीं बराबर सबको समझाते सत्संग करते रहते थे

गुरु महाराज बहुत मेहनत किए। एक जगह जल्दी बैठते नहीं थे, बहुत जरूरी काम रहता तब रुकते थे नहीं तो सतसंग बराबर करते रहते थे, लोगों को समझाते बताते रहते थे। इतनी मेहनत अगर न किए होते तो अब तक चारों तरफ हाहाकार मच गया होता, खून खराबा ही दिखाई पड़ता। जो स्वार्थी हो जाते हैं उन्हें परमार्थ नाम की कोई चीज ही नहीं दिखाई पड़ती लेकिन गुरु महाराज ने बहुतों को छोटा बनना, हाथ जोड़ना सिखा दिया। बहुत से लोग तो ऐसे बोल देते हैं जैसे लकड़ी तोड़ी जाती है लेकिन गुरु महाराज ने सिखाया हाथ जोड़ो, एक दूसरे की आत्मा को देखो जो दोनों आंख के बीच में जीवात्मा बैठी हुई है उसको प्रणाम करो। गुरु महाराज ने खूब दौरा, मेहनत किया।

भारत के महात्मा दूसरे देशों में गये, हमको 15 देशों में लेकर गए, वहां-वहां संगत खड़ी हो गयी

भारत के महात्मा दूसरे देशों में गए। जहां-जहां गए वहां संगत खड़ा कर दिया। गुरुमहाराज के जाने के बाद भी अपने ही प्रेमियों ने जगह-जगह पर प्रचार शुरू कर दिया। विदेशों में जबरदस्ती कहते-कहते हमको 15 देशों में ले गए, नामदान दिलवाए। महात्मा चलते-फिरते रहते हैं।

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