भजन करने लग जाओ तो वक़्त गुरू की पहचान हो जाये फिर देखोगे सृष्टि, संसार और आपका घर भी वोही चला रहे हैं

  • बाबा जयगुरुदेव ने सतसंग मंच से कहा- ये उमाकान्त नयों को नामदान देंगे और पुरानों की करेंगे संभाल
  • इतिहास देख लो-एक युग में एक ही को आदेश हुआ जीवों को मुक्ति मोक्ष का रास्ता - नामदान देने का

गाजियाबाद (उ.प्र)। निजधामवासी परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी के एकमात्र आध्यात्मिक उत्तराधिकारी जिनसे ही इस समय कलयुग में जीवात्मा का उद्धार हो सकता है, आदि काल से चले आ रहे पांच नामों का नामदान देने में सक्षम, इस समय के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 26 सितंबर 2022 प्रातः गाज़ियाबाद (उ.प्र.) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि गुरु शरीर नहीं, एक शक्ति पावर होती है। बाकियों की तरह मां के पेट में बनकर ही पैदा होते हैं लेकिन जब अपनी आत्मा को जगाते हैं तब उनकी आत्मा में ताकत आ जाती है। 

आपकी आत्मा तो सोई हुई है, न प्रभु को याद कर रही है, न अपने घर को। यह दुनिया मुसाफिरखाना धर्मशाला है। यहां कितने लोग आए, चले गए। आप अपने बाप-दादा के घर को अपना घर मान लेते हो। वह भी तो यही कहते-कहते चले गए कि यह घर मेरा, यह घर मेरा। उनका नहीं हुआ तो आपका कैसे हो सकता है? अपना घर तो ऊपर प्रभु का घर है। जब अपनी आत्मा को जगाते हैं, जब यह वहां पहुंचती है तो इसमें परमात्मा की पूरी ताकत आ जाती है।

सोइ जानइ जेहि देहु जनाई। जानत तुम्हहि तुम्हइ होइ जाई॥

ताकत तो बहुत लोगों को आ सकती है। पहले भी सन्त, गुरु हुआ करते थे लेकिन जिसके अंदर ताकत आ जाती है वह बगैर आदेश के कोई काम नहीं करता है। आप इतिहास उठाकर देख लो, एक युग में एक ही को आदेश हुआ, जीवों का काम करने, समझाने, उपदेश देने, जीवों के अंत:करण को धोने का। एक ही को आदेश होता है। वह जब काम शुरु करते हैं तो उनको लोग जान, पहचान जाते हैं लेकिन उनके शरीर को ही पहचानते हैं।

इस समय ध्यान, भजन करने लग जाओ तो गुरु महाराज की पूरी दया काम कर रही है

जैसे आप गुरु महाराज के शिष्य, गुरु महाराज के शरीर को ही पहचाने। जब आप दु:ख तकलीफ लेकर जाते, वह दया की दृष्टि डालते, सर पर हाथ रखते तो तकलीफ में आराम मिलता। बहुतों के बिगड़े काम बने, गरीबी व रोग मिटे, घर में सुख-शांति आई तो गुरु को उतना ही जान पाए, उतनी ही पहचान हो पाई और आगे नहीं बढ़ पाए। लेकिन ध्यान भजन अगर करते तो अंदर से पहचान हो जाती। बहुत से लोगों ने पहचान किया। गुरु महाराज ने करोड़ों जीवों को अपनाया, बहुतों को पहचान बताकर, मदद करके निज घर पहुंचा दिया। आप अगर इस समय ध्यान भजन करने लग जाओ तो गुरु महाराज की पूरी दया काम कर रही है।

बाबा जयगुरुदेव चिट्ठी लिखकर भेजते कि इन्हें (उमाकान्त जी) को भेज रहा हूं, समझ लो मैं ही आ रहा हूं

गुरु महाराज जब मौजूद थे तब जो (लोग उनके पास में) पहुंचते थे उनको सतसंग द्वारा बात बता देते थे। फिर उसके बाद में लोगों को अधिकार दे देते थे कि जाओ उनको समझाओ, शाकाहारी नशा मुक्त बनाओ, उनके अंदर नाम दान लेने की इच्छा पैदा करो, जयगुरुदेव नाम के बारे में बताओ। कितनी बार चिट्ठी लिखकर मुझे जगह-जगह भेजा। मुझ नाचीज के लिए अलग ही लिखा भेजते। यहां तक गुरु महाराज ने लिख दिया था कि मैं इनको उमाकान्त तिवारी को भेज रहा हूं, समझ लो मैं ही आ रहा हूं। अब आप समझो, मैं ही आने का मतलब क्या है? ताकत देते थे, वाणी में शक्ति देते थे। कहने का मतलब यह है कि एक जगह से सन्त काम नहीं करते मनुष्य शरीर में रहने के नाते। उनका पावर शक्ति काम करती है। यह भी सत्य है कि जिस जीव को पकड़ते हैं, छोड़ते नहीं हैं चाहे चार जन्म लेना पड़ा लेकिन मुक्ति-मोक्ष जीवात्मा को दिलवाते ही हैं।

बाबा जयगुरुदेव जी, सन्त उमाकान्त जी को मंच पर खड़ा करके बोले, इनका दफ्तर 24 घंटा खुला है

आप लोगों ने सुना होगा, मेरा ही नाम लेकर गुरु महाराज कहे थे, ये नए लोगों को नाम दान देंगे, पुरानों की संभाल करेंगे। मुझे मंच पर खड़ा कर ऐलान किया कि यह है, इनको पहचान लो, देख लो, इनका दफ्तर 24 घंटे खुला रहता है। एक आदमी मनुष्य शरीर से पूरे दफ्तर को कैसे संभाल सकता है? लेकिन उनकी दया से, ताकत उन्होंने दिया। मेरी बात पर आपको गौर को करना चाहिए कि गुरु की ये जो बात है, उनकी बातों को ही अब मेरी आवाज में समझ करके जैसे गुरु महाराज की आवाज जो थी, उसको मैं याद दिला रहा हूं, इसी पर आप विश्वास कर लो।

भजन करने लग जाओ तो वक़्त के गुरू की पहचान हो जाएगी तो फिर उन पर मर मिटने के लिए हो जाओगे तैयार

जब आप सुमरन, ध्यान, भजन करने लग जाओ, अंतर में गुरु की पहचान हो जाएगी तब आप गुरु के लिए मरने-मिटने के लिए तैयार हो जाओगे। जब यह देखोगे कि गुरु ही शरीर को चला रहे हैं, गुरु ही धन दौलत अन्न पानी सब दे रहे हैं, गुरु ही मेरे बच्चों की परिवार की संभाल परवरिश कर रहे हैं तो आपको विश्वास हो जाएगा। जब वह ऐसा भाव पैदा कर देंगे कि यहां मेरा अपना कुछ है ही नहीं, मैं कुछ कर ही नहीं रहा हूं।

करता करे न कर सके, गुरु करे सो होय

तो हमको गुरु की बातों को ही पकड़ लेना चाहिए, उसी रास्ते पर चलना चाहिए।

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