आपसे हक है मेरा कहने का, जीवात्मा की संभाल आप करने लगे तो अभी आपकी दुनिया की इच्छायें और जरूरतें अपने आप पूरी होने लगेंगी

  • बाबा उमाकान्त जी महाराज ने समझाया कई तरह से पाप लगता है, बचने की जरुरत है
  • समाज में फ़ैल चुकी दूषित व्यवस्था से बचना

उज्जैन (म.प्र.)। निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 9 अक्टूबर 2022 प्रातः वाराणसी में दिए व अधिकृत यूट्यूब यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जो मनुष्य का भोजन नहीं है उसको आपको नहीं खाना है। मनुष्य का भोजन क्या है? जड़ वस्तु जैसे धान, गेहूं ,चना, बाजरा ,मक्का आदि। ये जड़ हैं और अपनी इच्छा से एक से दूसरी जगह नहीं जा सकते हैं। और चेतन कौन है? जैसे गाय, बैल ,घोड़ा ,गधा, शेर ,चीता, बिल्ली आदि। मनुष्य भी चेतन है। हर चेतन, हर चेतन को खाने का अधिकारी नहीं है। जैसे पशुओं में चेतन जैसे गाय बैल भैस मांस नहीं खाते। सामने मांस का टुकड़ा डाल दो तो सूँघ कर छोड़ देंगे। एक आदमी ही है जो कुछ नहीं सूँघता, सब खाता दबाता चला जाता है। बाकी ये मर जाएं लेकिन मांस नहीं खाते हैं। हम तो 20 देशों में गए। 15 देशों में तो हम नाम दान देकर आए। तो मांससारी देश बहुत हैं जहां गेहूं का ब्रेड थोड़ा बहुत खा लिया बाकी ज्यादातर मांस ही खाते हैं। तो वहां के भी जानवर जैसे बकरी गाय बैल आदि वो भी मांस नहीं खाएंगे। अपने सिद्धांत उसूल के बड़े पक्के होते हैं। लेकिन आदमी अपने सिद्धांत को छोड़ देता है, डगमगा जाता है। तो समझो मांस मनुष्य का भोजन नहीं है। यह कुत्ता ,शेर ,बिल्ली, भेडिया आदि का भोजन है।

समाज की दूषित व्यवस्था से बचना

अभी समाज में जो व्यवस्था दूषित चल रही है, उससे बचना। दूषित व्यवस्था जैसे भाई-भतीजावाद, जातिवाद, कौमवाद,  भाषावाद, नक्सलवाद, एरियावाद, माओवाद, आतंकवाद आदि ये सब जो वाद चल रहे हैं ये है जहर। ये लोगों को, जान को, शांति को ख़त्म कर दे रहा है। एक-दूसरे की निंदा-बुराई को आप मत अपनाना। इससे अलग रहना। इसमें फंसना मत। जहां रहते हो, उसी जाति में रहना लेकिन अपने सिद्धांत उसूल को मत छोड़ना क्योंकि भ्रम में डालने वाले लोग मिलते रहते हैं, उकसाते रहते हैं।

कई तरह से पाप लगता है

महाराज जी ने 8 अक्टूबर 2022 प्रातः वाराणसी में बताया कि गलत भाव रखकर देखने से आंख से पाप बन जाता है। निंदा बुराई आलोचना सुनने से भी। जो नहीं समझ पाते, जो नशे में होते हैं वो तो अपने मां बाप को, भगवान को भी गाली दे देते हैं। तो वह सब सुनने से भी पाप बन जाता है। यानी समझो निंदा नहीं सुननी चाहिए। जिभ्या के स्वाद से भी पाप लगते हैं। मांस मछली को खाने पर भी पाप लग जाता है। मुंह से बोली बुरी बातें, अप्रिय बोली का भी पाप लग जाता है। हाथ से गलत करने, पैर से गलत काम करने जाते समय भी पाप कर्म लगते हैं। यह क्रियामान कर्म होते हैं। आदमी कुछ आदतवश, कुछ मजबूरी में, कुछ न जानकारी में करता है लेकिन पाप लगता सबको है। जैसे जहर चाहे जान में खाओ या अनजान में, असर डालता ही डालता है। तो यह सब कर्म आ जाते हैं। और जब तक ये सब कर्म खत्म नहीं होंगे तब तक इससे छुटकारा नहीं मिलता, सजा मिलती रहती है। जब तक यह शरीर रहता है तब तक इसे भोगना पड़ता है और शरीर छूटने के बाद आत्मा को भोगना पड़ जाता है। तो कहने का मतलब यह है इससे छुटकारा होना चाहिए।

भगवान ने मानव और मानव धर्म बनाया

महाराज जी ने 8 अक्टूबर 2022 सायं वाराणसी में बताया कि भगवान ने कोई ब्राह्मण क्षत्रिय शूद्र वैश्य उपजातियाँ, हिंदू मुसलमान सिख ईसाई नहीं बनाया। उसने तो एक इंसान बनाया। सबकी हड्डी खून आंखें मुंह टट्टी पेशाब का रास्ता एक जैसा बनाया। भगवान ने तो इंसान बनाया, मानव धर्म बनाया। ये सब जाति-पाती, एरिया तो आदमी ने बना लिया तो बना जो है उसका पालन करो। लेकिन उसमें फंसो नहीं। फंसते कब हो? जब आप भाई-भतीजावाद जातिवाद एरियावाद प्रांतवाद भाषावाद आंतकवाद माओवाद नक्सलवाद आदि इन वादों में फंसते हो तब आप उसे जल्दी नहीं निकल पाओगे और वही जानलेवा हो जाता है। इस समय जितने भी वाद चल रहे हैं ये पोइजन जहर है। तो जहर को छूते नहीं है, जहर के नजदीक नहीं जाते, जहर को देखते नहीं है। कुछ ऐसा भी होता है कि देख लो तो वाइरस आ जाता है तो जहर से दूर रहो।

आपसे हक है मेरा कहने का

महाराज जी ने 29 सितंबर 2022 प्रातः हिसार (हरियाणा) में बताया कि आप गुरु महाराज के नाम दानी हो, प्रेमी हो। आपसे मेरा हक है कहने का। क्योंकि संभाल करने वाली बात गुरु महाराज ने कहा था तो सबसे बड़ी संभाल तो आपकी जीवात्मा की है। उसकी संभाल हो जाए, यह नरकों में न जाए, चौरासी में न चक्कर काटने लग जाए इसलिए उसी की संभाल है। इसकी संभाल का काम अगर आप करने लग गए तो अभी आपकी यह दुनिया की इच्छायें और जरूरतें अपने आप पूरी होने लगेगी।

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