यदि रावण वाला कर्म- मांस, शराब का सेवन, दूसरे की औरत को गलत नजर देखोगे तो रावण जैसा ही हश्र होगा


  • दशहरा के दिन मन की गति और चाल को रोक ले गए, बुराइयों को छोड़ दिया तो आपका ये मन का रावण मर जाएगा

पर्व और त्योंहार मनाने के पीछे छिपे असली उद्देश्य और संदेश को सरल शब्दों में बताने-समझाने वाले ताकि सभी इनसे मिलने वाले भौतिक और आध्यात्मिक लाभ को प्राप्त कर सके, इस समय के युगपुरुष पूरे समरथ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 5 अक्टूबर 2022 को जयपुर में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि

रावण के अहंकार ने उसकी विद्वता, शक्ति, तपस्या का नाश कर विनाश करवा दिया

रावण कौन था? बड़ा विद्वान, बलवान, बड़ी शक्ति ताकत वाला था। बहुत तपस्या, मेहनत किया था। पूजा भक्ति करते-करते शिव की इतनी शक्ति रावण के अंदर आ गयी थी कि कहता था जमीन से स्वर्ग तक सीढ़ी लगा दूंगा और सीढ़ी पर चढ़कर के लोग स्वर्ग पहुंच जाएंगे। ज्ञानी था, बहुत सक्षम था, धन इतना था कि सोने की लंका थी, ताकत इतनी थी कि उसके सामने लड़ाई में आने में बड़े-बड़े देवता घबराते थे। जब जैसा चाहता, रावण हवा को रोक देता, तेज-कम चलाता था।

वरुण, कुबेर, सुरेश, समीरा। रण सन्मुख धरि काहूँ न धीरा।।

लेकिन उसको राक्षस क्यों कहा गया? उसका सर्वनाश क्यों हुआ? रावण के घर में एक लाख पूत सवा लाख नाती, एक भी नहीं बचे क्यों?

रावण के विनाश का कारण

क्योंकि उसके अंदर प्रमुख रूप से तीन बुराइयां आ गई थी- मांस खाता था, शराब पीता था अब दूसरे की मां-बहन को गलत नजर देखता था। जब मांस खाया और उसी का खून बना, शराब पिया वैसे ही बुद्धि हो गई। बुद्धि भ्रष्ट जब हुई, तब दूसरे की मां-बहन को अपनी ही पत्नी समझने लगता था तो मन उससे पाप करा देता था और उसके अंहकार में आ जाता था कि हमारे पर रोक-टोक नहीं है, कोई एक्शन-रिएक्शन नहीं है, हम तो आजाद हैं, पावरफुल हैं तो वह अहंकार उसको खत्म सर्वनाश करा दिया।

यदि आप भी वैसा ही बुरा कर्म करोगे तो

महाराज जी ने 25 अक्टूबर 2020 को उज्जैन आश्रम में बताया कि अब आपका मन अगर उसी तरह से कामी, क्रोधी हो गया तो रावण वाले कर्म अगर आप करोगे तो शरीर से पाप बन जाएगा। दूसरे की औरत को, बच्चियों दूसरे के पुरुष को गलत नजर देखने लग जाओगी तो शरीर पापी हो जाएगा। पाप की सजा तो मिलती है, पाप का अंत तो होता है। पाप जब बहुत बढ़ जाता है तब धर्म की स्थापना होती है।

आज दशहरा के दिन मन की गति-चाल को रोक ले गए, बुराइयों को छोड़ दिया तो आपका ये मन का रावण मर जाएगा

मन को आज मारने की जरूरत है। और आज अगर दशहरा के दिन आप मन की गति को, चाल को, मन को, रोक ले गए और अभी तक की गई सभी बुराइयों को छोड़ दोगे, शरीर के अंग से बुराइयां करके शरीर को गंदा, अपवित्र, पाप किया उसको अगर आप छोड़ दोगे तो समझो कि आपका यह मन का रावण मर जाएगा। और यही मन फिर उधर ऊपर प्रभु की तरफ लग जाएगा।

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