बाबा जयगुरुदेव जी का मंदिर, चिह्न बावल रेवाड़ी में देश-विदेश के सब प्रेमी मिल कर बना दो- सन्त उमाकान्त जी

  • आने वाली पीढ़ियों के लिए, पहचान के लिए इतने विलक्षण गुरु महाराज का चिह्न बन जाये

सीकर (राजस्थान)। बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष पूरे समरथ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 02 अक्टूबर 2022 प्रातः सीकर (राजस्थान) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि बहुत से प्रेमी कहते-कहते चले गए उनकी इच्छा पूरी नहीं हो पाई कि गुरु महाराज का कोई स्थान चिन्ह मंदिर बन जाए। हमसे भी बराबर कहते रहते थे की पहल करो, कोशिश करो, बनाओ, बनते हुए हम देख लें लेकिन बेचारे चले गए। हमने कहा बनेगा, समय आएगा तब बनेगा।

झगड़ा झंझट में मथुरा में तो गुरु महाराज का मंदिर नहीं बन सकता है 

ढाई-तीन साल पहले मैंने पहल किया कि बन जाए लेकिन झगड़ा झंझट में मथुरा में कोई मंदिर नहीं बन सकता था। हमें आज भी दुश्मन मान रहे हैं। (मैं) चाहता तो था कि मथुरा में बन जाए। वहां आपस में लड़ने वालों को समझाने की कोशिश किया, एक हो जाने के लिए प्रयास किया लेकिन रिजल्ट कुछ नहीं निकला। मिले भी लोग, बोले ठीक है लेकिन वही हुआ? क्या? सुना देता हूँ।

पंचायत वाले किस्सा से समझाया

गुरु महाराज ने सुनाया था। पड़ोसी के छत का पानी घर के दरवाजे के आगे गिरता था। कहता एक इंच निकाल दोगे तो उधर पानी गिर जाएगा, हमारे इधर नहीं आएगा। लेकिन नहीं मानता था तो पंचायत हुई। पंचों ने कहा, मान जाओ। अन्याय अत्याचार मत करो। गरीब को क्यों सताते हो? बोला पंच जो कहते हैं मंजूर है। पंच बोले तो तुम उधर खोल लो, इधर बंद कर लो। कहा पंचों की सब बात मंजूर है। जब उठने लगा तो बोला पानी जहां गिरता था वहीं गिरेगा, बाकी सब बात मंजूर है। तो मथुरा में तो गुरु महाराज का मंदिर नहीं बन सकता है।

घर-घर बने मंदिर का मतलब समझाया

कुछ दिन पहले मैंने कहा, प्रेमियों! घर-घर मंदिर बनाओ। मंदिर का मतलब तो समझो। गुरु का फोटो कहीं इधर-उधर कोने में, अलमारी के ऊपर, कहीं कोने में धूल में पड़ा है। अपने कपड़े बिस्तर की सफाई तो रोज करते हैं लेकिन उसकी सफाई नहीं, कुछ नहीं। मंदिर बना लो साफ सफाई न करो, मंदिर में पूजा न करो तो मंदिर की वैल्यू महत्व क्या रहेगा? तो हमने कहा अपने घर में बनाओ, साफ सफाई रखो, वहीं बैठ कर ध्यान भजन करो, मंदिर का मतलब तो समझो। लेकिन फिर लोगों ने कहा ऐसे समस्याएं नहीं सुलझेगी, इच्छाओं  की पूर्ति नहीं हुई। तो हमने कहा बताओ कहां बने? तो लोगों की राय आई है।

बावल रेवाड़ी हरियाणा में मंदिर चिह्न बनेगा

देखो दिल्ली राजस्थान और हरियाणा, यह तीनों प्रांत एक जगह पर मिलते हैं, वहीं बॉर्डर के पास में एक बावल जगह है। मंदिर बनने भर को अपनी जमीन वहां पर है। तीनों के प्रेमी संभालने, विकास में लगे हुए हैं। लोगों की यही राय आ रही है, वहीं बना दिया जाए। पहले हमने लोगों से जगह-जगह पूछा था, गुरु महाराज का स्थान बनाना चाहते हो? लोगों ने कहा हां। आज आपसे ही पूछ लें- अरे! बनाना चाहते हो? (भारी संख्या में विभिन्न प्रान्तों से आये उपस्थित भक्तों ने दोनों हाथ उठा कर हाँ का बुलंद उदघोष किया) तो बावल में बना लिया जाए। अपने बावल आश्रम पर छोटे-मोटे कार्यक्रम भी कई बार हुए हैं। तो आप अगर बनाना चाहते हो तो बावल में बना लो। गुरु महाराज जी का मंदिर स्थान चिन्ह बन जाए।

आने वाली पीढ़ियों के, पहचान के लिए गुरु महाराज का चिह्न बन जाये

वैसे सन्तमत में मंदिर का महत्व तो नहीं है, सन्तों ने तो इसी मनुष्य शरीर को मानव मंदिर बताया है। इसी से वो प्रभु मिलता है, उसमें (मिट्टी-पत्थर में) नहीं लेकिन एक पहचान हो जाती है कि उन्होंने इतना काम किया। आने वाली पीढ़ी देखेगी, समझेगी कि यह इतने बड़े महापुरुष थे जो दिन-रात लग करके, पानी कीचड़ में गांव-गांव ढाणी-ढाणी में पैदल जा-जा करके जीवों को जगाया, मुक्ति-मौक्ष का रास्ता बताया, जीवों को निज घर पहुंचाया। तो हो जाए। कोई हर्ज नहीं। आप लोग बना लो उसकी योजना। सभी लोग बनाओ। देश-विदेश में सभी सतसंगियों को मौका दिया जाता है। आप लोग अपनी योजना बना लो। देख लो मुहूर्त कब निकलेगा, कब आप शुरू करोगे, कैसे करोगे। आप इस पर शुरुआत कर दो, काम शुरू कर दो। समय हमसे पूछ लेना। पहले बोले थे कि हम बताएंगे। आप हम आपको बता रहे हैं। रेवाड़ी जिला हरियाणा का पड़ता है, उसी में वह जगह है, बावल के पास में, वहीं पर बना लो जो आश्रम इस समय पर है।

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