त्योंहार पर संकल्प बनाओ, अंडा-मांस, शराब आदि नशों का सेवन छोड़ो

  • सन्त उमाकान्त जी ने बताया लक्ष्मी को खुश करने, घर में रोकने का तरीका

उज्जैन (म.प्र.)। निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, आदि काल से चले आ रहे पांच नामों के नामदान को देने के एकमात्र अधिकारी, सक्षम, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु त्रिकालदर्शी उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने दीपवाली कार्यक्रम में 23 अक्टूबर 2022 दोपहर उज्जैन आश्रम में दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि इस शरीर में जो चीज डालोगे उसी का खून बनेगा। मांसाहार करने से खून दूषित हो जाएगा फिर उस अशुद्ध शरीर से हाथ से फूल पत्ती प्रसाद चढ़ाएगा, मांसाहारी मुंह से स्तुति पूजा-पाठ करेगा तो कुबूल नहीं होगा। इसीलिए हर साल लक्ष्मी गणेश की पूजा करते हैं लेकिन लक्ष्मी खुश होती हैं? नहीं होती।

लक्ष्मी कैसे खुश होती हैं, कैसे घर में रुकेंगी

आज तो बहुत लोग लक्ष्मी गणेश की पूजा करेंगे कि लक्ष्मी जी खुश हो जाएँगी, हमारा खजाना भर जाएगा, रिद्धि सिद्धि हमारे दरवाजे से हटेंगे नहीं, गणेश जी विराजमान रहेंगे लेकिन दारू पीकर के मांस खा कर के उनकी पूजा करेंगे, नशे में हिलते हाथों से फूल पत्ती चढ़ाएंगे तो देवता कुबूल करेंगे? कभी नहीं। जब मन चित सही रहता है तब दया दुआ प्रभु मिलती है। निर्मल मन जन सो मोहि पावा, मोहि कपट छल छिद्र न भावा। निर्मल मन होना चाहिए। बोलोगे देखो हर साल लक्ष्मी गणेश पूजा करते हैं लक्ष्मी खुश होती हैं? लक्ष्मी किससे खुश होती हैं? जो मेहनत ईमानदारी की कमाई करके लाता है, अच्छे काम में लगाता है तो लक्ष्मी को उससे खुश होकर रुक जाती हैं। जो मेहनत ईमानदारी की कमाई करके उनको लगाता है, खुशी से रखता है, अच्छे काम में लगाता है उसके ऊपर खुश हो करके रुक जाती हैं। जो गलत जगहों पर, बदबू वाली जगहों जैसे शराब की दूकान पर लक्ष्मी को फैंक आता है, लक्ष्मी को भी शर्म आती है कि यहां हमको फेंक गया। शराबी के पास लक्ष्मी पैसा नहीं रुकता है, कभी नहीं। इसलिए शाकाहारी रहो और नशे का सेवन मत करो।

त्योंहार पर संकल्प बनाओ, अंडा-मांस, शराब आदि नशों का सेवन छोड़ो

सतसंग को देखने सुनने वालों को आज के दिन दीपावली में यह संकल्प बनाना चाहिए कि हम पशु-पक्षियों का मांस नहीं खाएंगे जिससे हमारी बुद्धि व खून खराब हो, शरीर अपवित्र हो जिससे हमारा पूजा पाठ प्रभु कबूल न करें, न खुश हों। भांग, अफीम, कोकीन शराब आदि नशे की चीजें छोड़ो। तंबाकू हुक्का बीड़ी सिगरेट से तो होश में रहेगा, पहले लोग दवा के रूप में पीते थे। खाने के बाद गैस दूर करने के लिए हुक्का पीते थे। अगर आपको भजन करना है तो उसको भी छोड़ना पड़ेगा। गुरु महाराज कहा करते थे बीड़ी हुक्का सिगरेट तंबाकू चिलम बीड़ी पिया ही नहीं। जब गुरु महाराज नहीं पिए तो हम कहां खाए-पिये होंगे? हम तो हाथ से छुए तक नहीं। 8 मार्च 1974 को होली थी। सतसंग में जाते थे तो हमसे जो सीनियर थे, कहा करते थे कि त्योहारों के दिन कुछ कमी, जिसको बुरा समझते हो वो चीज, आदत छोड़ी जाती है। अगर भजन करना है तो नशे की चीजों को छोड़ना पड़ेगा।

सभी नामदानियों को आज क्या संकल्प बनाना है

कि हम मन वचन कर्म से गुरु के आदेश का पालन करेंगे। गुरु महाराज को इमरजेंसी में जेल में बंद किया। सब महापुरुषों के साथ यही हुआ। कोई नई बात नहीं। दुष्टों ने छोड़ा नहीं, तपना पड़ा जैसे सोना ताप कर और निखर जाता है, कीमत और बढ़ जाती है। राम चाहते तो अयोध्या से बैठकर रावण को मारने का जुगाड़ बना लेते हैं लेकिन तब उनकी पूजा न होती, रामलीला दिवाली न मनाई जाती लेकिन उन्होंने त्याग किया। त्याग जो करते हैं तन को ताप आता है। जो इच्छाओं का दमन करता, मारता है उसी को लोग भगवान मान लेते हैं कि दूसरों के हित के लिए काम करता है।

दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय, जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे को होय

आदमी खुद ही दुःख पैदा कर लेता है। कारण? या तो सन्त सतगुरु, उनका सतसंग नहीं मिलने से जानकारी नहीं मिलती या उसकी आदत शराब पीने, हिंसा-हत्या कर पेट भरने, जबान के स्वाद के लिए मांस खाने की गलत आदत बन गई। अगर तौर-तरीका रहने खाने उठने बैठने परिवार में एक-दूसरे के प्रति व्यवहार का नहीं सीख पाए तो कर्म खराब होते जाएंगे तो सजा मिलती चली जाएगी। पूजा करने वाली जगह शरीर गन्दा होने से पूजा भी कबूल नहीं होगी। पान की गड़बड़ी की वजह से कर्म खराब हो जाता है। रावण जैसा कर्म करोगे तो अच्छा हाल होगा? कर्मों के बंधन से छुटोगे? स्वर्ग बैकुंठ जाओगे? अपने असला घर वतन पहुचोगे? सोचो।

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